मंगल इलेक्ट्रिकल आईपीओ 20 अगस्त 2025 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और 22 अगस्त 2025 को बंद होगा। आईपीओ का अलॉटमेंट 25 अगस्त 2025 को होने की संभावना है, जबकि इसकी लिस्टिंग बीएसई और एनएसई पर 28 अगस्त 2025 को तय की गई है।
400 करोड़ रुपये जुटाने का प्लानयह एक बुक बिल्ड इश्यू है, जिसका साइज कुल 400 करोड़ रुपये है। यह पूरी तरह से नया इश्यू है, जिसमें 71 लाख शेयर जारी किए जाएंगे।
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए न्यूनतम निवेश राशि 13858 रुपये
कंपनी ने इस आईपीओ का प्राइस बैंड 533 रुपये से 561 रुपये प्रति शेयर तय किया है। आवेदन के लिए लॉट साइज 26 शेयरों का है और खुदरा निवेशक के लिए न्यूनतम निवेश राशि 13,858 रुपये होगी। वहीं, sNII निवेशकों के लिए 14 लॉट (364 शेयर) का निवेश 2,04,204 रुपये और bNII निवेशकों के लिए 69 लॉट (1,794 शेयर) का निवेश 10,06,434 रुपये होगा।
आईपीओ से प्राप्त पूंजी का उपयोगमंगल इलेक्ट्रिकल अपने आईपीओ से प्राप्त शुद्ध आय का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए करने की योजना बना रही है। इसमें सबसे पहले कंपनी द्वारा लिए गए कुछ बकाया ऋणों का पूर्ण या आंशिक पुनर्भुगतान/अग्रिम भुगतान शामिल है, जिसके लिए लगभग 101.27 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
दूसरा उद्देश्य यूनिट-IV, रींगस, सीकर जिला, राजस्थान स्थित सुविधा के विस्तार हेतु सिविल वर्क समेत पूंजीगत व्यय है, जिस पर लगभग 87.86 करोड़ रुपये खर्च होंगे। तीसरे चरण में कंपनी के कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 122 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, शेष राशि का उपयोग सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
कंपनी प्रोफाइलसन 2008 में स्थापित मंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड बिजली वितरण और ट्रांसमिशन के लिए उपयोग होने वाले ट्रांसफॉर्मर के निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है। कंपनी ट्रांसफार्मर के विभिन्न कंपोनेंट्स जैसे लैमिनेशन, सीआरजीओ स्लिट कॉइल्स, अमोर्फोस कोर, कॉइल और कोर असेंबली, वाउंड कोर, टोरॉइड कोर और ऑयल-इमर्स्ड सर्किट ब्रेकर का उत्पादन करती है।
कंपनी अपने उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री "मंगल इलेक्ट्रिकल" ब्रांड नाम से करती है। इसके अलावा, कंपनी सीआरजीओ और सीआरएनओ कॉइल्स तथा अमॉर्फस रिबन का व्यापार करती है और 5 केवीए से 10 एमवीए क्षमता वाले ट्रांसफार्मर का निर्माण करती है। पावर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में यह कंपनी विद्युत सबस्टेशन स्थापित करने के लिए ईपीसी सेवाएं भी प्रदान करती है।
कंपनी के पास राजस्थान में पांच उत्पादन इकाइयाँ हैं, जिनकी वार्षिक क्षमता सीआरजीओ के लिए 16,200 एमटी, ट्रांसफार्मर के लिए 10,22,500 केवीए, आईसीबी के लिए 75,000 यूनिट और अमॉर्फस यूनिट्स के लिए 2,400 एमटी है।
कंपनी बिजली वितरण और ट्रांसमिशन में उपयोग होने वाले ट्रांसफॉर्मर के महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट्स का निर्माण और आपूर्ति करती है, जिनमें छोटे, डिस्ट्रीब्यूशन और बड़े ट्रांसफॉर्मर शामिल हैं, जो ऊर्जा-संरक्षण वाले विद्युत उपकरणों की श्रेणी में आते हैं।
31 मार्च, 2025 और 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के बीच मंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के राजस्व में 22% की वृद्धि हुई और कर के बाद लाभ (पीएटी) में 126% की वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 25 में कंपनी का रेवेन्यू 551.39 करोड़ रुपये, EBITDA 81.84 करोड़ रुपये और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 47.31 करोड़ रुपये रहा।
मैनेजर, रजिस्ट्रार और प्रमोटरसिस्टमैटिक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज लिमिटेड इस इश्यू का बुक रनिंग लीड मैनेजर है और बिगशेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड इस इश्यू का रजिस्ट्रार है। राहुल मंगल, आशीष मंगल, सरोज मंगल और अनिकेता मंगल कंपनी के प्रमोटर हैं।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
400 करोड़ रुपये जुटाने का प्लानयह एक बुक बिल्ड इश्यू है, जिसका साइज कुल 400 करोड़ रुपये है। यह पूरी तरह से नया इश्यू है, जिसमें 71 लाख शेयर जारी किए जाएंगे।
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए न्यूनतम निवेश राशि 13858 रुपये
कंपनी ने इस आईपीओ का प्राइस बैंड 533 रुपये से 561 रुपये प्रति शेयर तय किया है। आवेदन के लिए लॉट साइज 26 शेयरों का है और खुदरा निवेशक के लिए न्यूनतम निवेश राशि 13,858 रुपये होगी। वहीं, sNII निवेशकों के लिए 14 लॉट (364 शेयर) का निवेश 2,04,204 रुपये और bNII निवेशकों के लिए 69 लॉट (1,794 शेयर) का निवेश 10,06,434 रुपये होगा।
आईपीओ से प्राप्त पूंजी का उपयोगमंगल इलेक्ट्रिकल अपने आईपीओ से प्राप्त शुद्ध आय का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए करने की योजना बना रही है। इसमें सबसे पहले कंपनी द्वारा लिए गए कुछ बकाया ऋणों का पूर्ण या आंशिक पुनर्भुगतान/अग्रिम भुगतान शामिल है, जिसके लिए लगभग 101.27 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
दूसरा उद्देश्य यूनिट-IV, रींगस, सीकर जिला, राजस्थान स्थित सुविधा के विस्तार हेतु सिविल वर्क समेत पूंजीगत व्यय है, जिस पर लगभग 87.86 करोड़ रुपये खर्च होंगे। तीसरे चरण में कंपनी के कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 122 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, शेष राशि का उपयोग सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
कंपनी प्रोफाइलसन 2008 में स्थापित मंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड बिजली वितरण और ट्रांसमिशन के लिए उपयोग होने वाले ट्रांसफॉर्मर के निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है। कंपनी ट्रांसफार्मर के विभिन्न कंपोनेंट्स जैसे लैमिनेशन, सीआरजीओ स्लिट कॉइल्स, अमोर्फोस कोर, कॉइल और कोर असेंबली, वाउंड कोर, टोरॉइड कोर और ऑयल-इमर्स्ड सर्किट ब्रेकर का उत्पादन करती है।
कंपनी अपने उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री "मंगल इलेक्ट्रिकल" ब्रांड नाम से करती है। इसके अलावा, कंपनी सीआरजीओ और सीआरएनओ कॉइल्स तथा अमॉर्फस रिबन का व्यापार करती है और 5 केवीए से 10 एमवीए क्षमता वाले ट्रांसफार्मर का निर्माण करती है। पावर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में यह कंपनी विद्युत सबस्टेशन स्थापित करने के लिए ईपीसी सेवाएं भी प्रदान करती है।
कंपनी के पास राजस्थान में पांच उत्पादन इकाइयाँ हैं, जिनकी वार्षिक क्षमता सीआरजीओ के लिए 16,200 एमटी, ट्रांसफार्मर के लिए 10,22,500 केवीए, आईसीबी के लिए 75,000 यूनिट और अमॉर्फस यूनिट्स के लिए 2,400 एमटी है।
कंपनी बिजली वितरण और ट्रांसमिशन में उपयोग होने वाले ट्रांसफॉर्मर के महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट्स का निर्माण और आपूर्ति करती है, जिनमें छोटे, डिस्ट्रीब्यूशन और बड़े ट्रांसफॉर्मर शामिल हैं, जो ऊर्जा-संरक्षण वाले विद्युत उपकरणों की श्रेणी में आते हैं।
31 मार्च, 2025 और 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के बीच मंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के राजस्व में 22% की वृद्धि हुई और कर के बाद लाभ (पीएटी) में 126% की वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 25 में कंपनी का रेवेन्यू 551.39 करोड़ रुपये, EBITDA 81.84 करोड़ रुपये और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 47.31 करोड़ रुपये रहा।
मैनेजर, रजिस्ट्रार और प्रमोटरसिस्टमैटिक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज लिमिटेड इस इश्यू का बुक रनिंग लीड मैनेजर है और बिगशेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड इस इश्यू का रजिस्ट्रार है। राहुल मंगल, आशीष मंगल, सरोज मंगल और अनिकेता मंगल कंपनी के प्रमोटर हैं।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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