New Delhi, 28 सितंबर . कहा जाता है कि अगर जिंदगी है तो सब कुछ है और जिंदगी की डोर दिल की धड़कनों से जुड़ी होती है, लेकिन यही दिल आज सबसे अधिक खतरे में है. हर साल 29 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व हृदय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि दिल की देखभाल करना सिर्फ डॉक्टरों या दवाओं का काम नहीं है, बल्कि हमारी जीवनशैली, आदतों और सोच का भी बड़ा योगदान है.
India में हृदय रोग तेजी से फैल रहे हैं. यह एक मूक महामारी है, जो तेजी से युवाओं को भी जकड़ रही है. ऐसे में यह दिन जीवन बचाने के लिए सामूहिक अपील है.
दुनिया भर में होने वाली हर चार में से एक मौत की वजह हृदय रोग है. India में बदलती जीवनशैली और लगातार बढ़ रहे तनाव के कारण युवा तक इस गंभीर खतरे के चपेट में हैं. विश्व हृदय महासंघ के अनुसार, हृदय रोगों का 75 प्रतिशत बोझ निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर है, जिनमें India भी शामिल है. यह दिन हमें चेतावनी देता है कि अगर अब नहीं चेते, तो कल बहुत देर हो सकती है.
वायु प्रदूषण से होने वाली लगभग 25 प्रतिशत हृदय संबंधी मौत इस कड़वे सच की गवाही देती हैं. हर साल करीब 70 लाख लोग प्रदूषण के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं. यानी पृथ्वी का स्वास्थ्य सीधे तौर पर हमारे दिल के स्वास्थ्य से जुड़ा है.
विशेषज्ञों की मानें तो हृदय को स्वस्थ रखने के लिए अहम बदलाव जरूरी हैं. ताजे फल-सब्जियों का सेवन, कम चीनी और नमक का उपयोग, जंक फूड से दूरी बनाना आवश्यक है. रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम या पैदल चलना हृदय को स्वस्थ रखता है. साथ ही, तनाव पर नियंत्रण के लिए योग और ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए.
इसके अलावा, अगर आप धूम्रपान छोड़ते हैं तो हृदय रोग का खतरा काफी कम हो जाता है. केवल दो साल में जोखिम आधा हो जाता है और 15 साल में यह नॉन-स्मोकर जैसा हो जाता है. बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच भी हृदय रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाती है.
जब हम अपने स्वास्थ्य की ओर सजग होंगे तो परिवार, समाज और राष्ट्र का स्वास्थ्य भी सुरक्षित होगा. इस विश्व हृदय दिवस पर संकल्प लें कि हम प्रदूषण घटाएंगे, स्वस्थ आदतें अपनाएंगे और दिल से जुड़े मिथकों को तोड़ेंगे. दरअसल, मजबूत दिल ही जीवन को लंबी उम्र और गहरी मुस्कान देता है.
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पीएसके/एएस
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