कथित वोट चोरी और बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के ख़िलाफ़ मंगलवार को भी विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया.
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेताओं ने इस दौरान एक महिला की तस्वीर और नाम वाली टी-शर्ट पहनकर विरोध जताया. टी-शर्ट पर सामने की ओर 'मिंता देवी' का नाम और पीछे की तरफ़ '124 नॉट आउट' लिखा था.
बिहार की पहली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के मुताबिक़. यह महिला बिहार की नागरिक है और उनकी उम्र 124 साल है.
कांग्रेस ने इसे वोटर लिस्ट में गड़बड़ी बताते हुए कहा है कि यह सिर्फ़ एक मामला नहीं है, बल्कि बिहार की वोटर लिस्ट में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
इस मामले के सामने आने के बाद सिवान केज़िलाधिकारी कार्यालय से स्पष्टीकरण जारी किया गया है.
बिहार में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत चुनाव आयोग ने एक अगस्त को मतदाता सूची की पहली ड्राफ्ट लिस्ट जारी की थी.
बिहार में इस साल के आख़िर में विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्ष चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण की मंशा को लेकर सवाल उठा रहा है.
कौन हैं मिंता देवी?एसआईआर की पहली ड्राफ़्ट लिस्ट के अनुसार, मिंता देवी बिहार के सिवान ज़िले की दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में वोटर के रूप में रजिस्टर्ड हैं.
सूची में उनके पति का नाम धनंजय कुमार सिंह दर्ज है और मकान संख्या वाले कॉलम में भी यही नाम दर्ज है.
इस लिस्ट में उनकी उम्र 124 साल दी गई है, जिसे लेकर कांग्रेस सवाल उठा रही है और इसे वोटर लिस्ट में गंभीर गड़बड़ी का उदाहरण बता रही है.
कांग्रेस के आधिकारिकएक्स हैंडल पर एक पोस्टमें लिखा गया है, ''बिहार में एक नया और अजीबोगरीब केस सामने आया है, जहां एक 124 साल की महिला वोटर है. मिंता देवी नाम की महिला पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल हुई है. ये नए तरीके का फर्जीवाड़ा है, जो बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत से किया गया है. सोचिए- ये सब एसआईआर के बाद हुआ है.''
इस बीच, सिवान के जिलाधिकारी कार्यालय ने बताया कि मिंता देवी का नाम जोड़ने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया था.
बयान में कहा गया, "1 अगस्त 2025 को जारी ड्राफ़्ट वोटर लिस्ट में मतदान केंद्र संख्या 94 पर मिंता देवी की उम्र 124 साल दर्ज थी. लिस्ट जारी होने के बाद बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफ़िसर) ने यह गलती बताकर मिंता देवी से संपर्क किया. इसके बाद 10 अगस्त 2025 को मिंता देवी ने फॉर्म-08 भरकर उम्र सुधार का आवेदन दिया.
इसी के साथ दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी को भेजे पत्र में लिखा है, "आधार कार्ड के अनुसार मिंता देवी की उम्र 34 वर्ष 5 माह है. बी.एल.ओ. ने बताया कि फॉर्म-06 भरते समय भूलवश उनकी उम्र 124 वर्ष अंकित हो गई थी."
बीबीसी हिंदी संवाददाता सीटू तिवारी से बात करते हुए मिंता देवी के पति धनंजय कुमार सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर उन्हें सुबह से लगातार फोन आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी की जन्मतिथि 15 जुलाई 1990 है. धनंजय ने कहा कि आधार कार्ड पर तारीख़ सही है, लेकिन यह ग़लती कैसे हुई, इस बारे में वे स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता सके.
- बिहार में एसआईआर की ड्राफ़्ट लिस्ट में ग़लत तस्वीरें और मरे हुए लोग भी शामिल
- बिहार में वोटर लिस्ट के लिए SIR जारी, कई लोगों के लिए बना परेशानी का सबब -ग्राउंड रिपोर्ट
- बिहार में एसआईआर: क्या वोटर लिस्ट से बाहर होने से नागरिकता पर होता है ख़तरा?
इस बीच, कई वीडियो में मिंता देवी नाम की महिला यह कहते हुई दिखाई दे रही हैं, "मेरा जन्म 15/07/1990 का है. पहली बार हम वोटर लिस्ट बनवाए हैं. हमने जो कागज दिया था, वो सही दिया था. अब वो टाइपिंग की ग़लती है और किसकी है, मुझे नहीं पता. 35 साल की तो नहीं हूं मैं... दादी बना दिया मुझे. कुछ तो फ़ायदा मिलना चाहिए ना मुझे. जब इतना हंगामा मच गया है तो मोदी जी मुझे कुछ तो फ़ायदा दें."
एसआईआर प्रक्रिया और विवादहाल ही में चुनाव आयोग ने बिहार में अपडेटेड वोटर लिस्ट का ड्राफ़्ट जारी किया है.
इससे पहले एक महीने तक राज्य में मतदाता सूची का स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (एसआईआर) चला, जो 25 जून से 26 जुलाई तक हुआ.
विपक्षी दलों और चुनाव प्रक्रिया पर काम करने वाले संगठनों का आरोप है कि बिहार में यह समीक्षा जल्दबाजी में की गई है.
कई मतदाताओं ने बीबीसी को बताया कि ड्राफ़्ट लिस्ट में गलत तस्वीरें हैं और इसमें ऐसे लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो अब ज़िंदा नहीं हैं.
विपक्ष का आरोप है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं, जिनमें ख़ासकर मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं.
आयोग और बीजेपी का जवाब
चुनाव आयोग और बीजेपी ने विपक्ष के सभी आरोपों को ख़ारिज किया है.
बीबीसी हिंदी के सवालों के जवाब में आयोग ने 24 जून का आदेश साझा किया, जिसमें एसआईआर प्रक्रिया की जानकारी दी गई है.
इसके अलावा आयोग ने 27 जुलाई का प्रेस नोट भी भेजा, जिसमें कहा गया है कि किसी भी योग्य मतदाता को "छोड़ा नहीं जाएगा."
आयोग ने कहा, "किसी भी भ्रामक जानकारी या बिना आधार के लगाए गए आरोपों के लिए आयोग ज़िम्मेदार नहीं है, जिन्हें कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए फैला रहे हैं."
आयोग ने हटाए गए नामों की सूची या धर्म के आधार पर इसका कोई ब्योरा जारी नहीं किया है. इस कारण विपक्ष की चिंताओं की स्वतंत्र पुष्टि फिलहाल संभव नहीं है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
- राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग का जवाब, जानिए वोटर लिस्ट से जुड़ी ज़रूरी बातें
- 'वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने' के तेजस्वी यादव के दावे के बाद निर्वाचन आयोग ने उठाया ये क़दम
- बिहार: एसआईआर का पहला चरण पूरा, 10 बिंदुओं में समझिए अब आगे क्या होगा
You may also like
पुरस्कार ठुकराने वाले देशभक्त उमराव खान की कहानी जो आपको हैरान कर देगी!
कोडमदेसर तालाब क्षेत्र की नहर में डूबने से तीन की माैत
सड़क हादसा, खाटूश्याम के दर्शन कर लौट रहे 11 श्रद्धालुओं की मौत
Harshit Rana ने DPL 2025 में डाली बुलेट बॉल, बेल्स के हो गए दो टुकड़े; देखें VIDEO
धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव