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भारत में पहली बार कब ढाला गया 1 रुपए का सिक्का? इस मुगल बादशाह की 'गलती' ने गुलामी के जाल में फंसाया!

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first rupee coin minted in India: साल 1757. प्लासी का युद्ध खत्म हो चुका था. अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के तले अपने पांव मजबूत कर रहे थे. लेकिन इन दौरान एक मुगल बादशाह ने, उन्हें एक ऐसे काम की इजाजत दे दी. जिसने देश को अगले 200 साल तक आर्थिक गुलामी की जाल में फंसा लिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत में पहली बार एक रुपए का सिक्का ढालने की. जिसकी शुरूआत अंग्रेजों ने की थी. वैसे तो, भारत में सिक्का चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल से शुरू हुआ था, लेकिन इस एक रुपए के सिक्के के ढालने का इतिहास बेहद दिलचस्प है.

भारत में कब ढाला गया था एक रुपए का सिक्का?
भारत में एक रुपए का सिक्का प्लासी के युद्ध के ठीक बाद ढाला गया था. अंग्रेजों ने मीर जाफर को नवाब बनाकर बंगाल पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी. इस जीत के बाद उन्होंने जो सबसे बड़ा फायदा उठाया, वह था अपनी खुद की मुद्रा बनाने का अधिकार.

जिसके बाद, अंग्रेजों को भारत की दौलत को अपनी शर्तों पर बदलने और लूटने का मौका दे दिया. इतिहासकारों के मुताबिक, युद्ध में जीत के बाद, अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाया. बदले में मीर जाफर ने अंग्रेजों को कई तरह के अधिकार दिए. इनमें से एक अधिकार था, अपनी खुद की टकसाल बनाने और सिक्के ढालने का.

अंग्रेजों के लिए यह अधिकार किसी खजाने से कम नहीं था. उन्होंने तुरंत कलकत्ता में अपनी टकसाल शुरू की और इसी टकसाल में 19 अगस्त 1757 को पहला एक रुपए का सिक्का ढाला गया था. भारतीय इतिहास के दस्तावेजों और सिक्कों के इतिहास Numismatics पर लिखी गई कई किताबों में यह घटना विस्तार में दर्ज है.

सिक्के पर किसका नाम था?
यह एक दिलचस्प बात है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने यह सिक्का खुद के नाम पर नहीं ढाला था. उन्हें पता था कि अगर वे ऐसा करेंगे, तो भारत में विद्रोह हो सकता है. इसलिए, उन्होंने बहुत चालाकी से उस समय के मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के नाम पर यह सिक्का ढाला. इस सिक्के पर फारसी भाषा में ‘मुगल बादशाह शाह आलम’ का नाम लिखा था. यह अंग्रेजों की चालाकी थी, ताकि वे भारत के लोगों को यह दिखा सकें कि वे अभी भी मुगल बादशाह के अधीन हैं, जबकि असल में वे अपनी सत्ता जमा चुके थे.

एक रुपए के सिक्के से गुलामी की शुरुआत
यह पहला एक रुपए का सिक्का, जिसे कलकत्ता में ढाला गया था. जो आगे चलकर भारत की ‘आर्थिक गुलामी’ की शुरुआत बना. इस सिक्के से अंग्रेजों को भारतीय अर्थव्यवस्था पर पूरा कंट्रोल मिल गया.

वे अब अपनी मर्जी से सिक्के ढाल सकते थे, और उन्होंने भारत की दौलत को पूरी तरह से लूटना शुरू कर दिया. इस दिन को इतिहास में ‘काले दिन’ के रूप में जाना जाता है, जिसने भारत को 200 साल की गुलामी के जाल में फंसा दिया.

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