नई दिल्ली: देश में इस समय बिकने वाले आधे से ज्यादा स्मार्टफोन ईएमआई पर हैं। सिर्फ फोन ही नहीं, टीवी और फ्रिज समेत कई इलेक्ट्रॉनिक्स चीजें भी लोन पर ली जा रही हैं। इससे पता चलता है कि भारत में लोगों के कर्ज लेने का तरीका बदल रहा है। अब लोग घर या बिजनेस के लिए नहीं, बल्कि अपनी लाइफस्टाइल पर खर्च करने के लिए ज्यादा कर्ज ले रहे हैं। लेकिन यह कर्ज एक बड़ा खतरा है। एक एक्सपर्ट ने इसे लेकर चिंता जताई है।
कॉइनस्विच (CoinSwitch) के को-फाउंडर आशीष सिंघल ने लिंक्डइन (LinkedIn) पर एक पोस्ट में लिखा है, 'हमारे माता-पिता का जमाना कर्ज लेने से कतराता था। खासकर छुट्टियों या फोन जैसी चीजों के लिए। अगर पैसे नहीं होते थे, तो वो चीज खरीदते ही नहीं थे। लेकिन अब वो भारत बदल गया है।'
लोन चुकाने में हो रहे असमर्थभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए आंकड़ों के मुताबिक अब लोगों के कुल कर्ज में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड का कर्ज सबसे ज्यादा हो गया है। यह पहली बार है जब यह रकम होम लोन से भी आगे निकल गई है। इससे देश की आर्थिक स्थिरता पर चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे काफी लोग हैं जो कर्ज को चुका नहीं पा रहे हैं और डिफॉल्ट हो रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल खरीदने के लिए दिए जाने वाले सभी लोन में से लगभग 2.7 से 2.9% हर साल डिफॉल्ट हो रहे हैं। यह काफी ज्यादा है।
प्रति व्यक्ति बढ़ गया कर्जआशीष सिंघल ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि आजकल हर भारतीय पर औसतन 4.8 लाख रुपये का कर्ज है। दो साल पहले यह 3.9 लाख रुपये था। यह कर्ज हमारी कमाई से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि मजे की बात ये है कि इसमें से आधा से ज्यादा कर्ज घर खरीदने या बिजनेस शुरू करने के लिए नहीं है। ये पर्सनल लोन , क्रेडिट कार्ड और कार लोन हैं। मतलब, हम चीजें खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं, कुछ बनाने या निवेश करने के लिए नहीं।
किस चीज के लिए कितना कर्ज?मार्च 2024 तक घर के अलावा दूसरे कामों के लिए लिए गए रिटेल लोन कुल कर्ज का 54.9% हो गए हैं। वहीं होम लोन 29% और खेती व बिजनेस के लिए लिया गया कर्ज सिर्फ 16.1% रह गया है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि यह कर्ज अब लोगों की कमाई का 25.7% से ज्यादा हिस्सा खा रहा है। यह पांच साल पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है।
सिंघल की यह बात दिखाती है कि अब लोग खर्च करने के लिए कर्ज लेने को आम मानने लगे हैं। लोग अब विदेश घूमने जाने के लिए पर्सनल लोन ले रहे हैं या फिर iPhone खरीदने के लिए ईएमआई भर रहे हैं। सिंघल ने बताया कि ऐप्स, NBFCs और ' बाय नाउ, पे लेटर' (Buy Now, Pay Later) जैसी सुविधाओं से कर्ज लेना बहुत आसान हो गया है। यह आसान रास्ता लोगों को लुभा रहा है।
क्या था पुराना तरीकाआशीष सिंघल ने अपनी पोस्ट में बताया, 'भारत कभी अपनी बचत के लिए जाना जाता था। हम दशकों तक अपनी कमाई का 23 से 25% हिस्सा बचाते थे। लेकिन अब ये आंकड़ा तेजी से गिर रहा है।
सिंघल ने आगाह किया कि लोन पर ब्याज लगता है और वह बढ़ता जाता है। लाइफस्टाइल को आसानी से बदला नहीं जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या होगा जब यह पीढ़ी 40 या 50 साल की होगी और उन्हें एहसास होगा कि उन्होंने अपनी 20s और 30s दौलत बनाने के बजाय EMI भरने में बिता दी? उन्होंने लिखा कि भारत एक दशक से भी कम समय में 'पहले बचाओ, फिर खर्च करो' से 'पहले खर्च करो, बाद में चुकाओ' की राह पर चल पड़ा है।
कॉइनस्विच (CoinSwitch) के को-फाउंडर आशीष सिंघल ने लिंक्डइन (LinkedIn) पर एक पोस्ट में लिखा है, 'हमारे माता-पिता का जमाना कर्ज लेने से कतराता था। खासकर छुट्टियों या फोन जैसी चीजों के लिए। अगर पैसे नहीं होते थे, तो वो चीज खरीदते ही नहीं थे। लेकिन अब वो भारत बदल गया है।'
लोन चुकाने में हो रहे असमर्थभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए आंकड़ों के मुताबिक अब लोगों के कुल कर्ज में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड का कर्ज सबसे ज्यादा हो गया है। यह पहली बार है जब यह रकम होम लोन से भी आगे निकल गई है। इससे देश की आर्थिक स्थिरता पर चिंताएं बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे काफी लोग हैं जो कर्ज को चुका नहीं पा रहे हैं और डिफॉल्ट हो रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल खरीदने के लिए दिए जाने वाले सभी लोन में से लगभग 2.7 से 2.9% हर साल डिफॉल्ट हो रहे हैं। यह काफी ज्यादा है।
प्रति व्यक्ति बढ़ गया कर्जआशीष सिंघल ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि आजकल हर भारतीय पर औसतन 4.8 लाख रुपये का कर्ज है। दो साल पहले यह 3.9 लाख रुपये था। यह कर्ज हमारी कमाई से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि मजे की बात ये है कि इसमें से आधा से ज्यादा कर्ज घर खरीदने या बिजनेस शुरू करने के लिए नहीं है। ये पर्सनल लोन , क्रेडिट कार्ड और कार लोन हैं। मतलब, हम चीजें खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं, कुछ बनाने या निवेश करने के लिए नहीं।
किस चीज के लिए कितना कर्ज?मार्च 2024 तक घर के अलावा दूसरे कामों के लिए लिए गए रिटेल लोन कुल कर्ज का 54.9% हो गए हैं। वहीं होम लोन 29% और खेती व बिजनेस के लिए लिया गया कर्ज सिर्फ 16.1% रह गया है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि यह कर्ज अब लोगों की कमाई का 25.7% से ज्यादा हिस्सा खा रहा है। यह पांच साल पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है।
सिंघल की यह बात दिखाती है कि अब लोग खर्च करने के लिए कर्ज लेने को आम मानने लगे हैं। लोग अब विदेश घूमने जाने के लिए पर्सनल लोन ले रहे हैं या फिर iPhone खरीदने के लिए ईएमआई भर रहे हैं। सिंघल ने बताया कि ऐप्स, NBFCs और ' बाय नाउ, पे लेटर' (Buy Now, Pay Later) जैसी सुविधाओं से कर्ज लेना बहुत आसान हो गया है। यह आसान रास्ता लोगों को लुभा रहा है।
क्या था पुराना तरीकाआशीष सिंघल ने अपनी पोस्ट में बताया, 'भारत कभी अपनी बचत के लिए जाना जाता था। हम दशकों तक अपनी कमाई का 23 से 25% हिस्सा बचाते थे। लेकिन अब ये आंकड़ा तेजी से गिर रहा है।
सिंघल ने आगाह किया कि लोन पर ब्याज लगता है और वह बढ़ता जाता है। लाइफस्टाइल को आसानी से बदला नहीं जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या होगा जब यह पीढ़ी 40 या 50 साल की होगी और उन्हें एहसास होगा कि उन्होंने अपनी 20s और 30s दौलत बनाने के बजाय EMI भरने में बिता दी? उन्होंने लिखा कि भारत एक दशक से भी कम समय में 'पहले बचाओ, फिर खर्च करो' से 'पहले खर्च करो, बाद में चुकाओ' की राह पर चल पड़ा है।
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