Mumbai , 12 नवंबर . इस वर्ष नवंबर में भारतीय करेंसी रुपया की दिशा तय करने को लेकर डॉलर की चाल और अमेरिका-India के बीच व्यापार वार्ता को लेकर प्रगति अहम कारक होंगे. Wednesday को आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महीने के अंत तक रुपया 88.5-89 प्रति डॉलर की रेंज में ट्रेड करता नजर आएगा.
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस डॉलर की चाल और मुद्रास्फीति और लेबल मार्केट को लेकर यूएस मैक्रो डेटा पर आउटलुक निर्भर करता है, जो फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसले को भी प्रभावित कर सकते हैं.
बैंक ने कहा कि अमेरिका-India व्यापार समझौते को लेकर किसी भी प्रकार का पॉजिटिव डेवलपमेंट निवेशकों के सेंटीमेंट को बढ़ावा दे सकता है. हालांकि, फिलहाल उच्च अमेरिकी टैरिफ के डॉमेस्टिक इकोनॉमी पर प्रभाव के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश पर दबाव आ रहा है.
भारतीय रुपए का प्रदर्शन बीते महीने स्थिर दर्ज किया, जबकि घरेलू मुद्रा धीमे निवेश, मजबूत डॉलर और आयातकों की ओर से मजबूत मांग के बीच रिकॉर्ड लो के आसपास ट्रेड कर रही थी.
केंद्रीय बैंक आरबीआई की ओर से भारतीय मुद्रा को इसके नए निचले स्तर पर जाने से रोकने के लिए फॉरेक्स मार्केट में हस्तक्षेप किया गया, जो हाल के महीनों के फ्री करेंसी मूवमेंट से एक बड़े बदलाव को दर्शाता है.
बीते महीने ग्लोबल करेंसियों ने डॉलर को लेकर अलग-अलग तरह का प्रदर्शन दर्ज करवाया. जहां एक ओर उभरते बाजारों की करेंसी मजबूत हो रही थी वहीं एडवांस्ड इकोनॉमी की करेंसी कमजोर हो रही थी.
बैंक की ओर से कहा गया है कि फेड के इस वर्ष एक और रेट कट न होने को लेकर मार्केट पार्टिसिपेंट्स का विश्वास मजबूत हुआ, जिससे डॉलर को मजबूती मिली. यूएस फेडरल रिजर्व लंबे समय से चले आ रहे यूएस शटडाउन की वजह से महत्वपूर्ण इकोनॉमिक डेटा को देखते हुए एक और रेट कट को लेकर सतर्क रुख अपना सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, औसत वार्षिक अस्थिरता अक्टूबर के 4 प्रतिशत से नवंबर में 1.2 प्रतिशत होने के साथ बीते महीने रुपया 87.83 प्रति डॉलर और 88.70 प्रति डॉलर की रेंज में ट्रेड करता नजर आया.
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एसकेटी/
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