Jobs in UK: विदेश में जॉब करने के लिए ब्रिटेन को बढ़िया देश माना जाता था, लेकिन अब यहां हालात बदलने लगे हैं। सरकार ऐसी नीतियों पर काम कर रही है, जिससे विदेशी वर्कर्स के लिए ब्रिटेन में जॉब्स की कमी हो जाएगी। सरकार को विदेशी वर्कर्स नहीं चाहिए और वह इसके लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। दरअसल, सरकार ने स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देने और विदेशी वर्कर्स पर से निर्भरता करने के लिए रिकॉर्ड 3 बिलियन पाउंड (34,600 करोड़ रुपये) खर्च करने का ऐलान किया है। सरकार इस निवेश के जरिए कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग, हेल्थ एंड सोशल केयर और डिजिटल जैसे सेक्टर्स में काम करने के लिए लोगों को तैयार करेगी। ब्रिटिश सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, कुल मिलाकर 1.20 लाख नए लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी। सरकार का ये कदम इमिग्रेशन कम करने और स्थानीय वर्कफोर्स को कुशल बनाने के मकसद से उठाया गया है। ब्रिटेन दुनिया के उन देशों में भी शामिल है, जहां सबसे ज्यादा विदेशी वर्कर्स काम करते हैं। यहां उन्हें अच्छी सैलरी भी मिलती है। पांच में से एक लोग के पास नौकरी नहींब्रिटिश सरकार के आंकड़ें बताते हैं कि ब्रिटेन में काम करने की उम्र के पांच में से एक से ज्यादा लोगों के पास नौकरी नहीं है और वे नौकरी की तलाश भी नहीं कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, निष्क्रियता दर 21.4% है, जो कोविड महामारी के बाद से लगातार बढ़ रही है। लेबर सरकार के ऊपर इमिग्रेशन को कम करने का दबाव है। मई में दक्षिणपंथी, आप्रवासन विरोधी रिफॉर्म यूके पार्टी की स्थानीय चुनाव में सफलता के बाद सरकार पर ये दबाव और भी ज्यादा बढ़ गया है। सरकार ने नागरिकता नियमों को कड़ा करने, स्किल वर्कर वीजा को ग्रेजुएट लेवल की नौकरियों तक सीमित करने और कंपनियों को स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ऐलान किया कि 'ओपन बॉर्डर' का इस्तेमाल बंद हो चुका है। विदेशी वर्कर्स को काम पर रखने से रोका जाएगामंगलवार के बयान में कहा गया है कि इमिग्रेशन स्किल चार्ज में 32% का इजाफा होगा, जिसका मकसद कंपनियों को विदेशी वर्कर्स को काम पर रखने से रोकना है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में घरेलू वर्कफोर्स को स्किलफुल बनाने और इमिग्रेशन पर निर्भरता को कम करने के लिए 45,000 अतिरिक्त ट्रेनिंग स्थान प्रदान किए जाएंगे। कंपनियों का कहना है कि वे स्थानीय स्तर पर पर्याप्त कर्मचारियों को काम पर नहीं रख सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि सख्त नियम अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएंगे जब तक कि देश की स्किल ट्रेनिंग सिस्टम में मौलिक बदलाव न किया जाए।
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