भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की ओर से 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में दिए गए ताज़ा बयान के बाद पाकिस्तान ने कहा है कि 'पड़ोसी देश का सुरक्षा प्रतिष्ठान आक्रामकता के लिए बहाने ढूंढ रहा है.'
बीबीसी उर्दू के मुताबिक़ पाकिस्तानी सेना के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) ने अपने बयान में भारत के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि जहां तक पाकिस्तान को "नक़्शे से मिटाने की मंशा" है तो भारत ये साफ़ तौर पर जान ले कि "अगर ऐसे हालात आए तो दोनों तरफ़ नुक़सान होगा."
भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को राजस्थान में कहा था कि अगर पाकिस्तान को इतिहास और भूगोल में रहना है तो उसे 'राज्य प्रायोजित आतंकवाद' को रोकना होगा.
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर क्रीक मामले में और वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के बारे में बयान दिया था.
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बीबीसी उर्दू के मुताबिक़ भारत के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के बयानों के बाद पाकिस्तानी सेना के बयान में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से "अवास्तविक, उत्तेजक और युद्धोन्मादी बयानों" से वो बेहद चिंतित है.
अप्रैल 2025 में कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद छह-सात मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कैंपों को भारतीय सेना ने निशाना बनाया. इस अभियान को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया.
इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ. 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति की घोषणा के बाद संघर्ष रुका.
भारत के आर्मी चीफ़ ने क्या कहा था?भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शुक्रवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर में अनूपगढ़ के फ़ॉरवर्ड एरिया में सेना की तैयारियों का ज़ायजा लेने पहुंचे थे.
उन्होंने यहां सेना के ऑपरेशन की तैयारियों की समीक्षा के बाद सैनिकों से कहा कि वो पूरी तरह तैयार रहें.
उन्होंने कहा, ''ऑपरेशन सिंदूर 1.0 के दौरान भारत ने संयम दिखाया था लेकिन अगर दोबारा ऐसी नौबत आती है तो देखना ये है कि हमारी तैयारी कितनी है.''
सेना प्रमुख ने कहा, ''अगर इस बार ऑपरेशन सिंदूर जैसी स्थिति आती है तो भारत पूरी तैयारी के साथ है. इस बार भारत वो संयम नहीं रखेगा जो ऑपरेशन 1.0 में रखा गया था.''
उन्होंने कहा, ''इस बार हम आगे की कार्रवाई करेंगे और हो सकता है कि ऐसी कार्रवाई करें कि पाकिस्तान को सोचना पड़े कि उसे इतिहास में, भूगोल में रहना है कि नहीं रहना है.''
भारतीय सेना प्रमुख ने कहा, ''अगर उसे भूगोल में अपनी जगह बनानी है तो इसके लिए उसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोकना होगा.''
उन्होंने कहा, ''अपनी पूरी तैयारी रखिए. अगर परवरदिगार चाहेंगे, भगवान चाहेंगे, वाहे गुरु चाहेंगे तो जल्दी ही आपको मौक़ा मिलेगा.''
उन्होंने कहा, ''ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने नौ 'आतंकवादी टारगेट' चिह्नित किए थे. साथ ही ये तय किए थे कि इसमें कोई बेकसूर आदमी नहीं मारा जाना चाहिए. किसी मिलिट्री टारगेट को भी निशाना बनाने का इरादा नहीं था.''
उन्होंने कहा, ''हम सिर्फ़ आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करना चाहते थे. ख़ासकर उन लोगों को जो आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे रहे थे और उनके आका थे.''
उन्होंने कहा, ''इस बार हमने हर टारगेट को ध्वस्त करने का सबूत भी पूरी दुनिया को दिखाया. पहले पाकिस्तान इसे छिपा ले जाता था.''
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, ''इस हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या बहुत ज़्यादा थी.''
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 अक्तूबर को कहा था कि पाकिस्तान सर क्रीक के नज़दीकी इलाक़ों में सैन्य ढांचे विकसित कर रहा है.
गुजरात के कच्छ में एक सैन्य अड्डे पर आयोजित शस्त्र पूजा में शामिल होने पहुंचे राजनाथ सिंह ने कहा था कि आज़ादी के 78 साल हो चुके हैं इसके बावजूद सर क्रीक क्षेत्र में सीमा विवाद को हवा दी जा रही है.
उन्होंने कहा था, ''पाकिस्तानी सेना ने जिस तरह से सर क्रीक से सटे इलाक़ों में अपने सैन्य ढांचों का विस्तार किया है, वो उसकी मंशा को दर्शाता है. अगर पाकिस्तान की ओर से इस क्षेत्र में किसी तरह के दुस्साहस की कोशिश की जाती है तो उसका इतना निर्णायक जवाब दिया जाएगा कि 'इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे'.''
भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक के बंटवारे पर कई दशकों से तकरार जारी है. यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत और भारत के गुजरात राज्य के बीच स्थित 96 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का इलाक़ा है, जिस पर दोनों ही देशों के अपने-अपने दावे हैं.
सर क्रीक भारत और पाकिस्तान के बीच एक पतली और दलदली खाड़ी है, जो अरब सागर से जुड़ी है. पहले इसका नाम बन गंगा था.
फिर ब्रिटिशकाल में इसका नाम 'सर क्रीक' पड़ गया. ये हिस्सा भी तभी से यानी ब्रिटिश काल से विवादों के गिरफ़्त में है. भारत और पाकिस्तान इस समुद्री सीमा को अलग तरह से देखते हैं.
भारत कहता है कि सीमा खाड़ी के बीच से तय होनी चाहिए, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि सीमा उनके किनारे से मानी जाए, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने साल 1914 में इसे नॉन नैविगेबल (यानी जहां जहाज़ नहीं चल सकते) मानते हुए तय किया था.
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भारतीय वायुसेना के एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने हाल में भारतीय वायुसेना की 93वीं वर्षगांठ के मौक़े पर दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंसमें कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान किए गए हवाई हमलों में "पाकिस्तान के 4 से 5 लड़ाकू विमान, जो ज़्यादातर एफ़-16 थे, ज़मीन पर ही नष्ट हो गए थे."
उन्होंने बताया कि वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया, जिनमें रडार, कमांड सेंटर, रनवे, हैंगर और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम को नुक़सान पहुंचाया गया.
यह पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के मॉडल से संबंधित पहली पुष्टि है, जिनके 'ऑपरेशन सिंदूर' में नष्ट होने का दावा किया गया.
इससे पहले, 9 अगस्त को बेंगलुरु में 16वें एयर चीफ़ मार्शल एलएम कात्रे मेमोरियल लेक्चर में अपने भाषण के दौरान एयर चीफ़ मार्शल ने कहा था कि पाकिस्तान के कम से कम पांच लड़ाकू विमान और एक बड़ा विमान नष्ट हुआ था, लेकिन उन्होंने उनका मॉडल नहीं बताया था.
अमर प्रीत सिंह ने कहा, "जहां तक पाकिस्तान के नुक़सान की बात है, हमने उनके कई ठिकानों को निशाना बनाया. इन हमलों में कम से कम चार जगहों पर रडार, दो जगहों पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, दो रनवे और तीन अलग-अलग स्टेशनों पर तीन हैंगर को नुक़सान हुआ. हमारे पास एक सी-130 श्रेणी के विमान और कम से कम 4-5 लड़ाकू विमानों, जो ज़्यादातर एफ़-16 थे, के सबूत हैं. उस वक़्त वहां एफ़-16 मौजूद थे, जो मरम्मत में थे."
एयर चीफ़ मार्शल का कहना है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायुसेना की आधुनिक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) ने पाकिस्तान को उसकी अपनी सीमा में भी एक निश्चित दूरी तक ऑपरेट करने से रोक दिया.
भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ये लगातार दावा करता रहा है कि उसने कई भारतीय लड़ाकू विमान गिराए थे. हालांकि उसने इसका कोई सबूत नहीं दिया था.
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बीबीसी उर्दू के मुताबिक़, हालांकि पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सर क्रीक पर किए गए दावे पर अलग से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन उसने रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के पाकिस्तान की सेना से जुड़े बयानों पर कहा है कि ''ऐसे बयानों का दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता पर गंभीर असर हो सकता.''
बीबीसी उर्दू के मुताबिक़ आईएसपीआर के बयान में कहा गया है कि मई में, "भारतीय आक्रामकता ने दो परमाणु शक्तियों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया. शायद भारत अपने नष्ट हुए लड़ाकू विमानों के मलबे को भूल गया है.''
पाकिस्तानी सेना ने चेतावनी दी है कि भारतीय रक्षा मंत्री, सेना और वायुसेना प्रमुखों के "भड़काऊ बयान भविष्य में बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं" और पाकिस्तान "पीछे नहीं रहेगा. हम बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब देंगे. "
आईएसपीआर ने कहा कि "पाकिस्तान के सशस्त्र बलों में दुश्मन के इलाक़े के हर कोने तक लड़ाई लड़ने की क्षमता और दृढ़ संकल्प है."
"जहां तक पाकिस्तान को नक्शे से मिटा देने की बात है, तो भारत को यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए, अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो दोनों पक्षों को नुक़सान होगा. ''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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