नई दिल्ली, 31 मई . ‘योग’ न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है. ऐसे में आज हम आपको एक योगासन के बारे में बताते हैं, जो आज के तनावपूर्ण जीवन में वरदान साबित हो रहा है. यहां बात हो रही है ‘शशांकासन’ की, जिसे “खरगोश मुद्रा” भी कहा जाता है.
यह आसन न केवल रीढ़ को लचीलापन देता है, बल्कि मन को शांत करने और तनाव को कम करने में भी मदद करता है. आइए, जानते हैं ‘शशांकासन’ करने का सही तरीका और इसके फायदों के बारे में.
‘शशांकासन’ एक सरल और प्रभावी योग मुद्रा है, जिसे शुरुआती और अनुभवी योगी दोनों आसानी से कर सकते हैं. इस आसन में शरीर की स्थिति एक खरगोश की तरह हो जाती है. इसे करने के लिए ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें. साथ ही खाली पेट या भोजन के 3-4 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करें.
सबसे पहले वज्रासन में बैठें और अपने घुटनों को मोड़कर, नितंबों को एड़ियों पर टिकाएं. रीढ़ सीधी रखें और दोनों हाथ घुटनों पर हल्के से रखें. कंधों को ढीला रखें और सांस को सामान्य करें. इसे करने के दौरान गहरी सांस लें और दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर की ओर उठाएं. इस दौरान हथेलियां एक-दूसरे की ओर होनी चाहिए. धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, शरीर को आगे की ओर झुकाएं और अपने माथे को जमीन से टच करने की कोशिश करें.
इस दौरान दोनों हाथों को जमीन पर फैलाएं, हथेलियां नीचे की ओर हों. आपका पेट जांघों को छूना चाहिए और नितंब एड़ियों पर टिके रहें. इस स्थिति में, आपका शरीर खरगोश जैसी आकृति बनाएगा, इसलिए इसे “खरगोश मुद्रा” भी कहा जाता है.
इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रहें या अपनी सहजता के अनुसार समय बढ़ाएं. सांस को सामान्य और गहरी रखें. अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करें. इस दौरान मन को शांत रखने के लिए आंखें बंद कर सकते हैं. साथ ही सांस लेते हुए धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं और वापस वज्रासन में आएं. इसके अलावा, हाथों को फिर से घुटनों पर रखें और कुछ सेकंड के लिए सामान्य सांस लें. आवश्यकतानुसार इसे दो या तीन बार दोहराएं.
यह आसन रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाता है, जिससे पीठ दर्द में राहत मिलती है. साथ ही माथे को जमीन पर टिकाने से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है, जो तनाव और चिंता को कम करता है और पेट पर हल्का दबाव पड़ने से पाचन तंत्र बेहतर होता है और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है.
इसके अलावा, यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है. साथ ही वज्रासन की स्थिति में बैठने से घुटनों और टखनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह आसन पिट्यूटरी और पाइनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है, जो हार्मोनल संतुलन में मदद करते हैं.
हालांकि, गर्भवती महिलाओं को इस आसन को करने से बचना चाहिए. इसके अलावा, घुटनों या पीठ में दर्द होने पर बिना विशेषज्ञ की सलाह के इस आसन को नहीं करना चाहिए. हाई ब्लड प्रेशर या चक्कर आने की समस्या वाले लोगों को भी इसे करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
कहा जाता है कि सुबह के समय खाली पेट ‘शशांकासन’ करना सबसे प्रभावी होता है. इसे करने से पहले हल्की स्ट्रेचिंग या सूर्य नमस्कार कर सकते हैं, ताकि शरीर गर्म हो जाए. नियमित अभ्यास से ही पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं, इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें.
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एफएम/
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