भोपालः फसलों की कटाई के बाद बचे अवशेष पराली (नरवाई) जलाने से पर्यावरणीय खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में अब मध्यप्रदेश में किसानों को अब भारी नुकसान पहुंच सकता है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। यदि कोई किसान पराली जलाता है तो उन्हें हर साल फ्री में मिलने वाले 6 हजार रुपये नहीं मिलेंगे। वहीं, वे समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे।मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश के बाद अब अफसरों ने कमर कस ली है। ऐसे में अब सवाल यह उठने लगे हैं कि 6 हजार का नुकसान किसान कैसे झेल पाएंगे। इस बीच, राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में कई किसानों पर लाखों रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। किसानों को नहीं मिलेगा योजना का लाभआपको बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। बैठक में सख्ती बरतते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब नरवाई जलाने वाले किसान एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फसल नहीं बेच पाएंगे। ऐसे किसानों को मप्र सरकार की ओर से सालाना मिलने वाले सीएम किसान सम्मान निधि के 6 हजार रुपए भी नहीं मिलेंगे। अब 1 मई से यह फैसला लागू होने जा रहा है। ऐसे में किसान अब यह सोचने को मजबूर हैं कि नरवाई की समस्या से कैसे निपटा जाए? पराली जलाने के नुकसानफसल कटाई के बाद खेतों में बची पराली में आग लगाने से वायु प्रदूषण होता है। पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे पैदा होते हैं। जमीन में उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और जमीन की उर्वरक क्षमता में भी गिरावट आती है। इतने किसानों को मिल रहे 12 हजार रुपयेमध्यप्रदेश में करीब 95 लाख किसान ऐसे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री सम्मान निधि के 6 हजार रुपये और मुख्यमंत्री सम्मान निधि के 6 हजार रुपये मिलाकर एक वर्ष में कुल 12 हजार रुपये मिलते हैं। यह राशि 2-2 हजार रुपए तीन किस्तों में दी जाती है।
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