नई दिल्लीः दिल्ली LNJP अस्पताल में जब एक नवजात का जन्म हुआ तो हर किसी ने राहत की सांस लेने के बजाय चिंता से एक-दूसरे की ओर देखा। बच्चे के मुंह के ऊपरी हिस्से यानी तालु से एक बड़ी गांठ लटक रही थी। दरअसल, बच्चा अपने ही 'परजीवी जुड़वा' के साथ पैदा हुआ था। हालांकि, अल्ट्रासाउंड में ही डॉक्टरों को इस असामान्य गांठ का पता चल गया था। डॉक्टरों ने महिला की सिजेरियन डिलिवरी कराई और फिर बच्चे की जटिल सर्जरी कर मासूम को नई जिंदगी दी। डॉक्टरों का दावा है कि यह भारत का पहला तालु पर परजीवी जुड़वां का मामला है।
बच्चा 'परजीवी जुड़वा' के साथ हुआ था पैदाLNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ बीएल चौधरी के अनुसार, 36 सप्ताह पर बच्चे का जन्म ऑपरेशन से कराया गया। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को सांस लेने में बहुत परेशानी हुई, जिसके कारण डॉक्टरों ने तुरंत ट्यूब डालकर वेंटिलेशन शुरू किया। गांठ का आकार करीब 15 सेंटीमीटर लंबा और 12 सेंटीमीटर चौड़ा था।
डॉक्टरों ने निभाई अहम भूमिकाजानकारी के मुताबिक, बच्चे के शरीर में ही एक अधूरा विकसित भ्रूण मौजूद था। इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ. सुजॉय नियोगी ने किया। टीम में डॉ. दीपक गोयल, डॉ. दिव्या तोमर और डॉ. राकेश भी शामिल रहे। इसके अलावा डॉ. सिम्मी के. रतन, डॉ. प्रफुल कुमार, डॉ. चिरंजीव कुमार, डॉ. शीतल उप्रेती और डॉ. राघव नारंग ने भी अहम भूमिका निभाई।
बच्चा 'परजीवी जुड़वा' के साथ हुआ था पैदाLNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ बीएल चौधरी के अनुसार, 36 सप्ताह पर बच्चे का जन्म ऑपरेशन से कराया गया। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को सांस लेने में बहुत परेशानी हुई, जिसके कारण डॉक्टरों ने तुरंत ट्यूब डालकर वेंटिलेशन शुरू किया। गांठ का आकार करीब 15 सेंटीमीटर लंबा और 12 सेंटीमीटर चौड़ा था।
डॉक्टरों ने निभाई अहम भूमिकाजानकारी के मुताबिक, बच्चे के शरीर में ही एक अधूरा विकसित भ्रूण मौजूद था। इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ. सुजॉय नियोगी ने किया। टीम में डॉ. दीपक गोयल, डॉ. दिव्या तोमर और डॉ. राकेश भी शामिल रहे। इसके अलावा डॉ. सिम्मी के. रतन, डॉ. प्रफुल कुमार, डॉ. चिरंजीव कुमार, डॉ. शीतल उप्रेती और डॉ. राघव नारंग ने भी अहम भूमिका निभाई।
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