"किसानों के बच्चों की शादी जल्दी नहीं होती. इसी वजह से लोग परेशान होकर कोई भी विकल्प चुन लेते हैं. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ और मैंने जल्दबाज़ी में शादी कर ली. इसमें मेरा लगभग 5 लाख का नुक़सान हुआ."
महाराष्ट्र के जुन्नर से ताल्लुक रखने वाले सागर अपने झूठी शादी के अनुभव के बारे में बता रहे थे.
इस समय महाराष्ट्र के कई युवा, ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में, जो तीस साल से ऊपर हैं, एक ही सवाल से परेशान हैं- "मेरी शादी कब होगी?"
जानकारों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में शादियां कम हो रही हैं, इनमें कई वजहें हैं- जैसे लड़कियों की जन्म दर लड़कों से कम होना, शादी को लेकर बढ़ी उम्मीदें और ग्रामीण समाज में लड़कियों की स्वतंत्रता का दबाव.
ऐसी स्थिति में गांवों के शादी योग्य लड़कों को पत्नी ढूंढने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. इस दौरान उन्हें डर रहता है कि कहीं उनकी शादी की उम्र निकल न जाए.
कुछ बिचौलियों के ग्रुप इस स्थिति का फ़ायदा उठा रहे हैं. असल में, पीड़ित युवाओं का कहना है कि ऐसे कई ग्रुप सक्रिय हैं.
इसी वजह से गांवों और तहसीलों में पचास साल से ऊपर के शादी योग्य लड़के एक तरह के रैकेट का शिकार बन रहे हैं.
दूसरी ओर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लाखों रुपये की ठगी होने के बावजूद ये युवा सामने आकर शिकायत दर्ज नहीं कर रहे हैं.
आख़िर यह नक़ली शादी होती क्या है? ठगी करने वाला गिरोह कैसे काम करता है? और युवाओं के साथ क्या ग़लत हो रहा है?

पुणे की जुन्नर तहसील के रहने वाले सागर एक सफल किसान हैं. वह पुणे और मुंबई की मंडियों में सब्ज़ियां बेचते हैं.
उनकी बागवानी की खेती से घर का ख़र्च अच्छे से चल रहा है. लेकिन इसके बावजूद उन्हें शादी के लिए कोई लड़की नहीं मिल पाई.
कई कोशिशों के बाद, सागर की शादी एक बिचौलिये के ज़रिए तय हुई.
पूरे मामले के बारे में बात करते हुए सागर कहते हैं, "कई सालों की कोशिश के बाद, आख़िरकार मेरी शादी मई 2023 में हुई. इसके बाद लड़की के परिवार ने जल्दी शादी करवाने पर ज़ोर दिया."
"इस दौरान मुझे लड़की से अकेले में बात करने की अनुमति नहीं दी गई. मेरी मां ही उससे बात करती थीं. शादी के पहले हफ्ते में ही मुझे कुछ गड़बड़ महसूस होने लगी."
हिंदू धर्म में शादी के बाद दूल्हे के घर में सत्यनारायण की पूजा की जाती है. इसके अलावा कई मंदिरों में जाकर देव दर्शन भी किया जाता है.
सागर ने भी शादी के बाद अपने घर में सत्यनारायण पूजा रखी थी. लेकिन उनकी पत्नी ने पूजा में शामिल होने से इनकार कर दिया. सागर बताते हैं कि इस बात पर दोनों के बीच ज़ोरदार झगड़ा हुआ.
सागर कहते हैं, "रीति-रिवाज के अनुसार, मेरे माता-पिता ने घर पर सत्यनारायण पूजा रखी. लेकिन मेरी पत्नी ने मना कर दिया. तब हम सब हैरान रह गए."
"जब मैंने उससे अकेले में असली वजह पूछी, तो उसने कहा कि उसकी पहले से शादी हो चुकी है. यह सुनकर मेरे होश उड़ गए," सागर ने यह बात बताते हुए अपना माथा पकड़ लिया.
सागर को समझ आया कि उनके साथ धोखा हुआ है. उन्होंने यह दूसरों के साथ न हो, इसलिए पुलिस में विस्तृत शिकायत दर्ज कराई.
जांच के बाद पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को गिरफ्तार किया जो शादी की दलाली के नाम पर पैसे ऐंठ रहा था.
लेकिन सागर अकेले नहीं हैं जिनके साथ ऐसा हुआ है. पुलिस का कहना है कि यह ठगी देशभर में हो रही है.
सागर कहते हैं, "जो मेरे साथ हुआ, वह और कई लोगों के साथ हुआ है. गांव के लड़के समाज के डर और शर्म से ऐसी बातें नहीं बताते. क्योंकि समाज ही इन बातों के लिए ज़िम्मेदार है. प्रशासन की भी दोहरी ज़िम्मेदारी है."
दूसरी ओर, पुलिस प्रशासन सिर्फ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर सकता है, जिसमें आरोपी कुछ दिनों बाद ज़मानत पर बाहर आ जाते हैं. इस वजह से सागर को अफ़सोस है कि ऐसे लोगों में क़ानून का डर नहीं है.
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दलालों के गिरोह की एक ख़ास तरकीब होती है - शादी तय होने के बाद वे दूल्हे से पैसे ऐंठते हैं.
सागर बताते हैं, "जब शादी की बात चल रही थी, तब मुझे बताया गया कि लड़की की मां अचानक बीमार हो गई है और उनका आर्थिक हाल बहुत ख़राब है."
असल में, मेरी स्थिति भी ठीक नहीं थी, लेकिन हमें उनकी मदद करनी पड़ी. इसलिए मैंने बैंक से क़र्ज़ लिया और उनके कहने पर पैसे दे दिए.
सागर कहते हैं, "उन्होंने मुझसे शादी से पहले एक लाख बीस हज़ार रुपये लिए. उसके बाद शादी में 20-25 हज़ार रुपये और ख़र्च हो गए."
ऐसे मामले यहीं नहीं रुकते. कई बार नक़ली शादियों में कथित दुल्हन शादी के बाद आभूषण और पैसे लेकर फ़रार हो जाती है.
पीड़ित युवा और पुलिस बता रहे हैं कि इसमें कथित दुल्हन अकेली नहीं है, बल्कि एक बड़ा गिरोह विशेष तरीके से काम कर रहा है.
सागर आगे कहते हैं, "हमने लड़की को 10,000 रुपये के चांदी के आभूषण पहनाए थे. उसने दो और आधा तोले का सोने का मंगलसूत्र और एक हार भी पहना था. कुल मिलाकर, मुझसे 5 लाख रुपये का धोखा हुआ है."

बीड ज़िले के वडवानी पुलिस स्टेशन की सहायक पुलिस निरीक्षक वर्षा वागडे़ ने बीबीसी मराठी से बात करते हुए कहा कि "किशोरावस्था पार कर चुके और जिनकी शादियां नहीं हो रही हैं, उन पर इस मध्यस्थता करने वाले गिरोह की निगरानी रहती है. हमें पिछले महीने (सितंबर 2025) ऐसा ही एक मामला मिला है."
"शिकायतकर्ता की जानकारी के अनुसार, लड़की ने कहा कि शादी के आठ दिन के भीतर वह अपनी मां के घर जाएगी. उस समय उसे लेने आए लोग अजनबी थे. इसलिए दूल्हे के परिवार के लोगों ने नई बहू को अजनबियों के साथ जाने की अनुमति नहीं दी. जब यह मामला हमारे पास पहुँचा, तो यह पहली नज़र में नक़ली शादी का मामला लगा."
वागडे़ की जांच में पता चला कि इस गिरोह की एक विशेष कार्यप्रणाली है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पुलिस क्षेत्र में ऐसे ही दो अन्य मामले भी सामने आए हैं.
पहले मामले में चार अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया गया. दूसरे मामले में छह को गिरफ़्तार किया गया.
पुलिस के अनुसार, बिचौलियों का यह गिरोह कम से कम 7 से 8 सदस्यों का होता है. इसमें लड़की की मां, लड़की, एक बिचौलिया, मामा, चाचा, बुआ और दो अन्य लोग शामिल होते हैं, जो लड़की को उसकी मां के घर ले जाने का दावा करते हैं.
इस चेन का पहला सदस्य लड़की के परिवार से संपर्क में रहता है. वह लड़की के मामा, चाचा या मित्र से अपनी बात साझा करता है.
फिर शादी में जल्दबाज़ी की जाती है. शादी से पहले लड़के के माता-पिता से इलाज संबंधी कारण बताते हुए पैसे लिए जाते हैं या अनाथ होने का बहाना बनाकर पैसे लेते हैं.
फिर शादी के कुछ ही दिनों में लड़की गहने और पैसे लेकर फ़रार हो जाती है.
सागर ने बहादुरी से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अधिकांश पीड़ित युवा पुलिस तक नहीं जाते.
इस बारे में बात करते हुए, जुन्नर के उप-पुलिस अधीक्षक धनंजय पाटिल कहते हैं, "ऐसी स्थिति में लोगों के लिए आगे आकर शिकायत दर्ज कराना ज़रूरी है. लेकिन ऐसा करते समय वे सामाजिक शर्मिंदगी से डरते हैं."
"दूसरा, शादी में वित्तीय धोखाधड़ी को हमेशा व्यक्तिगत ग़लती माना जाता है और लोग खुद को दोषी मानते हैं. लेकिन अगर हम फ़र्ज़ी शादियों को रोकना चाहते हैं, तो पीड़ित युवाओं को आगे आकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए."

बीबीसी मराठी से बात करते हुए, सागर ने एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी. उनकी कथित पत्नी ख़ुद एक पीड़िता थीं और एक गैंग उनका इस्तेमाल कर रहा था.
सागर कहते हैं, "उस लड़की की जुन्नर तहसील में पहले कई बार शादी हो चुकी थी. मेरे जैसे कई लड़के हैं, जिन्हें इसी तरह धोखा दिया गया."
"यहाँ सिर्फ़ एक बिचौलिया नहीं है, बल्कि एक बड़ा गैंग है जो यह सब चलाता है. मैंने उससे (लड़की से) पूछा, 'तुम यह सब क्यों सहती हो?' उसने कहा, 'हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है.' सागर का कहना है कि उसके पहले पति ने उसे घर से निकाल दिया था."
बीबीसी मराठी ने एक और युवा पीड़ित से बात की.
गोपनीयता की शर्त पर, उन्होंने कहा, "मेरी पत्नी मेरे साथ डेढ़ साल तक रही. जब मैं उसके साथ था, वह बहुत अच्छी तरह से रहती थी. उसने घर के पैसे कभी नहीं छुए. लेकिन कभी-कभी वह अपनी आंटी के पास पुणे चली जाती थी."
"इस दौरान, उसने फिर से शादी कर ली. हमें यह इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरों के ज़रिए पता चला. जब हमने उससे और सवाल किए, तो पता चला कि वह मुझसे पहले शादीशुदा थी और मुझसे बाद में भी उसकी एक और शादी हुई. तभी मुझे लगा कि एक गैंग उसका इस्तेमाल कर रहा था."
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सागर ने बीबीसी मराठी को बताया, "हम शादी से पहले लड़की के घर नहीं गए थे. गैंग ने हमें शादी के लिए जल्दबाज़ी में मना लिया और मैंने हां कर दी, जो हमारी बहुत बड़ी ग़लती थी."
लेकिन उनका कहना है कि शादीशुदा मर्दों को ऐसी ग़लतियां नहीं करनी चाहिए.
सावधानियां:
- लड़की और उसके परिवार की पृष्ठभूमि की पूरी जांच करें.
- उसकी शिक्षा, नौकरी और पारिवारिक स्थिति की पुष्टि करें.
- शादी से पहले लड़की के गांव जाकर स्थानीय लोगों से जानकारी लें.
- ऑनलाइन प्रोफ़ाइल या जानकारी में कुछ भी संदिग्ध लगे तो सावधान रहें.
- कोई पैसे मांगे तो शक करें.
- अगर शादी किसी बिचौलिये के माध्यम से हो रही है, तो उसका अनुभव और विश्वसनीयता जांचें.
ग्रामीण इलाकों में शादी के लायक लड़कों की कमी का कारण अक्सर लड़कियों और उनके माता-पिता की ज्यादा मांगें बताई जाती हैं.
लोग कहते हैं कि दूल्हे के पास अच्छी नौकरी, घर और सम्मानजनक परिवार होना चाहिए लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता रेणुका कड का कहना है कि यह असली कारण नहीं है.
वह कहती हैं, "महाराष्ट्र के कई ज़िलों में लड़कियों की जन्म दर कम हो रही है. इसलिए कई युवा लड़के बिना शादी के रह जाते हैं क्योंकि शादी के लिए लड़कियां कम हैं. वहीं, गांव में बहू को खेतों का काम, घर के रीति-रिवाज और घर की ज़िम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं."
कड कहती हैं, "अगर लड़की काम करती है तो ठीक है, लेकिन उससे घर का काम भी करने की उम्मीद रहती है. यह दोहरी ज़िम्मेदारी अक्सर तनाव पैदा करती है. इसलिए शिक्षित लड़कियां शहर में शादी करना पसंद करती हैं."
युवा लेखिका श्वेता पाटिल बताती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लड़कियों की आज़ादी दबाई जाती है, इसलिए वे अपने गांव में शादी से बचती हैं.
बीबीसी मराठी के लिए लिखे गए एक लेख में वह कहती हैं, "अगर गांव बदलेंगे, तो ग्रामीणों का नज़रिया और उसके साथ-साथ लड़कियों का नज़रिया भी शादी के लिए किसान लड़के खोजने के प्रति बदल जाएगा. एक किसान परिवार में, ख़ासकर घर की बहू के लिए, सब कुछ कई मुश्किल शर्तों से तय होता है."
"मेरी बड़ी बहन की ऐसे ही एक घर में शादी हुई थी. उसे हर सुबह पांच बजे उठना पड़ता है, आंगन साफ़ करना पड़ता है. नियम इतने सख्त हैं कि उसे देर तक सोने की अनुमति नहीं है."
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-2016) के अनुसार, भारत में केवल 41 प्रतिशत महिलाएं पूरी तरह स्वतंत्र होकर रह सकती हैं. यह प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और भी कम है.
श्वेता आगे कहती हैं, "शहर में सब कुछ अच्छा नहीं है, लेकिन कम से कम शहर में स्वतंत्र रूप से जीने के अवसर हैं. क्या यह ग़लत है कि लड़कियां उम्मीद करें कि उनके पति आर्थिक रूप से मज़बूत, समझदार और परिवार प्रेमी हों?"
उनका कहना है, "ग्रामीण परिवारों में, लड़कियों से अब भी उम्मीद की जाती है कि वे पारिवारिक रीति-रिवाजों का पालन करें, बड़ों की सुनें और घर के काम में भाग लें. आधुनिक और शिक्षित लड़कियों के लिए इसे स्वीकार करना कठिन होता है."
एक तरफ़ यह कहानी आर्थिक और भावनात्मक धोखे की है, तो दूसरी तरफ़, लड़कों की शादी न होने की एक गंभीर सामाजिक समस्या को उजागर करती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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