Mumbai , 29 अक्टूबर . कृति खरबंदा, नाम सुनते ही आंखों के सामने आती है वो मुस्कान, जो कभी शरारती है, कभी गंभीर. दिल्ली में 29 अक्टूबर 1990 को जन्मीं कृति ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन वो Bollywood की चमकती दुनिया में अपना नाम बनाएंगी.
मॉडलिंग और ऐड फिल्मों से शुरुआत की. फिर 2009 में तेलुगु फिल्म ‘बोनी’ में पहला ब्रेक मिला. साउथ की फिल्मों में काम करते-करते Bollywood का दरवाजा खटखटाया. 2016 में ‘राज रिबूट’ से हिंदी सिनेमा में एंट्री ली, लेकिन असली जादू 2017 में हुआ. फिल्म ‘शादी में जरूर आना’ में मशहूर Actor राजकुमार राव के साथ उनकी जोड़ी बनी, और उनकी सादगी भरी एक्टिंग ने सबका दिल जीत लिया. फिर आई ‘हाउसफुल 4’, ‘पागलपंती’, और ‘14 फेरे’. हर बार एक नया रंग, एक नया किरदार. कॉमेडी हो या इमोशन, कृति खरबंदा ने खुद को साबित किया.
Bollywood की फिल्में अक्सर हमारे जीवन के बड़े पलों, खासकर शादी जैसे पवित्र बंधन को पर्दे पर भव्यता से दिखाती हैं. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनकी सादगी और प्रामाणिकता दर्शकों के दिल को छू जाती है. साल 2017 में आई फिल्म ‘शादी में जरूर आना’ एक ऐसी ही फिल्म थी, जिसने साधारण प्रेम कहानी को एक अविस्मरणीय मोड़ दिया.
इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस कृति खरबंदा के लिए यह सिर्फ एक एक्टिंग असाइनमेंट नहीं था. उन्होंने कई इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया है कि फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें इतना गहरा और भावनात्मक अनुभव हुआ, मानो वह सचमुच अपनी आरती शुक्ला नामक किरदार की शादी निभा रही हों. सेट पर बने उस माहौल ने एक फिल्मी सीन को वास्तविक विदाई का रंग दे दिया.
कृति खरबंदा के लिए उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर की पीसीएस अधिकारी ‘आरती शुक्ला’ का किरदार सिर्फ स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह एक ऐसी लड़की की यात्रा थी जिसके सपने और स्वाभिमान शादी की वेदी पर दांव पर लग जाते हैं.
कृति खरबंदा ने बताया कि जब वह पहली बार पारंपरिक दुल्हन के जोड़े में तैयार हुईं, तो सेट पर चारों ओर का माहौल इतना प्रामाणिक था कि उनके लिए काल्पनिक और वास्तविक दुनिया के बीच की रेखा धुंधली हो गई.
शादी की रस्में, सजावट और परिवार के सदस्यों का भावुक होना, ये सब देखकर कृति बार-बार भावुक हो जाती थीं. उनके अनुसार, यह महज शूटिंग नहीं थी, बल्कि वह उस भावनात्मक उथल-पुथल को जी रही थीं जिससे आरती गुजरी थी, खासतौर पर उस रात जब वह शादी छोड़कर चली जाती है. यह गहरा भावनात्मक जुड़ाव ही था जिसने उनके अभिनय को इतनी विश्वसनीयता दी.
‘शादी में जरूर आना’ ने कृति खरबंदा के करियर को एक नई पहचान दी और यह साबित किया कि वह महज एक ग्लैमर डॉल नहीं, बल्कि एक सक्षम Actress हैं. कृति खरबंदा ने इस फिल्म को अपने जीवन का ‘जादुई अनुभव’ बताया. उनके अनुसार, उन्हें इस फिल्म से जो प्यार और पहचान मिली, वह किसी भी आर्थिक सफलता से कहीं ज्यादा थी.
इससे पहले कृति ने अपनी कन्नड़ फिल्म ‘प्रेम अड्डा’ में भी एक अनोखी चुनौती का सामना किया था, जिसने साबित किया कि वह किरदार के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. उस फिल्म में उन्हें बिना मेकअप वाली, 80 के दशक की ग्रामीण लड़की का किरदार निभाना था. कृति की गोरी रंगत इस रोल के लिए फिट नहीं बैठ रही थी, इसलिए उन्होंने किरदार की मांग के अनुसार लुक पाने के लिए काफी मेहनत की. सबसे खास बात यह थी कि कृति ने उस फिल्म के लिए अपने कपड़े अपनी मां के साथ मिलकर खुद डिजाइन किए थे, ताकि किरदार का लुक बिल्कुल प्रामाणिक और जमीन से जुड़ा हुआ लगे.
–
जेपी/एबीएम
You may also like

Akshaya Navami 2025: जाने कब हैं अक्षय नवमी और क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त, जान ले पूजा की विधि

November 2025 Pradosh Vrat : नवंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत कब 3 या 4 नवंबर? इस बार व्रत करने से मिलेगा दोहरा लाभ

NZ vs ENG 2nd ODI: हैमिल्टन में रचिन रविंद्र और डेरिल मिचेल ने ठोका अर्धशतक, कीवी टीम ने इंग्लैंड को 5 विकेटों से चटाई धूल

ट्रंप बोले- भारत के साथ जल्द होगा ट्रेड एग्रीमेंट, प्रधानमंत्री मोदी को कहा 'सबसे अच्छा दिखने वाले नेता'

'मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं', 'थामा' के 100 करोड़ क्लब में शामिल होने पर आयुष्मान खुराना ने जताई खुशी




