मैच: 7
रन: 314
एवरेज: 44.85
स्ट्राइक रेट: 200
अधिकतम स्कोर: 75
चौके: 32
छक्के: 19
ये एशिया कप 2025 में अभिषेक शर्मा का रिकॉर्ड रहा.
फ़ाइनल मुक़ाबले को छोड़ दें, तो हर मैच में उन्होंने टीम इंडिया को शानदार शुरुआत दिलाई.
इसी वजह से उन्हें 'प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट' का पुरस्कार मिला.
लेकिन आज बात उनकी नहीं, बल्कि कार की करते हैं.
इनाम में उन्हें महंगी कार तो मिली, उसके साथ उन्होंने दुबई में तस्वीर भी खिंचवाई, लेकिन वो उस कार को भारत में नहीं चला पाएँगे.
लेकिन क्यों?
क्यों के जवाब से पहले जान लीजिए कि ये एसयूवी है कौन सी?
एशिया कप के प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट को मिली है हवाल एच9, जिसे चीन की ग्रेट वॉल मोटर कंपनी ने बनाया है.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
चीन के बाज़ार में इसकी क़ीमत क़रीब 29 से 33 हज़ार डॉलर है. रुपए में कंवर्ट करें तो ये क़रीब 30 लाख रुपए बनती है.
लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि अभिषेक शर्मा शायद ही इसे भारत ला पाएँ और इसके पीछे सबसे अहम वजह माना जा रहा है इसका लेफ़्ट हैंड ड्राइव होना.
यानी इस कार में स्टीयरिंग बाईं तरफ़ लगा है. इस वजह से ये भारतीय सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों से जुड़े रेगुलेशन्स पर खरा नहीं उतरती.
अपवाद को छोड़ दें, तो भारत में दौड़ने वाली सारी गाड़ियों में स्टीयरिंग दाईं तरफ़ होता है. इसे राइट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल कहा जाता है.
न्यूज़ 24 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, जब यह ख़बर आई कि अभिषेक देश लौट आए हैं, लेकिन इनाम में मिली गाड़ी अब तक नहीं आई है, तो फ़ैंस को कुछ हैरानी हुई. लेकिन इसकी वजह यही है.
अब सवाल है कि अलग-अलग देशों में गाड़ियाँ, सड़क के दाईं या बाईं तरफ़ ही क्यों चलती हैं और गाड़ियों में लगा हुआ स्टीयरिंग राइट साइड में होगा या लेफ़्ट में, ये कैसे तय होता है?
- बदबूदार जूतों ने कैसे दिलाया भारत को इग नोबेल पुरस्कार
- क्रिकेट के वो 10 रिकॉर्ड जो पुरुषों से पहले महिलाओं ने बनाए
- पाकिस्तान टीम से दूरी, सूर्या की मजबूरी या बात कुछ और

सबसे पहले ये समझ लेते हैं ये टर्म होती क्या हैं?
लेफ़्ट हैंड ट्रैफ़िक (एलएचटी) और राइट हैंड ट्रैफ़िक (आरएचटी) बाइडायरेक्शनल ट्रैफ़िक में अपनाई जाने वाली प्रैक्टिस हैं.
यानी जिस सड़क पर दो तरफ़ से ट्रैफ़िक दौड़ता हो, वहाँ इनमें से कोई एक रूल ज़रूर होता है.
इसमें वाहन सड़क के बाईं तरफ़ या दाईं तरफ़ दौड़ते हैं. ये ट्रैफ़िक फ़्लो के लिए बेहद ज़रूरी है और इसे 'रूल ऑफ़ द रोड' भी कहा जाता है.
राइट और लेफ़्ट हैंड ड्राइव का मतलब व्हीकल में ड्राइवर और स्टीयरिंग व्हील की पोज़िशन से है.
ये नियम ये भी बताता है कि सड़क पर वाहन किस तरफ़ चलना है, क्या एक ही दिशा में चल रहे एक से ज़्यादा वाहन के लिए गुंजाइश है और अगर कोई वाहन किसी दूसरे को ओवरटेक करना चाहता है तो वो राइट से कर सकता या लेफ़्ट साइड से.
उदाहरण के लिए जिन देशों में लेफ़्ट हैंड ट्रैफ़िक है, वहाँ राइट से ओवरटेक किया जाता है. जैसा कि भारत में होता है.
दूसरी तरफ़ चीन, रूस और जर्मनी जैसे देशों में जो कारें चलती हैं, वो राइट हैंड ड्राइव है. मतलब ये कि वहाँ की गाड़ियों में स्टीयरिंग लेफ़्ट की तरफ़ होता है, जो भारत से उलट है.
ज़ाहिर है, दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है, जहाँ एक ही समय में लेफ़्ट हैंड ड्राइव और राइट हैंड ड्राइव की एकसाथ इजाज़त हो.
अगर किसी देश में सारी गाड़ियाँ राइट हैंड ड्राइव दौड़ रही हैं, वहाँ एक लेफ़्ट हैंड ड्राइव कारें विजिबलिटी का मुद्दा खड़ा करेगी, कनफ़्यूज़न बढ़ा सकती हैं और बाक़ी लोगों के लिए ख़तरा भी बन सकती हैं.
- एशिया कप: भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटरों पर क्या सियासत हो रही है हावी?
- तिलक वर्मा ने दिलाई कोहली की पारी की याद, एक्सपर्ट बोले- ये तो बस शुरुआत है
- 'तू नहीं खेला, लेकिन तेरा बेटा ज़रूर इंडिया खेलेगा...' अभिषेक शर्मा की कहानी
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि लेफ़्ट हैंड ड्राइव और राइट हैंड ड्राइव शुरू कब हुआ.
इसके लिए बैकगियर लगाकर इतिहास में जाना होगा.
यूँ तो अलग-अलग देशों में ड्राइविंग के नियम तय होने के लिए तारीख़ें अलग-अलग हैं, लेकिन इस पूरी कहानी में ब्रिटेन और ब्रिटिश साम्राज्य का बड़ा रोल रहा है.
आस्ककारगुरु के फ़ाउंडर और एडिटर अमित खरे ने बीबीसी हिन्दी से कहा, ''ब्रिटिश साम्राज्य ने जब दुनिया में पैर पसारना शुरू किया तो उनके साथ उनकी गाड़ियाँ तो गईं ही, साथ ही गाड़ी चलाने के नियम भी अलग-अलग देशों में पहुँचे.''
खरे ने कहा, ''इस वजह से आप देखेंगे कि जहाँ-जहाँ ब्रिटेन ने राज किया है, उन ज़्यादातर देशों में आज भी लेफ़्ट हैंड ट्रैफ़िक है. यानी वहाँ राइट हैंड ड्राइव है. मतलब ये हुआ कि गाड़ी का स्टीयरिंग दाईं तरफ़ होगा. ना कि लेफ़्ट में. जैसे हांगकांग, भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, थाईलैंड, इंडोनेशिया, या इंग्लैंड में भी ऐसा ही है.''
वो आगे कहते हैं, और जहाँ ब्रिटिश नहीं थे, दुनिया के ऐसे कई सारे देशों में राइट हैंड ट्रैफ़िक चलता है यानी स्टीयरिंग कंट्रोल, कार में लेफ़्ट हैंड साइड पर होता है. यानी जो गाड़ियाँ भारत में चलती हैं, उनकी तुलना में ठीक उलट जगह.
स्टीयरिंग कंट्रोल पर क्या कहते हैं नियम?मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के चैप्टर सात में साफ़ कहा गया है कि भारत में हर मोटर व्हीकल राइट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल के साथ बनाया जाएगा.
इसी के पॉइंट 120 में ज़िक्र है कि किसी भी व्यक्ति को लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल वाली गाड़ी सार्वजनिक जगहों पर चलाने की इजाज़त नहीं है, जब तक कि उसमें किसी 'प्रेस्क्राइब नेचर' की मेकेनिकल या इलेक्ट्रिकल सिग्नलिंग डिवाइस ना हो, और वो भी कामकाजी हालत में.
क्या भारत में लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल की कोई गाड़ी नहीं चलती?भारत की सड़क पर इस समय कोई ऐसी गाड़ी नहीं दौड़ रही होगी, जिसमें लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल हो, अगर ये दावा किया जाए तो ग़लत हो सकता है. क्योंकि भारत सरकार कुछ अपवादों में इसकी इजाज़त देती है.
एचटी ऑटो की एक रिपोर्ट बताती है कि अगर कोई विदेशी या देसी कंपनी रिसर्च और डेवलपमेंट (आर और डी) के लिए कोई लेफ़्ट हैंड ड्राइव यूनिट को भारत में लाना चाहती है, तो इस बारे में सरकार से इजाज़त मांगी जा सकती है और इजाज़त दी भी जाती है.
साथ ही दुनिया के ऐसे कई देश हैं, जहाँ लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल वाली गाड़ियां चलती हैं. जैसे अमेरिका. और जब कभी अमेरिका के राष्ट्रपति या दूसरे कोई शीर्ष नेता भारत आते हैं तो उनके साथ उनकी कारों का काफ़िला भी आता है. और ये कारें लेफ़्ट हैंड ड्राइव होती हैं.
ऐसे में इन गाड़ियों को जब सड़कों पर निकलना होता है तो विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं.
इसके अलावा कुछ गाड़ियाँ ऐसी भी हैं, जो विंटेज हैं और उन्हें ख़ास मौक़ों पर शोकेस करने के लिए रखा गया है.
इनमें से कुछ लेफ़्ट हैंड ड्राइव कंट्रोल वाली हैं. अतीत में ऐसी कई गाड़ियाँ भारत के पुराने राजसी परिवारों के पास हुआ करती थीं, और अब ये उनके परिवारों के पास आ गई हैं.
खरे ने बीबीसी से कहा, ''ऐसा नहीं है कि भारत में आप लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल गाड़ी चला नहीं सकते. चला सकते हैं, लेकिन आपको इसके लिए विशेष मंज़ूरी लेनी होती है और ये इजाज़त लिमिटेड समय के लिए मिलती है, परमानेंट नहीं मिलती.''
उन्होंने कहा, ''कुछ ऐसी पुरानी गाड़ियाँ हैं, लेफ़्ट हैंड ड्राइव, एंटीक और क्लासिक ब्यूटी में आती हैं, वो अब भी भारत में हैं, लेकिन उन्हें ख़ास मौकों पर ही बाहर निकाला जाता है या चलाया जाता है.''
खरे के मुताबिक़, आज़ादी से पहले या उसके बाद भी भारत में जो गाड़ियाँ ब्रिटेन से आती थीं, जैसे एस्टन मार्टिन या मॉरिस, वो सभी राइट हैंड ड्राइव होती थीं, जैसे कि भारत में आजकल ज़्यादातर गाड़ियाँ हैं.
दूसरी ओर जो कारें अमेरिका या जर्मनी से आती थीं, उनका स्टीयरिंग कंट्रोल लेफ़्ट में होता था.
जानकार बताते हैं कि कई ट्रैवलर ऐसी गाड़ियों में आते हैं, जो लेफ़्ट हैंड स्टीयरिंग कंट्रोल वाली होती हैं, ऐसी सूरत में उन्हें बताना पड़ता है कि भारत से गुज़रकर वो कहीं और जा रहे हैं और इस वजह से उन्हें कुछ समय के लिए भारत में रुकना पड़ रहा है.
कंपनियाँ एक ही तरह की कार बनाती हैं या दोनों तरह की?इंटरनेशनल मार्केट में अपने प्रोडक्ट पहुँचाने के लिए दुनिया की सभी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियाँ लेफ़्ट हैंड ड्राइव (एलएचडी) और राइट हैंड ड्राइव (आरएचडी), दोनों तरह के कंफ़िग्रेशन वाली गाड़ियाँ बनाती हैं.
इनमें फ़ोक्सवैगन ग्रुप, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडेंज बेंज़ जैसी यूरोपीय कंपनियाँ भी शामिल हैं और फ़ोर्ड, जनरल मोटर्स जैसी उत्तरी अमेरिकी कंपनियाँ भी.
साथ ही अब हौंडा, हुंडई, माज़दा, टोयोटा, निसान जैसी दिग्गज एशियाई कार कंपनियाँ भी दोनों वर्ज़न में कार बना रही हैं. भारतीय कंपनियाँ भी ऐसा कर रही हैं.
खरे बताते हैं कि आरएचडी को एलएचडी बनाने के लिए कंपनियों को ड्राइवर साइड का हिस्सा बदलना पड़ता है.
उन्होंने कहा, ''जब कार कंपनियाँ वैश्विक बाज़ार के लिए कोई कार डिजाइन करती हैं तो दोनों तरह के मार्केट पर फ़ोकस करती हैं, ताकि वो अपनी गाड़ियों को राइट हैंड ड्राइव और लेफ़्ट हैंड ड्राइव, दोनों तरह के बाज़ारों में पहुँचा सकें.''
अगली बार कार चलाने बैठें तो ज़रा सोचिएगा कि स्टीयरिंग जहाँ है, वहाँ ना होकर बराबर वाली सीट के सामने होता तो कैसा फ़ील होता!
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, और व्हॉट्सऐप पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
- ऐसे 'छोटे दिमाग़' वैज्ञानिकों ने बनाए जो कर सकते हैं बहुत कुछ
- रोहित शर्मा को वनडे की कप्तानी से हटाने पर उठे सवाल, क्या कह रहे हैं पूर्व क्रिकेटर
- दस लाख साल पुरानी खोपड़ी ने बदल दी इंसानों के विकास की कहानी
- किसी के चेहरे की कॉपी करके आपत्तिजनक वीडियो बनाने का चलन, क्या इस क़ानून के ज़रिए किया जा सकता है बचाव
You may also like
पृथ्वी शॉ की हुई बीच मैदान में लड़ाई, सरफराज खान के भाई मुशीर से हुआ लाइव मैच में बवाल, देखें वीडियो
भाजपा ने हमारे चार विधायक तोड़े, हम उनके 40 को हराएंगे : मुकेश सहनी
सीबीआई अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों को सात साल कैद की सुनाई सजा
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना नहीं होगी बंदः अदिति तटकरे
कफ सिरप ने कई माताओं की गोद सूनी कर दी और सरकार खानापूर्ति कर रही: सज्जन सिंह वर्मा