भारत में कई मंदिर हैं, जहां हिंदू धर्म के लोगों की गहरी आस्था है। लाखों भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं। भारत का राज्य राजस्थान अपने कई धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। यहां कई मंदिर स्थित हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के रूप में हमारे सामने आते हैं। आज के लेख में हम आपको ऐसे ही एक मंदिर गलताजी मंदिर के बारे में बताएंगे, इसके साथ ही हम आपको इस मंदिर की मान्यता और इसके पीछे के इतिहास से भी अवगत कराएंगे। तो आइए जानते हैं गलताजी मंदिर से जुड़ी रोचक बातों के बारे में।
मंदिर का विवरण-
राजस्थान के जयपुर में बना गलताजी मंदिर भी उन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर जयपुर के शाही शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में हुआ था। इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण अरावली पहाड़ियों की ऊंचाइयों पर किया गया है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम ने करवाया था, जो राजपूत शासक सवाई जय सिंह के सलाहकार भी थे।
मंदिर की संरचना-
गलताजी मंदिर गुलाबी पत्थरों से बना है। मंदिर की छतों पर खूबसूरत नक्काशी देखी जा सकती है। इस भव्य धार्मिक स्थल के अंदर कई अन्य मंदिर भी हैं, जिसमें मुख्य मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। इसके अलावा यहां भगवान राम और कृष्ण के मंदिर भी देखने को मिलते हैं। इस मंदिर की संरचना किसी राजसी महल की तर्ज पर की गई लगती है।
मंदिर के आसपास का वातावरण -
जहां यह मंदिर बना है वहां का वातावरण बेहद हरा-भरा और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां कई खूबसूरत झरने और पहाड़ देखने को मिलते हैं। निर्माण के कई सदियों बाद भी यहां की खूबसूरती देखने लायक है। मंदिर की सबसे खूबसूरत चीज यहां का झरना है, जो अरावली पर्वत से बहता है। इस झरने का पानी कई कुंड और तालाबों में भी जाता है, जहां यात्री चाहें तो जाकर स्नान भी कर सकते हैं।
क्यों कहते हैं बंदरों का मंदिर -
यहां बड़ी संख्या में बंदर रहते हैं, जिस वजह से इस प्राचीन मंदिर को बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है। यहां रहने वाले बंदर मंदिर परिसर में घूमते रहते हैं, लेकिन वे कभी यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाते। आप यहां जाकर इन बंदरों को खाना भी खिला सकते हैं, यह जगह इन बंदरों के लिए काफी मशहूर है।
मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय-
त्योहारों के मौके पर मंदिरों में काफी भीड़ होती है। जयपुर शहर के पास बने इस मंदिर में मकर संक्रांति के मौके पर काफी भीड़ होती है। इसलिए अगर आप यहां जाना चाहते हैं तो आपको जनवरी में जाना चाहिए।
मंदिर तक पहुंचने का रास्ता-
रेलवे-
अगर आप यहां घूमने का प्लान बना रहे हैं। तो आपका नजदीकी स्टेशन जयपुर है, जयपुर स्टेशन पहुंचने के बाद आप कार या टैक्सी की मदद से भी यहां पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग-
अगर आप दिल्ली के आसपास रहते हैं। तो आप दिल्ली-जयपुर हाईवे लेकर कार या बस से जयपुर आ सकते हैं। इसके बाद आप टैक्सी या बस की मदद से यहां पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग-
जयपुर शहर के नजदीक होने की वजह से इस जगह का नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है। वहां पहुंचने के बाद आप टैक्सी या कैब की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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