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विनेश फोगाट : निराशाजनक मोड़ पर खत्म हुआ ओलंपिक गोल्ड का सपना दिखाने वाली रेसलर का सफर

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New Delhi, 24 अगस्त . भारत में जिस खेल की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है, उसमें कुश्ती का स्थान प्रमुख है. इस खेल को लोकप्रिय बनाने में पुरुष एथलीटों के साथ-साथ महिला एथलीटों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है और इस खेल में वैश्विक मंच पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई है. ऐसे पहलवानों में एक बहुत बड़ा नाम विनेश फोगाट का है, जो पेरिस ओलंपिक में कुश्ती का पहला स्वर्ण पदक दिलाने से चूक गई थी.

विनेश फोगाट पिछले 10 साल में एक ऐसे पहलवान के रूप में उभरी थीं, जिनसे देश ओलंपिक में कुश्ती के क्षेत्र में पहले स्वर्ण पदक की उम्मीद करने लगा था. विनेश अपनी कड़ी मेहनत के दम पर देश का यह स्वर्णिम सपना पूरा करने की दहलीज पर भी पहुंच गई थी. पेरिस ओलंपिक के फाइनल में विनेश ने जगह बना ली थी. वह 50 किग्रा भारवर्ग में फाइट कर रही थीं.

फाइनल से ठीक पहले उनका वजन 50 किग्रा से थोड़ा बढ़ गया. वजन घटाने के लिए रात भर उन्होंने कड़ी मेहनत की. लेकिन, मुकाबले से पहले हुई जांच में उनका वजन 50 किग्रा से 100 ग्राम अधिक रहा और उन्हें फाइनल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया.

इस फैसले ने सिर्फ विनेश के गोल्ड जीतने के सपने को नहीं तोड़ा, बल्कि देश के लगभग 140 करोड़ लोगों के सपने को तोड़ दिया. निराश विनेश ने इस खेल को अलविदा कह दिया.

वैसे, विनेश ने अपने जीवन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया.

25 अगस्त 1994 को हरियाणा में जन्मी विनेश एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं. कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला पहलवान हैं.

विश्व चैंपियनशिप में 2 बार ब्रांज, कॉमनवेल्थ गेम्स में 3 बार गोल्ड, एशियन गेम्स में 1 गोल्ड और 1 सिल्वर, एशियन चैंपियनशिप में 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रांज मेडल उन्होंने जीते हैं.

महावीर फोगाट से कुश्ती के दांव पेंच सीखने वाली फोगाट का सपना ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने का था. पेरिस ओलंपिक फाइनल से बाहर होने के बाद सिर्फ 29 साल की उम्र में उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया. इस फैसले की वजह से विनेश के सुनहरे करियर का बेहद निराशाजनक अंत हो गया.

पीएके/एएस

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