सिरोही, 17 अगस्त . विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के महासचिव मिलिंद परांडे ने Sunday को राजस्थान के दौरे के दौरान सिरोही के एक निजी होटल में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया. विहिप के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस वार्ता में उन्होंने भारत और सनातन धर्म विरोधी वैश्विक ताकतों द्वारा देश को कमजोर करने के लिए रचे जा रहे षड्यंत्रों पर गंभीर चिंता जताई.
उन्होंने धर्मांतरण और नशाखोरी को सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में चिह्नित करते हुए राजस्थान सरकार से तत्काल धर्मांतरण निरोधक विधेयक लाकर कठोर कानून बनाने की मांग की.
परांडे ने कहा कि राजस्थान में व्यापक स्तर पर धर्मांतरण की गतिविधियां चल रही हैं, खासकर सीमावर्ती जिलों में, जहां योजनाबद्ध तरीके से जनसंख्या असंतुलन पैदा करने का प्रयास हो रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि देशभर में विशेष रूप से पूर्वोत्तर और सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध मजहबी इमारतों का निर्माण इस रणनीति का हिस्सा है. इसे रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए.
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को चिंताजनक बताते हुए परांडे ने कहा कि युवा राष्ट्र का आधार हैं, लेकिन नशाखोरी उनकी शक्ति को नष्ट कर रही है. इसके समाधान के लिए विहिप, बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी जल्द ही राष्ट्रव्यापी नशा मुक्ति अभियान शुरू करेंगे. इस अभियान के तहत स्कूलों, कॉलेजों और समाज के विभिन्न वर्गों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को अन्यायपूर्ण करार देते हुए परांडे ने कहा कि देश में किसी मस्जिद या चर्च पर सरकारी दखल नहीं है, लेकिन मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण लागू है. हिंदू समाज द्वारा मंदिरों में दी गई दान राशि का सरकारें मनमाने ढंग से दुरुपयोग कर रही हैं और इसे अन्य धर्मों के लोगों पर खर्च किया जा रहा है. विहिप इस अन्याय के खिलाफ मंदिर मुक्ति आंदोलन को और तेज करेगा.
मिलिंद परांडे ने चेताया कि वैश्विक ताकतें हिंदू समाज को जाति, भाषा, प्रांत और परंपरा के नाम पर बांटने की साजिश रच रही हैं. हिंदू प्रतीकों, संतों और त्योहारों के प्रति अनादर फैलाया जा रहा है, और युवाओं व महिलाओं में आत्महीनता भरकर उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से काटने का प्रयास हो रहा है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए विहिप अपने सामाजिक जागरूकता अभियानों को और तेज करेगा.
उन्होंने हिंदू समाज से एकजुट होकर इन षड्यंत्रों का मुकाबला करने और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया.
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एकेएस/डीकेपी
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