नई दिल्लीः जेएनयूएसयू चुनाव के लिए प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हो गई है। मैदान सज चुका है। सभी संगठनों के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है। लेफ्ट की तीन विंग का पैनल एबीवीपी को टक्कर देगा। लेफ्ट पैनल से इस बार आइसा की उम्मीदवार प्रेजिडेंट पोस्ट पर लड़ेंगी। जेएनयूएसयू के चुनाव 4 नवंबर को है, 2 नवंबर को प्रेजिडेंशल डिबेट होगी, जिसमें सभी कैंडिडेट अपने मुद्दे स्टूडेंट्स के सामने रखेंगे, जो प्रचार का आखिरी दिन भी होगा। 4 नवंबर को ही वोटों की गिनती होगी। शेड्यूल के हिसाब से 6 नवंबर तक रिजल्ट जारी हो जाएगा।
ये हैं प्रेजिडेंट कैंडिडेटप्रेजिडेंट पोस्ट पर इस बार 8 उम्मीदवार हैं। चार पदों-प्रेजिडेंट, वाइस प्रेजिडेंट, जनरल सेक्रेटरी और सेक्रेटरी के लिए कुल 20 उम्मीदवार हैं। प्रेजिडेंट पोस्ट पर 7, वाइस प्रेजिडेंट पोस्ट पर 3, जनरल सेक्रेटरी के लिए 5 और जॉइंट सेक्रेटरी के लिए 5 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। यूनाइटेड लेफ्ट पैनल से अदिति, एबीवीपी से विकास पटेल, बापसा से राजरतन राजोरिया, एनएसयूआई से विकास रेस में है। अदिति पीएचडी स्टूडेंट है, विकास पटेल भी पीएचडी कर रहे हैं।
विकास का कहना है, हम स्टूडेंट्स की समस्याओं पर काम करेंगे क्योंकि 12 साल से कैंपस में लेफ्ट काउंसिल रहा है और उन्होंने कैंपस को बदहाल किया है। सस्ते ट्रांसपोर्ट, मेडिकल, लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स सुविधाओं के लिए काम करेंगे, इन मुद्दों को लेकर सीएम से भी मिले है और उन्होंने आश्वासन दिया है। वहीं, अदिति का कहना है कि वो एबीवीपी की बढ़ती हिंसा के खिलाफ संघर्ष करेंगे और सबको क्वॉलिटी एजुकेशन देने और जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (GSCASH) को फिर से बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 2017 में जेएनयू में GSCASH की जगह आईसीसी लायी गई थी, जिसके बाद से लेफ्ट इसे फिर से लाने की मांग कर रहा है।
प्रेजिडेंट पोस्ट पर इस बार 8 उम्मीदवारप्रेजिडेंट पोस्ट पर शिरशावा इंदु 'दिशा' संगठन, तो अंगद सिंह, शिंदे विजयलक्ष्मी वैकेट राव भी दूसरे संगठनों और निर्दलीय उम्मीदवार है। लेफ्ट और राइट की टक्कर है, जो कई बार अलग-अलग मसलों पर टकराते रहते हैं। लेफ्ट पैनल का कहना है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परेशानियों जैसे कई मसलों को लेकर वह स्टूडेंट्स के बीच जाएगा। वहीं, एबीवीपी का कहना है कि सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने, सस्ती शिक्षा को लेकर वो काम करेगा।
इस पैनल में सिर्फ AISA और DSF शामिल थेJNU के चुनाव में इस बार मुकाबला रोमांचक रहने वाला है। ABVP को टक्कर देने के लिए लेफ्ट संगठन फिर एकजुट हो गए है। पिछले साल लेफ्ट खेमे में टूट हुई थी। इसका नुकसान उसे एक सीट गंवाकर उठाना पड़ा था। इस बार AISA, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) एक साथ मैदान में है। पिछले साल इस पैनल में सिर्फ AISA और DSF शामिल थे।
JNUSU के चुनाव 4 नवंबर को होने हैंAISA, SFI और DSF के इस पैनल ने अदिति को प्रेजिडेंट की पोस्ट के लिए उतारा है। वे AISA से है। AISA और SFI दोनों के वोटर्स कैंपस में ज्यादा है इसलिए इसका फायदा लेफ्ट को होगा। हालांकि, AISF इस बार भी इन संगठनों से अलग रही है। पिछले साल बापसा के साथ इसका पैनल था। ऐसे में देखना होगा कि क्या AISF और वापसा यूनाइटेड पैनल के खिलाफ पैनल बनाएगा या नहीं? दूसरी ओर ABVP ने अपने संभावित 12 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद इन्हीं नामों में से चार पोस्ट के उम्मीदवारों के नाम फाइनल होंगे। लेफ्ट के लिए सबसे खराब माने जाने वाले साल 2016 में ABVP के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए लेफ्ट ने पैनल बनाया था। AISA और SFI ने मिलकर ABVP को हराया। 2017-18 में यूनाइटेड पैनल में AISA, SFI और DSF थे और AISA के नाम दो सीटें रही थीं। 2018-19 में AISA, SFI, DSF के साथ AISF जुड़ा।
पिछले साल टूटा था लेफ्टपिछले चुनाव में JNU में लेफ्ट जरूर जीती मगर एक सीट पर ABVP की जीत और बाकी सीटों पर कम वोटों के अंतर ने लेफ्ट संगठनों का कॉन्फिडेंस हिला दिया। वाम संगठनों के गढ़ JNU में इस बार चार लेफ्ट संगठनों का पुराना पैनल टूटकर दो हिस्सों में बंटा और अलग-अलग चुनाव लड़ा। पिछले चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट-AISA और DSF के पैनल में तीन सीटों- प्रेजिडेंट, वाइस प्रेजिडेंट और जनरल सेक्रेटरी के पद पर जीत हासिल की थी। वहीं, इन दोनों से अलग होकर SFI और AISF ने बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन (पीएसए) के साथ हाथ मिलाकर अपना पैनल बनाया और नुकसान में रहे।
ये हैं प्रेजिडेंट कैंडिडेटप्रेजिडेंट पोस्ट पर इस बार 8 उम्मीदवार हैं। चार पदों-प्रेजिडेंट, वाइस प्रेजिडेंट, जनरल सेक्रेटरी और सेक्रेटरी के लिए कुल 20 उम्मीदवार हैं। प्रेजिडेंट पोस्ट पर 7, वाइस प्रेजिडेंट पोस्ट पर 3, जनरल सेक्रेटरी के लिए 5 और जॉइंट सेक्रेटरी के लिए 5 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। यूनाइटेड लेफ्ट पैनल से अदिति, एबीवीपी से विकास पटेल, बापसा से राजरतन राजोरिया, एनएसयूआई से विकास रेस में है। अदिति पीएचडी स्टूडेंट है, विकास पटेल भी पीएचडी कर रहे हैं।
विकास का कहना है, हम स्टूडेंट्स की समस्याओं पर काम करेंगे क्योंकि 12 साल से कैंपस में लेफ्ट काउंसिल रहा है और उन्होंने कैंपस को बदहाल किया है। सस्ते ट्रांसपोर्ट, मेडिकल, लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स सुविधाओं के लिए काम करेंगे, इन मुद्दों को लेकर सीएम से भी मिले है और उन्होंने आश्वासन दिया है। वहीं, अदिति का कहना है कि वो एबीवीपी की बढ़ती हिंसा के खिलाफ संघर्ष करेंगे और सबको क्वॉलिटी एजुकेशन देने और जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (GSCASH) को फिर से बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 2017 में जेएनयू में GSCASH की जगह आईसीसी लायी गई थी, जिसके बाद से लेफ्ट इसे फिर से लाने की मांग कर रहा है।
प्रेजिडेंट पोस्ट पर इस बार 8 उम्मीदवारप्रेजिडेंट पोस्ट पर शिरशावा इंदु 'दिशा' संगठन, तो अंगद सिंह, शिंदे विजयलक्ष्मी वैकेट राव भी दूसरे संगठनों और निर्दलीय उम्मीदवार है। लेफ्ट और राइट की टक्कर है, जो कई बार अलग-अलग मसलों पर टकराते रहते हैं। लेफ्ट पैनल का कहना है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परेशानियों जैसे कई मसलों को लेकर वह स्टूडेंट्स के बीच जाएगा। वहीं, एबीवीपी का कहना है कि सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने, सस्ती शिक्षा को लेकर वो काम करेगा।
इस पैनल में सिर्फ AISA और DSF शामिल थेJNU के चुनाव में इस बार मुकाबला रोमांचक रहने वाला है। ABVP को टक्कर देने के लिए लेफ्ट संगठन फिर एकजुट हो गए है। पिछले साल लेफ्ट खेमे में टूट हुई थी। इसका नुकसान उसे एक सीट गंवाकर उठाना पड़ा था। इस बार AISA, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) एक साथ मैदान में है। पिछले साल इस पैनल में सिर्फ AISA और DSF शामिल थे।
JNUSU के चुनाव 4 नवंबर को होने हैंAISA, SFI और DSF के इस पैनल ने अदिति को प्रेजिडेंट की पोस्ट के लिए उतारा है। वे AISA से है। AISA और SFI दोनों के वोटर्स कैंपस में ज्यादा है इसलिए इसका फायदा लेफ्ट को होगा। हालांकि, AISF इस बार भी इन संगठनों से अलग रही है। पिछले साल बापसा के साथ इसका पैनल था। ऐसे में देखना होगा कि क्या AISF और वापसा यूनाइटेड पैनल के खिलाफ पैनल बनाएगा या नहीं? दूसरी ओर ABVP ने अपने संभावित 12 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद इन्हीं नामों में से चार पोस्ट के उम्मीदवारों के नाम फाइनल होंगे। लेफ्ट के लिए सबसे खराब माने जाने वाले साल 2016 में ABVP के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए लेफ्ट ने पैनल बनाया था। AISA और SFI ने मिलकर ABVP को हराया। 2017-18 में यूनाइटेड पैनल में AISA, SFI और DSF थे और AISA के नाम दो सीटें रही थीं। 2018-19 में AISA, SFI, DSF के साथ AISF जुड़ा।
पिछले साल टूटा था लेफ्टपिछले चुनाव में JNU में लेफ्ट जरूर जीती मगर एक सीट पर ABVP की जीत और बाकी सीटों पर कम वोटों के अंतर ने लेफ्ट संगठनों का कॉन्फिडेंस हिला दिया। वाम संगठनों के गढ़ JNU में इस बार चार लेफ्ट संगठनों का पुराना पैनल टूटकर दो हिस्सों में बंटा और अलग-अलग चुनाव लड़ा। पिछले चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट-AISA और DSF के पैनल में तीन सीटों- प्रेजिडेंट, वाइस प्रेजिडेंट और जनरल सेक्रेटरी के पद पर जीत हासिल की थी। वहीं, इन दोनों से अलग होकर SFI और AISF ने बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन (पीएसए) के साथ हाथ मिलाकर अपना पैनल बनाया और नुकसान में रहे।
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