काठमांडू, 28 मई . नेपाल में राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग को लेकर राजतंत्र समर्थक गुट ने दो महीने बाद एक बार फिर से प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. यह प्रदर्शन गुरुवार को काठमांडू के रत्नपार्क में आयोजित किया जाएगा.
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण, नागरिक नियम और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित होगा. उन्होंने साफ किया कि प्रदर्शन को प्रशासन की अनुमति मिले या नहीं, इसे रत्नपार्क में ही किया जाएगा.
लिंगदेन ने कहा, “हमारा प्रदर्शन हिंसक नहीं होगा. यह पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में रहेगा और रिंग रोड के बाहर नहीं जाएगा. प्रशासन अनुमति नहीं भी देता है, तब भी हम रत्नपार्क में ही शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करेंगे.”
लिंगदेन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर आरोप लगाया कि वह उनकी पार्टी के कार्यक्रम में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
लिंगदेन ने कहा, “प्रधानमंत्री ओली की मंशा स्पष्ट है कि वे गुरुवार को अशांति फैलाना चाहते हैं. उन्होंने जो बयान दिया है, वह बेहद आपत्तिजनक है. उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए या इस्तीफा देना चाहिए. हमने पार्क में शांतिपूर्ण कार्यक्रम की घोषणा की थी, लेकिन प्रधानमंत्री की पार्टी उसी क्षेत्र में अपने कार्यकर्ताओं को बुला रही है, जिससे टकराव की स्थिति बन सकती है. पत्रकारों को इस विषय पर निष्पक्ष रिपोर्टिंग करनी चाहिए.”
इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न राजतंत्रवादी और हिंदू राष्ट्र समर्थक संगठन भी एकजुट हो रहे हैं, जो नेपाल में गणतंत्र, संघीयता और धर्मनिरपेक्षता को खत्म कर राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग कर रहे हैं.
इस बीच राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल (आरपीपी-एन) के अध्यक्ष कमल थापा ने बताया कि अब तक बिखरे हुए और निष्क्रिय राजतंत्रवादी गुट एकजुट हो गए हैं.
थापा ने कहा, “हम अब एकता की ओर बढ़ चुके हैं. यह समय उपयुक्त है कि हम गणतंत्र, संघीयता और धर्मनिरपेक्षता को समाप्त करने की दिशा में ठोस पहल करें. यह वैचारिक लड़ाई है और हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है.”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि जनता और राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनती है, तो पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के पोते हृदयेंद्र शाह को नेपाल का अगला राजा बनाया जा सकता है.
थापा ने कहा, “यदि ज्ञानेंद्र शाह को लेकर लोगों को कोई संकोच हो, तो हृदयेंद्र शाह को भी विकल्प के रूप में देखा जा सकता है. राजतंत्र किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं, यह एक विचारधारा है. उत्तराधिकारी वही होना चाहिए, जो पृथ्वीनारायण शाह के वंश से हो. कौन होगा, यह राष्ट्रीय सहमति से तय होना चाहिए.”
28 मार्च को काठमांडू के टिंकुने क्षेत्र में हुए राजतंत्र समर्थक प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. उस समय हुई हिंसा में लगभग 460 मिलियन नेपाली रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.
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डीएससी/एबीएम
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