पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इसहाक़ डार बांग्लादेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं. पाकिस्तान ने इस यात्रा को 'ऐतिहासिक' बताया है.
एक दशक से भी ज़्यादा समय बाद पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की यह पहली बांग्लादेश यात्रा है. हिना रब्बानी खार ने आख़िरी बार 2012 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री के रूप में बांग्लादेश का दौरा किया था.
बांग्लादेश में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपनी भूमिका के लिए पाकिस्तान की तरफ़ से माफ़ी मांगी जाती है या नहीं.
डार को अप्रैल में बांग्लादेश की यात्रा पर जाना था लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ हुए तनाव के कारण उस वक़्त दौरा टालना पड़ा था.
बीबीसी हिन्दी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
शनिवार दोपहर इसहाक़ डार के ढाका पहुंचने पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और नेशनल सिटीज़न पार्टी (एनसीपी) के प्रतिनिधियों ने उनसे मुलाक़ात की.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, "पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इसहाक़ डार ने नेशनल सिटीज़न पार्टी (एनसीपी) के प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात की. यह प्रतिनिधिमंडल अख़्तर हुसैन के नेतृत्व में आया था. बातचीत में इसहाक़ डार ने एनसीपी नेतृत्व के सुधारवादी और सामाजिक न्याय के विज़न की सराहना की और कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के युवाओं के बीच ज़्यादा संवाद होना चाहिए."
बैठक के बाद एनसीपी ने कहा है कि बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए 1971 के मुद्दे से निपटा जाना चाहिए.
जमात-ए-इस्लामी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अनसुलझे मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की ज़रूरत है.
बैठक के बाद बीएनपी की ओर से कोई बयान नहीं आया. बीएनपी मीडिया सेल ने बताया कि इसहाक़ डार रविवार शाम बीएनपी अध्यक्ष ख़ालिदा ज़िया से मुलाक़ात करेंगे.
हालांकि, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि इस बार बांग्लादेश में अलग-अलग समय पर उठाई गई मांगों पर कोई चर्चा होगी या नहीं, जिनमें 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपनी भूमिका के लिए पाकिस्तान की माफ़ी भी शामिल है.
इस मामले के बारे में पूछताछ के लिए शनिवार को विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से बीबीसी बांग्ला ने कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
- अमेरिका के साथ गर्मजोशी पर पाकिस्तानी मीडिया दे रहा ये चेतावनी
- ट्रंप ने हक़ीक़त में कितनी लड़ाइयां रुकवाई हैं?

पिछली अवामी लीग सरकार के दौरान बांग्लादेश के पाकिस्तान के साथ संबंध बहुत अच्छे नहीं थे. दोनों देशों के बीच राजकीय दौरे और बातचीत सीमित थी.
हालांकि, पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हालात बदल गए हैं. दोनों देशों के विभिन्न स्तरों के प्रतिनिधिमंडलों के दौरों के बाद, इस बार सरकार के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि भी राजकीय यात्रा कर रहे हैं.
इसहाक़ डार से पहले बुधवार को पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री जाम कमाल ख़ान बांग्लादेश पहुंचे थे. उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वाणिज्य सलाहकार शेख़ बशीरुद्दीन सहित दूसरे नेताओं से भी बातचीत की.
पूर्व राजदूतों और अंतरराष्ट्रीय संबंध विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों के बीच ये चर्चाएं संबंधों को बेहतर बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाएंगी.
बांग्लादेश के पूर्व राजदूत एम. हुमायूं कबीर ने बीबीसी बांग्ला को बताया, "इस स्तर की यात्राएं आमतौर पर रिश्तों में राजनीतिक गति लाती हैं, इसलिए इस लिहाज़ से इसहाक़ डार की यात्रा महत्वपूर्ण है. जब विदेश मंत्री के स्तर की यात्रा होती है, तो अलग-अलग क्षेत्रों के सभी मुद्दों पर चर्चा होती है."
विश्लेषकों का कहना है कि सिर्फ़ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश को सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना ज़रूरी है. हालाँकि, पाकिस्तान के मामले में, बांग्लादेश के उस पर ऐतिहासिक दावों को भी ध्यान में रखना ज़रूरी है.
हुमायूं कबीर कहते हैं, "1971 में हुए नरसंहार की ज़िम्मेदारी पाकिस्तानियों को स्वीकार करनी होगी. उन्होंने (पाकिस्तान) इसे अलग-अलग तरीक़ों से कहा है. लेकिन हम चाहते हैं कि वे इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करें और सार्वजनिक रूप से इसका समाधान करें."
17 अप्रैल को बांग्लादेश-पाकिस्तान विदेश सचिव स्तर की बैठक के बाद, बांग्लादेश ने बार-बार 'मुक्ति संग्राम के दौरान अत्याचारों के लिए माफी मांगने या स्वतंत्रता-पूर्व साझा संसाधनों के लिए बकाया राशि की मांग करने' जैसे मुद्दों को बढ़ावा दिया है.
उस समय यह भी बताया गया था कि बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होने से पहले मुआवज़े के रूप में 4.32 बिलियन डॉलर की मांग की थी.
हालांकि, पाकिस्तान के बयान में किसी भी अनसुलझे मुद्दे का उल्लेख नहीं किया गया .
पूर्व राजदूत राशिद अहमद चौधरी का मानना है कि 1971 के जनसंहार के लिए माफ़ी मांगे बिना कोई भी सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्तों में ज़्यादा प्रगति नहीं कर सकती.
उनका कहना है, "व्यापार, आर्थिक रिश्ते और लोगों के आपसी संपर्क ज़रूर आगे बढ़ने चाहिए. लेकिन मेरा मानना है कि यह दौरा तभी सफल होगा जब पाकिस्तान के साथ लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके."
दोनों देशों के बीच छह समझौते और एमओयू तय किए गए हैं, जिन पर जल्द ही हस्ताक्षर होंगे. इनमें सरकारी और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा ख़त्म करना और व्यापार पर एक साझा रणनीति बनाना जैसे मुद्दे शामिल हैं.
- मोदी-जिनपिंग की अगली बैठक पक्की, क्या तियानजिन से निकलेगा नया संदेश?
- पाकिस्तान को सीधा और अमेरिका को अप्रत्यक्ष संदेश: लाल किले से पीएम मोदी के भाषण के मायने
फ़्रांस के मीडिया संस्थान फ़्रांस 24 में सीनियर एडिटर हैं.
पाकिस्तान विदेश मंत्री के दौरे पर लीला जैंसिटो कहती हैं, "निश्चित रूप से भारत इस दौरे पर कड़ी नज़र रख रहा है. दोनों देशों की बढ़ती नज़दीकी से भारत बहुत चिंतित है. आधिकारिक रूप से भारत कहता है कि वह शेख़ हसीना की अवाामी लीग को सपोर्ट नहीं करता है लेकिन शेख़ हसीना ने भारत में शरण ली हुई है. भारत इसलिए भी सतर्क है क्योंकि पाकिस्तान से उसके संबंध अच्छे नहीं हैं. इसी साल मई के महीने में दोनों देश आमने-सामने आ गए थे."
इस यात्रा से पहले दक्षिण एशिया मामलों के विश्लेषक माइकल कुगलमैन ने कहा था, "बांग्लादेश भारत के पड़ोस में उसके सबसे करीबी सहयोगियों में से एक रहा है, और अब वह भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के साथ गलबहियां कर रहा है."
शनिवार को कुगलमैन ने एक्स पर लिखा, "दक्षिण एशिया में बीते सालों की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक घटनाओं में से एक बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों की नई शुरुआत है. हसीना सरकार के 15 साल के कार्यकाल में रिश्ते लगभग ठप थे. लेकिन इसका लंबा असर क्या होगा, यह फ़रवरी में होने वाले बांग्लादेश चुनावों के बाद साफ़ होगा."
माइकल कुगलमैन का कहना है कि अगली बांग्लादेश सरकार शायद बीएनपी के नेतृत्व में होगी, जो भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर सकती है. हालांकि, चुनौतियां बहुत अधिक हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
- पाकिस्तान के ज़ेड-10 एमई हेलिकॉप्टर: भारत के अपाचे के सामने नया चैलेंजर
- पाकिस्तान के पास कितने परमाणु हथियार हैं, उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम ऐसे शुरू हुआ
- ग्लेशियर में दबी लाश जो 28 साल बाद भी सही सलामत मिली
You may also like
बनारस रेल इंजन कारखाना ने रेलवे ट्रैक पर सोलर पैनल लगाकर रचा इतिहास, भारत बना दुनिया का तीसरा देश
'ब्रूक, गिल..', मोईन अली और आदिल राशिद ने बताए अगले फैब-4, दो भारतीय खिलाड़ियों के नाम हैं शामिल
अशनूर कौर Exclusive: विवाद से ज्यादा 'बिग बॉस' पर्सनैलिटी का... 21 साल की एक्ट्रेस बोलीं- गाली गलौज नहीं करूंगी
राज्य बास्केटबॉल प्रतियोगिता में देहरादून बना ओवरऑल चैंपियन
भारत डेवलपमेंट एंड स्कीम, एग्री हार्टी, हिमालय एमएसएमई एक्सपो समापन