नवीन निश्चल, नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में इस समय बेतहाशा गर्मी पड़ रही है। इससे दिल्ली की तिहाड़ और अन्य जेल भी अछूता नहीं है। यहां तो कई जेलों में क्षमता से तीन गुना अधिक कैदी बंद हैं। गर्मी में पंखे के नीचे समय व्यतीत कर रहे इन कैदियों को डिहाईड्रेशन से बचाने के लिए जेल प्रशासन नींबू का सहारा ले रहा है।
दिल्ली की जेल सूत्रों के अनुसार इस समय लगभग 19 हजार 600 से ज्यादा कैदी अलग-अलग जेलों में बंद हैं। कभी यह संख्या 20 हजार से ऊपर पहुंच जाती है तो कभी थोड़ी कम हो जाती है। जेल अधिकारियों की मानें तो 15 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई तक 3 महीने के दौरान सभी कैदियों को दो नींबू उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे कि वह पानी में इसे निचोड़कर पीएं और डिहाइड्रेशन से खुद को बचाएं।
एक महीने में खर्च होते हैं 12 लाख नींबूरोजाना अनुमानतः 40 हजार नींबू कैदियों पर खर्च किया जा रहा है। इस तरह 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक के 1 महीने में 12 लाख नींबू कैदियों पर खर्च किए जा चुके हैं। अभी 15 जुलाई तक अनुमानतः 24 लाख नींबू और खर्च होंगे। मार्केट में नींबू की कीमत जगह के हिसाब से अलग-अलग है। लेकिन एक नींबू कम से कम तीन रुपये का भी मिलता है तो इस हिसाब से 90 दिनों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च कैदियों को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए जेल प्रशासन द्वारा नींबू पर किया जा रहा है।
गर्मी से कैदियों की हो चुकी है मौतगौरतलब है कि कई बार गर्मी के मौसम में कैदियों की मौत के मामले पहले सामने आ चुके हैं। एक बार तो लगातार ही मौत होनी शुरू हो गई थी। पता चला कि भीषण गर्मी की वजह से बीमार कैदी सर्वाइव नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए जेल प्रशासन गर्मी के मौसम में अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता है। जो उपाय कैदियों को गर्मी से बचाने के लिए किए जा सकते हैं, उस पर सभी जेलों में अमल किया जा रहा है।
खिड़कियों पर लगाई सफेद पॉलिथीनजेल अधिकारियों ने बताया कि गर्म हवा, हीट वेब से बचाने के लिए वॉर्ड की खिड़कियों पर सफेद रंग की पॉलिथीन से कवर किया जा रहा है। ठंडा पानी के लिए जेल में वॉटर कूलर लगे हुए हैं। चूंकि जेल मैनुअल में एयर कंडीशन और कूलर का प्रावधान नहीं है, इसलिए इन्हें सिर्फ पंखा, नींबू पानी के सहारे गर्मी से खुद को बचाना पड़ता है। जिनके पास पैसे हैं, वह जेल कैंटीन से ठंडी लस्सी, शरबत इत्यादि लेकर भी गर्मी में ठंडी का अहसास लेते हैं।
दिल्ली की जेल सूत्रों के अनुसार इस समय लगभग 19 हजार 600 से ज्यादा कैदी अलग-अलग जेलों में बंद हैं। कभी यह संख्या 20 हजार से ऊपर पहुंच जाती है तो कभी थोड़ी कम हो जाती है। जेल अधिकारियों की मानें तो 15 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई तक 3 महीने के दौरान सभी कैदियों को दो नींबू उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे कि वह पानी में इसे निचोड़कर पीएं और डिहाइड्रेशन से खुद को बचाएं।
एक महीने में खर्च होते हैं 12 लाख नींबूरोजाना अनुमानतः 40 हजार नींबू कैदियों पर खर्च किया जा रहा है। इस तरह 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक के 1 महीने में 12 लाख नींबू कैदियों पर खर्च किए जा चुके हैं। अभी 15 जुलाई तक अनुमानतः 24 लाख नींबू और खर्च होंगे। मार्केट में नींबू की कीमत जगह के हिसाब से अलग-अलग है। लेकिन एक नींबू कम से कम तीन रुपये का भी मिलता है तो इस हिसाब से 90 दिनों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च कैदियों को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए जेल प्रशासन द्वारा नींबू पर किया जा रहा है।
गर्मी से कैदियों की हो चुकी है मौतगौरतलब है कि कई बार गर्मी के मौसम में कैदियों की मौत के मामले पहले सामने आ चुके हैं। एक बार तो लगातार ही मौत होनी शुरू हो गई थी। पता चला कि भीषण गर्मी की वजह से बीमार कैदी सर्वाइव नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए जेल प्रशासन गर्मी के मौसम में अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता है। जो उपाय कैदियों को गर्मी से बचाने के लिए किए जा सकते हैं, उस पर सभी जेलों में अमल किया जा रहा है।
खिड़कियों पर लगाई सफेद पॉलिथीनजेल अधिकारियों ने बताया कि गर्म हवा, हीट वेब से बचाने के लिए वॉर्ड की खिड़कियों पर सफेद रंग की पॉलिथीन से कवर किया जा रहा है। ठंडा पानी के लिए जेल में वॉटर कूलर लगे हुए हैं। चूंकि जेल मैनुअल में एयर कंडीशन और कूलर का प्रावधान नहीं है, इसलिए इन्हें सिर्फ पंखा, नींबू पानी के सहारे गर्मी से खुद को बचाना पड़ता है। जिनके पास पैसे हैं, वह जेल कैंटीन से ठंडी लस्सी, शरबत इत्यादि लेकर भी गर्मी में ठंडी का अहसास लेते हैं।