त्योहारी सीजन में जब लोग ऑनलाइन खाना ज्यादा ऑर्डर करते हैं, उसी समय प्लेटफॉर्म शुल्क और डिलीवरी चार्ज पर टैक्स लगा दी है. इसकी वजह है डिलीवरी चार्ज पर लगने वाला 18% जीएसटी, लगातार ऑर्डर करने वालों के खर्च को बढ़ा देगा. आने वाले दिनों में ग्राहकों को ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर ज्यादा सावधानी से खर्च करना होगा.
बढ़ चुका है प्लेटफॉर्म शुल्कत्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ही इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी. स्विगी ने कुछ शहरों में प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ाकर ₹15 कर दिया है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है.
ज़ोमैटो ने अपना प्लेटफॉर्म शुल्क ₹12.50 कर दिया है, लेकिन इस पर जीएसटी अलग से लिया जाएगा.
मैजिकपिन ने भी प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ाकर ₹10 प्रति ऑर्डर कर दिया है.
प्लेटफॉर्म शुल्क एक तरह का एक्स्ट्रा चार्ज होता है, जिसे हर ऑर्डर पर ग्राहकों से वसूला जाता है. यानी अब ग्राहक पहले से ही अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं और ऊपर से डिलीवरी चार्ज पर टैक्स लगने से बोझ और बढ़ जाएगा.
डिलीवरी चार्ज पर 18% जीएसटी22 सितंबर से सरकार ने फैसला लिया है कि डिलीवरी चार्ज पर भी 18% जीएसटी लगाया जाएगा. अनुमान है कि इस बदलाव से ज़ोमैटो यूजर्स को हर ऑर्डर पर करीब ₹2 ज्यादा देना होगा.
वहीं, स्विगी यूजर्स को लगभग ₹2.6 ज्यादा चुकाना पड़ेगा. भले ही प्रति ऑर्डर बोझ सिर्फ 2–3 रुपये का हो, लेकिन अगर कोई ग्राहक हफ्ते में कई बार ऑर्डर करता है तो महीने के हिसाब से यह रकम बढ़कर जेब पर असर डाल सकती है.
वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?वित्त मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि लोकल डिलीवरी सर्विसेज पर 18% जीएसटी लागू होता है. अगर डिलीवरी सर्विस किसी रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा दी जाती है तो जीएसटी उसी को भरना होगा. जबकि अगर डिलीवरी सर्विस कोई अनरजिस्टर्ड व्यक्ति किसी ई-कॉमर्स ऑपरेटर (ECO) के लिए करता है, तो टैक्स भरने की जिम्मेदारी ECO की होगी. वहीं अगर रजिस्टर्ड सप्लायर ई-कॉमर्स ऑपरेटर के ज़रिए सेवा देता है, तो जीएसटी उसी सप्लायर को भरेगा.
शेयर बाजार पर असर
इस खबर का असर शेयर बाज़ार पर भी दिखा. मंगलवार को स्विगी के शेयर में 3% से ज्यादा की तेजी देखने को मिली. बीएसई में ₹245.30 पर खुला और ऊंचाई पर ₹438.30 तक चला गया. ज़ोमैटो (Eternal) के शेयर भी करीब 1% बढ़े, सुबह ₹323.45 पर खुला और ₹326.30 तक पहुंचा.
बढ़ चुका है प्लेटफॉर्म शुल्कत्योहारी सीजन शुरू होने से पहले ही इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी. स्विगी ने कुछ शहरों में प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ाकर ₹15 कर दिया है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है.
ज़ोमैटो ने अपना प्लेटफॉर्म शुल्क ₹12.50 कर दिया है, लेकिन इस पर जीएसटी अलग से लिया जाएगा.
मैजिकपिन ने भी प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ाकर ₹10 प्रति ऑर्डर कर दिया है.
प्लेटफॉर्म शुल्क एक तरह का एक्स्ट्रा चार्ज होता है, जिसे हर ऑर्डर पर ग्राहकों से वसूला जाता है. यानी अब ग्राहक पहले से ही अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं और ऊपर से डिलीवरी चार्ज पर टैक्स लगने से बोझ और बढ़ जाएगा.
डिलीवरी चार्ज पर 18% जीएसटी22 सितंबर से सरकार ने फैसला लिया है कि डिलीवरी चार्ज पर भी 18% जीएसटी लगाया जाएगा. अनुमान है कि इस बदलाव से ज़ोमैटो यूजर्स को हर ऑर्डर पर करीब ₹2 ज्यादा देना होगा.
वहीं, स्विगी यूजर्स को लगभग ₹2.6 ज्यादा चुकाना पड़ेगा. भले ही प्रति ऑर्डर बोझ सिर्फ 2–3 रुपये का हो, लेकिन अगर कोई ग्राहक हफ्ते में कई बार ऑर्डर करता है तो महीने के हिसाब से यह रकम बढ़कर जेब पर असर डाल सकती है.
वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?वित्त मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि लोकल डिलीवरी सर्विसेज पर 18% जीएसटी लागू होता है. अगर डिलीवरी सर्विस किसी रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा दी जाती है तो जीएसटी उसी को भरना होगा. जबकि अगर डिलीवरी सर्विस कोई अनरजिस्टर्ड व्यक्ति किसी ई-कॉमर्स ऑपरेटर (ECO) के लिए करता है, तो टैक्स भरने की जिम्मेदारी ECO की होगी. वहीं अगर रजिस्टर्ड सप्लायर ई-कॉमर्स ऑपरेटर के ज़रिए सेवा देता है, तो जीएसटी उसी सप्लायर को भरेगा.
शेयर बाजार पर असर
इस खबर का असर शेयर बाज़ार पर भी दिखा. मंगलवार को स्विगी के शेयर में 3% से ज्यादा की तेजी देखने को मिली. बीएसई में ₹245.30 पर खुला और ऊंचाई पर ₹438.30 तक चला गया. ज़ोमैटो (Eternal) के शेयर भी करीब 1% बढ़े, सुबह ₹323.45 पर खुला और ₹326.30 तक पहुंचा.
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