भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश को लेकर बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। वित्त मंत्रालय इस समय एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसके तहत सरकारी बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा मौजूदा स्तर से दोगुना से अधिक बढ़ाकर 49% तक की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर पिछले कुछ महीनों से वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच चर्चा चल रही है, हालांकि इसे अभी अंतिम मंजूरी नहीं मिली है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह फैसला लागू होता है, तो यह भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेशकों के लिए नए अवसर खोलेगा। हाल के महीनों में Emirates NBD और Sumitomo Mitsui Banking Corp जैसी विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय बैंकों में अरबों डॉलर के निवेश से यह संकेत भी मिलता है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए तेजी से आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।
सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 49% तक बढ़ाने की तैयारीसरकारी बैंकों में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में फॉरेन ओनरशिप की लिमिट बढ़ाने से आने वाले वर्षों में इन बैंकों को पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।
नियमों का अंतर घटाने की कोशिश
एक दूसरे सूत्र के मुताबिक, सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश की मौजूदा 20% सीमा बढ़ाने पर चर्चा चल रही है। इसका उद्देश्य सरकारी और निजी बैंकों के बीच नियमों का अंतर कम करना है। फिलहाल निजी बैंकों में 74% तक विदेशी निवेश की अनुमति है, जबकि सरकारी बैंकों के लिए इसे 49% करने का प्रस्ताव पहली बार दिया गया है। हालांकि, वित्त मंत्रालय और RBI ने अभी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
तेजी से बढ़ता भारतीय बैंकिंग सेक्टर
भारत की अर्थव्यवस्था पिछले तीन साल में औसतन 8% की रफ्तार से बढ़ी है। इसके कारण देश में लोन की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इसी वजह से विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भारतीय बैंकों में बढ़ रही है। जनवरी से सितंबर के बीच वित्तीय सेक्टर में निवेश सौदों की संख्या 127% बढ़कर 8 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।
केनरा बैंक में 12% विदेशी ओनरशिपफिलहाल भारत में 12 सरकारी बैंक हैं, जिनकी संयुक्त संपत्ति (Assets) मार्च 2025 तक 171 ट्रिलियन रुपये (करीब 1.95 ट्रिलियन डॉलर) है। ये बैंक भारतीय बैंकिंग सेक्टर के कुल हिस्से का 55% हिस्सा रखते हैं। सरकार इन बैंकों में अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी 51% बनाए रखेगी, हालांकि फिलहाल सभी 12 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी इससे कहीं ज्यादा है। सितंबर 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कैनरा बैंक में विदेशी स्वामित्व लगभग 12% है जबकि यूको बैंक में यह लगभग शून्य है।
प्राइवेट बैकों की तुलना में कमजोर माने जाते हैं सरकारी बैंक
आम तौर पर सरकारी बैंक निजी बैंकों की तुलना में कमजोर माने जाते हैं। इन बैंकों को ग्रामीण और कम आय वर्ग के लोगों को ऋण देने और दूरदराज के इलाकों में शाखाएं खोलने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, जिससे इनके एनपीए (Bad Loans) अधिक रहते हैं और इक्विटी पर रिटर्न (Return on Equity) कम होता है।
सुरक्षा उपाय रहेंगे लागू
RBI ने हाल के महीनों में बैंकिंग सेक्टर के कई नियमों को आसान किया है और निजी बैंकों में विदेशी स्वामित्व बढ़ाने को लेकर अधिक खुलापन दिखाया है। हालांकि, मनमाने नियंत्रण और निर्णय से बचने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय जारी रहेंगे। जैसे किसी एक निवेशक के वोटिंग अधिकार 10% तक सीमित रहेंगे।
सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 49% तक बढ़ाने की तैयारीसरकारी बैंकों में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में फॉरेन ओनरशिप की लिमिट बढ़ाने से आने वाले वर्षों में इन बैंकों को पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।
नियमों का अंतर घटाने की कोशिश
एक दूसरे सूत्र के मुताबिक, सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश की मौजूदा 20% सीमा बढ़ाने पर चर्चा चल रही है। इसका उद्देश्य सरकारी और निजी बैंकों के बीच नियमों का अंतर कम करना है। फिलहाल निजी बैंकों में 74% तक विदेशी निवेश की अनुमति है, जबकि सरकारी बैंकों के लिए इसे 49% करने का प्रस्ताव पहली बार दिया गया है। हालांकि, वित्त मंत्रालय और RBI ने अभी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
तेजी से बढ़ता भारतीय बैंकिंग सेक्टर
भारत की अर्थव्यवस्था पिछले तीन साल में औसतन 8% की रफ्तार से बढ़ी है। इसके कारण देश में लोन की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इसी वजह से विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भारतीय बैंकों में बढ़ रही है। जनवरी से सितंबर के बीच वित्तीय सेक्टर में निवेश सौदों की संख्या 127% बढ़कर 8 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।
केनरा बैंक में 12% विदेशी ओनरशिपफिलहाल भारत में 12 सरकारी बैंक हैं, जिनकी संयुक्त संपत्ति (Assets) मार्च 2025 तक 171 ट्रिलियन रुपये (करीब 1.95 ट्रिलियन डॉलर) है। ये बैंक भारतीय बैंकिंग सेक्टर के कुल हिस्से का 55% हिस्सा रखते हैं। सरकार इन बैंकों में अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी 51% बनाए रखेगी, हालांकि फिलहाल सभी 12 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी इससे कहीं ज्यादा है। सितंबर 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कैनरा बैंक में विदेशी स्वामित्व लगभग 12% है जबकि यूको बैंक में यह लगभग शून्य है।
प्राइवेट बैकों की तुलना में कमजोर माने जाते हैं सरकारी बैंक
आम तौर पर सरकारी बैंक निजी बैंकों की तुलना में कमजोर माने जाते हैं। इन बैंकों को ग्रामीण और कम आय वर्ग के लोगों को ऋण देने और दूरदराज के इलाकों में शाखाएं खोलने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, जिससे इनके एनपीए (Bad Loans) अधिक रहते हैं और इक्विटी पर रिटर्न (Return on Equity) कम होता है।
सुरक्षा उपाय रहेंगे लागू
RBI ने हाल के महीनों में बैंकिंग सेक्टर के कई नियमों को आसान किया है और निजी बैंकों में विदेशी स्वामित्व बढ़ाने को लेकर अधिक खुलापन दिखाया है। हालांकि, मनमाने नियंत्रण और निर्णय से बचने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय जारी रहेंगे। जैसे किसी एक निवेशक के वोटिंग अधिकार 10% तक सीमित रहेंगे।
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