रांची, 30 मई . झारखंड के शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे ने अपने खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी है.
उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और कार्रवाई को निरस्त करने की मांग करते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. चौबे ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 482 के तहत दायर याचिका में दावा किया है कि एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) की ओर से उनके खिलाफ की गई कार्रवाई निराधार आरोपों पर आधारित है और उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है. याचिका पर सुनवाई की तिथि अभी तय नहीं हुई है.
उल्लेखनीय है कि एसीबी ने शराब घोटाले के सिलसिले में 21 मई को चौबे को पूछताछ के लिए तलब किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है.
झारखंड सरकार ने विनय चौबे के अलावा उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची के महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास और पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार को निलंबित किया है.
एसीबी ने अब तक की जांच में पाया है कि इन अधिकारियों की साजिश की वजह से राज्य सरकार को 38 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. इस संबंध में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया कि झारखंड में इस पॉलिसी को लागू करने की प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं.
आरोप है कि एक खास सिंडिकेट को शराब का टेंडर दिलाने के लिए मनमाने तरीके से शर्तें बदल दी गईं. छत्तीसगढ़ की कंसल्टेंट कंपनी के अधिकारियों के सहयोग से सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड में शराब की सप्लाई और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए. टेंडर लेने वाली कंपनियों की ओर से जमा बैंक गारंटियां भी फर्जी निकलीं. इससे राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लगी.
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एसएनसी/डीएससी
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