भारत के प्रमुख शेयर बाजार सूचकांक, सेंसेक्स और निफ्टी50, मंगलवार, 20 मई 2025 को लगभग स्थिर स्थिति में कारोबार की शुरुआत की। सेंसेक्स (30 कंपनियों का सूचकांक) ने 47.73 अंकों की बढ़त के साथ 82,107.15 पर खुला। वहीं, निफ्टी50 (शीर्ष 50 कंपनियों का सूचकांक) ने 50.75 अंकों की वृद्धि के साथ 24,996.20 पर कारोबार शुरू किया।
वैश्विक बाजारों का प्रभाव
भारतीय सूचकांकों ने अमेरिकी बाजारों से संकेत लेते हुए कारोबार किया, जो व्यापारिक तनावों के कारण स्थिर रहे। वैश्विक स्तर पर बाजार का माहौल सतर्क बना रहा, क्योंकि अमेरिका में व्यापारिक तनाव और वित्तीय मुद्दों ने निवेशकों की भावना पर असर डाला।
क्षेत्रीय प्रदर्शन
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सभी क्षेत्रीय सूचकांक हरे निशान में खुले। निफ्टी रियल्टी सूचकांक ने 1.43% की बढ़त के साथ सबसे अधिक लाभ दर्ज किया। निफ्टी आईटी में 0.65%, एफएमसीजी में 0.4%, फार्मा में 0.36%, PSU बैंक शेयरों में 0.72% और निफ्टी ऑटो में 0.24% की वृद्धि हुई। बैंक निफ्टी में 0.4% की मामूली बढ़त देखी गई, जबकि निफ्टी नेक्स्ट 50 सूचकांक में 0.42% की वृद्धि हुई।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों की स्थिति
विशेषज्ञों ने बताया कि अमेरिकी बाजारों पर दबाव स्पष्ट है, जो राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान व्यापारिक तनावों के प्रभावों के कारण है। अमेरिका में लगभग सभी आयातों पर 10% से अधिक शुल्क ने वैश्विक व्यापार के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस व्यापार नीति का प्रभाव भारत सहित वैश्विक वित्तीय बाजारों पर महसूस किया गया है।
अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए एक और बड़ी चिंता बढ़ता वित्तीय घाटा है, जो ट्रम्प प्रशासन के कर कटौतियों के बीच बढ़ रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह घाटा अमेरिकी डॉलर की वैश्विक रिजर्व मुद्रा के रूप में 'अत्यधिक विशेषाधिकार' के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।
एशियाई बाजारों का प्रदर्शन
एशियाई बाजारों में, सभी प्रमुख सूचकांकों ने मंगलवार को लाभ के साथ कारोबार की शुरुआत की। हांगकांग का हैंग सेंग 1% से अधिक चढ़ा, जापान का निक्केई 225 में 0.4% की वृद्धि हुई, और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.26% बढ़ा।
शेयर बाजार के लिए आगे क्या?
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा, "उभरते बाजारों (EMs) को अमेरिकी मंदी से अलग नहीं किया जा सकता, हालांकि अमेरिकी संपत्तियों से यूरोप, जापान और EMs की ओर धीरे-धीरे पुनः समायोजन हो रहा है। भारतीय निवेशकों को उम्मीद करनी चाहिए कि अमेरिका नरम लैंडिंग या बिना लैंडिंग के रास्ते पर बना रहे।"
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