अमेरिका ने इसी महीने बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) को 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन' के रूप में मान्यता दी तो इसका एक मतलब यह भी निकाला गया कि बलूचिस्तान में अमेरिका रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन के लिए सोच रहा है.
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार हुआ है. दोनों देशों में रेयर अर्थ मिनरल्स को निकालने पर भी बात हो रही है. रेयर अर्थ मिनरल्स 17 मैटेलिक तत्वों का समूह हैं, जो कई हाई-टेक उत्पादों के लिए अनिवार्य होते हैं.
रेयर अर्थ मिनरल्स के बिना स्मार्टफोन्स, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और विन्ड टर्बाइन्स बनाना संभव नहीं है.
रेयर अर्थ मिनरल्स पर अभी चीन का दबदबा है और चीन जब किसी देश से नाराज़ होता है तो इसकी आपूर्ति कम कर देता है या रोक देता है. भारत के मामले में भी चीन ऐसा कर चुका है.
सुहैल वड़ायच पाकिस्तान के उर्दू अख़बार जंग के सीनियर एडिटर हैं. इसी हफ़्ते ब्रसेल्स में वड़ायच की मुलाक़ात पाकिस्तान के सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से हुई.
इस मुलाक़ात को लेकर वड़ायच ने जंगमें 16 अगस्त को 'फील्ड मार्शल के साथ पहली मुलाक़ात' शीर्षक से एक कॉलम लिखा है. इस कॉलम में उन्होंने आसिम मुनीर से हुई बातों का भी ज़िक्र किया है.
वड़ायच के कॉलम के मुताबिक़, ''आसिम मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट को लेकर उनके पास एक मुकम्मल रोडमैप है. इस योजना के मुताबिक़ पाकिस्तान अगले पाँच से 10 वर्षों में दुनिया के विकसित देशों की लाइन में आ सकता है.''
वड़ायच लिखते हैं, ''मुनीर ने कहा कि अगले साल से बलूचिस्तान के चगाई ज़िले के रेको डिक़ से हर साल दो अरब डॉलर का मुनाफ़ा होगा और साल दर साल यह मुनाफ़ा बढ़ता जाएगा. आसिम मुनीर मानते हैं कि पाकिस्तान के पास रेयर अर्थ मिनरल्स का ख़ज़ाना है और इसके दम पर क़र्ज़े को कम किया जा सकता है. पाकिस्तान जल्द ही सबसे संपन्न देशों की पंक्ति में शामिल हो जाएगा.''
आसिम मुनीर ने भारत पर क्या कहा?सुहैल वड़ायच से बीबीसी हिंदी ने आसिम मुनीर से मुलाक़ात के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह उनकी पहली मुलाक़ात थी और बहुत अच्छी बातचीत हुई.
सुहैल वड़ायच ने बातचीत का अनुभव साझा करते हुए कहा, ''बहुत ही खुलकर बात हुई. आसिम मुनीर से मेरी कई बातों पर असहमति भी थी लेकिन उन्होंने उसे सुना. ऐसा मुशर्रफ़ के साथ भी था. उनके सामने भी असहमति जताने के लिए स्पेस होता था. आसिम मुनीर के साथ भी ऐसा ही रहा.''
क्या भारत को लेकर भी उनकी बात हुई?
इस पर सुहैल वड़ायच कहते हैं, ''भारत को लेकर भी लंबी बात हुई. हर बात तो मैं नहीं कह सकता. आसिम मुनीर ने मुझसे कहा कि भारत पाकिस्तान की शांति भंग नहीं कर सकता है. मुझे लगता है कि अब पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में कोई टकराव नहीं होगा लेकिन सिंधु का पानी रोकने की कोशिश हुई तो बात बिगड़ सकती है. सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान के लिए लाइफ लाइन है और मुझे नहीं लगता है कि पाकिस्तान इस पर चुप रहेगा.''
सिंधु जल संधि को भारत ने पहलगाम में हुए हमले के बाद स्थगित करने की घोषणा की थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि ख़ून और पानी एक साथ नहीं बह सकता है. यानी भारत का कहना है कि 'पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देते हुए सिंधु का पानी हासिल नहीं कर सकता है.''
पाकिस्तान के एक संपादक से बीबीसी हिंदी ने पूछा कि क्या वाक़ई वहाँ रेयर अर्थ मिनरल्स हैं?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने नाम नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर कहा, ''रेको डिक़ में खनिज संपदा तो है. यहाँ खनन के लिए लंबे समय तक अदालती लड़ाई भी चली है. यह इलाक़ा खनिज संपदा के लिए ही जाना जाता है. यहाँ सोना और अन्य मेटल्स हैं. कनाडा के इंजीनियर्स यहाँ काम भी कर रहे हैं. यहाँ पिछले 10-12 सालों से काम चल रहा है. खनन को लेकर समझौते भी हो गए हैं. ये दो अरब डॉलर के अनुमान विदेशी एक्सपर्ट्स के ही हैं. धीरे-धीरे चीज़ें और पता चल जाएंगी.''
ब्रसेल्स में थिंक टैंक साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फोरम के सीनियर फेलो हृदय शर्मा ने पिछले महीने 28 जुलाई को अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स में बलूचिस्तान में रेयर अर्थ को लेकर एक आर्टिकल लिखा था.
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इसमें हृदय शर्मा ने बताया था, ''एक अनुमान के मुताबिक़ बलूचिस्तान में छह से आठ ट्रिलियन डॉलर की खनिज संपदा है, जिनका इस्तेमाल अभी तक नहीं हुआ है. इनमें रेयर अर्थ एलिमेंट्स भी हैं. बलूचिस्तान के मुस्लिम बाग़ और ख़ुज़दार ओफियोलाइट से संपन्न इलाक़े हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इन इलाक़ों में रेयर अर्थ मिनरल्स भी हैं और इसीलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन इलाक़ों को लेकर आकर्षण है. पाकिस्तान के पास खनन क्षमता नहीं है, ऐसे में बलूचिस्तान में वैश्विक शक्तियों के बीच होड़ शुरू हो गई है.''
अप्रैल 2025 में इस्लामाबाद में पाकिस्तान मिनरल्स इन्वेस्टमेंट फोरम आयोजित हुआ था और इसमें सऊदी अरब, चीन, अमेरिका के साथ यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए थे. उस समय सबने खनन में साझेदारी को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी.
हृदय शर्मा ने लिखा है कि अमेरिका के लिए यह केवल निवेश नहीं है बल्कि रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका रेयर अर्थ मिनरल्स के मामले में चीन पर निर्भरता ख़त्म या कम करना चाहता है. रेयर अर्थ मिनरल्स के वैश्विक सप्लाई चेन में चीन का नियंत्रण क़रीब 90 प्रतिशत हिस्से पर है.''
हृदय शर्मा ने लिखा है, ''रेको डिक़ में कनाडाई फर्म बैरिक गोल्ड के साथ समझौता हुआ है. यहाँ 37 सालों में 73 अरब डॉलर के आउटपुट का अनुमान है. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था नया आकार ले सकती है.''
मार्च 2024 में बैरिक गोल्ड कोऑपरेशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से रेको डिक़ प्रोजेक्ट पर बात की थी.
द डिप्लोमैटकी जून 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, रेको डिक़ प्रोजेक्ट में बैरिक सात अरब डॉलर का निवेश कर रहा है और उसके पास 50 प्रतिशत शेयर होगा. बाक़ी 50 प्रतिशत पाकिस्तान और बलूचिस्तान सरकार के पास होंगे.
सुहैल वड़ायच ने कहा, ''आसिम मुनीर का मानना है कि पाकिस्तान के पास चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखने का लंबा अनुभव है. हम एक के लिए दूसरे दोस्त को नहीं छोड़ सकते हैं. आसिम मुनीर ने कहा कि ट्रंप की शांति की कोशिश ईमानदार थी और इसीलिए उन्हें नोबेल सम्मान के लिए सिफ़ारिश की. हमारी सिफ़ारिश के बाद ही दुनिया के दूसरे देशों ने ट्रंप को नोबेल के लिए नामित करना शुरू किया.''
सुहैल वड़ायच से बीबीसी हिंदी ने पूछा कि जिस ट्रंप ने ग़ज़ा में इसराइल को कुछ भी करने की छूट दे रखी है और दूसरी तरफ़ पाकिस्तान अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल के लिए नामित कर रहा है. क्या पाकिस्तानी अवाम इससे सहमत है? सुहैल वड़ायच ने कहा, ''मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.''
पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान में इमरान ख़ान के समर्थकों को और भारत में नरेंद्र मोदी के प्रशंसकों को झटका लगा है.
सुहैल वड़ायच से बीबीसी हिंदी ने पूछा कि ट्रंप को लेकर पाकिस्तान में आम लोगों के बीच कैसी छाप है.
इस पर वह भी कहते हैं, ''पाकिस्तान में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से इमरान ख़ान के समर्थकों को भारी निराशा हुई है और भारत में मोदी भक्तों को. इमरान ख़ान के समर्थकों को लग रहा था कि ट्रंप के सत्ता में आते ही इमरान ख़ान बाहर आ जाएंगे लेकिन हुआ बिल्कुल उलट. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में आसिम मुनीर का कद बड़ा हुआ है. दूसरी तरफ़ भारत में मोदी समर्थकों को लग रहा था कि ट्रंप के आते ही पाकिस्तान को सबक़ सिखा दिया जाएगा.''
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच गहराते संबंध को भारत के लिए असहज करने वाला बताया जा रहा है लेकिन इन संबंधों को पाकिस्तान की जानी-मानी रक्षा विश्लेषक आयशा सिद्दीक़ा केवल भारत के आईने में नहीं देखती हैं.
सिद्दीक़ा कहती हैं कि पाकिस्तान ने अमेरिका को अच्छा ऑफर दिया है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी और बलूचिस्तान में रेयर अर्थ मिनरल्स हैं.
सिद्दीक़ा कहती हैं, ''भारत को चीन के ख़िलाफ़ अमेरिका रणनीतिक पार्टनर के रूप में देखता था लेकिन ट्रंप प्रशासन चीन और रूस दोनों से कारोबार बढ़ाने में लगा है. ऐसे में भारत की अहमियत कम हुई है. अमेरिका अब भारत को इस रूप में नहीं देखता है कि वह उसके लिए चीन से लड़ने की ताक़त रखता है.''
सुहैल वड़ायच ने जंग में लिखे कॉलम में कहा है कि आसिम मुनीर से उनकी मुलाक़ात कराने पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नक़वी ने मदद की.
मोहसिन नक़वी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने भारत पर आसिम मुनीर की एक टिप्पणी का ज़िक्र किया है.
मोहसिन नक़वी वीडियो में कह रहे हैं, "सऊदी अरब का एक डेलिगेशन पाकिस्तान आया था. इस प्रतिनिधिमंडल से प्रधानमंत्री, फील्ड मार्शल, उप प्रधानमंत्री और मेरी एक साथ मुलाक़ात हुई थी. सऊदी डेलिगेशन भारत से लौटा था. फील्ड मार्शल साहब ने उस डेलिगेशन से कहा, इंडिया एक शाइनिंग मर्सेडीज़ की तरह है लेकिन हम एक डंपर ट्रक की तरह हैं, जो पत्थरों और बाक़ी चीज़ों से भरा हुआ है. अब आप कल्पना कर लीजिए कि दोनों में टक्कर होगी तो मर्सेडीज़ का क्या होगा.''
ऐसा कहते हुए मोहसिन नक़वी हँस रहे हैं, लोग ताली मार रहे हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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