नई दिल्ली: सोने चांदी की कीमतें ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के बाद अब गिरावट के दौर में हैं। दिवाली से लेकर अब तक सोने-चांदी की कीमत काफी गिर गई है। ऐसे में काफी लोग इन्हें खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं। कारण है कि कई एक्सपर्ट ने आने वाले समय में इसमें फिर से तेजी की बात कही है। वहीं एक एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है। इनका कहना है कि फिजिकल सोने-चांदी की खरीदारी महंगी पड़ सकती है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नितिन कौशिक ने एक्स पर एक पोस्ट में निवेशकों को फिजिकल गोल्ड और सिल्वर की चमक-दमक से सावधान रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर भावनात्मक जुड़ाव के कारण इन धातुओं में निवेश के छिपे हुए खर्चों और कमियों को नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि लोगों को सोना और चांदी सुरक्षित लगते हैं। वे चमकते हैं। वे अमीरी का एहसास कराते हैं। इसके बाद उन्होंने फिजिकल कीमती धातुओं में निवेश की तीन ऐसी चुनौतियों के बारे में बताया जिन पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते। ये तीन चीजें स्प्रेड ट्रैप, स्टोरेज और शुद्धता हैं।
1. क्या है स्प्रेड ट्रैप?कौशिक ने बताया कि ज्यादातर छोटे निवेशक 'बाय-सेल स्प्रेड' को कम आंकते हैं। यह वह अंतर होता है जो आप खरीदने के समय चुकाते हैं और बेचने के समय आपको मिलता है। उन्होंने कहा कि फिजिकल सोना खरीदने का मतलब है रिटेल कीमत चुकाना, जिसमें डीलर का मार्जिन, जीएसटी और मेकिंग चार्ज शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि जब आप सोना या चांदी बेचते हैं तो आपको होलसेल कीमत मिलती है।
उन्होंने एक उदाहरण देकर समझाया कि अगर कोई शख्स 1.22 लाख रुपये प्रति किलो के भाव से सोना खरीदता है, तो उसे बेचने पर शायद 1.18 लाख रुपये ही मिलें। इसका मतलब है कि बाजार भाव में कोई बदलाव न होने पर भी उसे तुरंत 4,000 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो जाएगा। इसकी तुलना में डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ETF में स्प्रेड सिर्फ 500 से 2000 रुपये प्रति किलो तक होता है, जो लंबे समय के निवेशकों के लिए लागत के मामले में बहुत बेहतर है।
2. स्टोरेज और सेफ्टीफिजिकल सोने को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर, बीमा और चोरी से सुरक्षा जैसी चीजों की जरूरत होती है। इन सबमें लगातार खर्च आता है और चिंता भी बनी रहती है। कौशिक ने बताया कि 10 किलो सोने के लिए सालाना लॉकर का किराया काफी ज्यादा हो सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसमें हमेशा 'मन की शांति का जोखिम' भी रहता है।
इसके विपरीत डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्प इंश्योर्ड, ऑडिटेड वॉल्ट्स (सुरक्षित तिजोरियों) में रखे जाते हैं। कौशिक ने कहा कि डिजिटल गोल्ड या सिल्वर में 10 लाख रुपये का निवेश बिल्कुल झंझट-मुक्त होता है और आपको कभी यह चिंता नहीं करनी पड़ती कि इसे कहां रखें।
3. शुद्धता को लेकर चिंतानितिन कौशिक ने अपनी पोस्ट में बताया है कि हॉलमार्क वाले फिजिकल सोने में भी छिपी हुई अशुद्धियां हो सकती हैं या उसे बेचने पर कम दाम मिल सकते हैं। खासकर गहनों के मामले में क्योंकि उनमें मेकिंग चार्ज जुड़ा होता है। कौशिक ने चेतावनी दी कि शुद्धता को अक्सर हल्के में लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर आप भरोसेमंद डीलरों से सोना या चांदी न खरीदें तो इनमें मिलावट हो सकती है। ऐसे में इन्हें बेचने पर कम कीमत मिल सकती है।
उन्होंने बताया कि डिजिटल गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में शुद्धता की गारंटी होती है और ये सेबी रेगुलेटेड कस्टोडियन या सर्टिफाइड वॉल्ट्स द्वारा समर्थित होते हैं। इससे बेचने के समय टेस्टिंग या क्वालिटी को लेकर कोई विवाद नहीं होता।
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नितिन कौशिक ने एक्स पर एक पोस्ट में निवेशकों को फिजिकल गोल्ड और सिल्वर की चमक-दमक से सावधान रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर भावनात्मक जुड़ाव के कारण इन धातुओं में निवेश के छिपे हुए खर्चों और कमियों को नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि लोगों को सोना और चांदी सुरक्षित लगते हैं। वे चमकते हैं। वे अमीरी का एहसास कराते हैं। इसके बाद उन्होंने फिजिकल कीमती धातुओं में निवेश की तीन ऐसी चुनौतियों के बारे में बताया जिन पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते। ये तीन चीजें स्प्रेड ट्रैप, स्टोरेज और शुद्धता हैं।
1. क्या है स्प्रेड ट्रैप?कौशिक ने बताया कि ज्यादातर छोटे निवेशक 'बाय-सेल स्प्रेड' को कम आंकते हैं। यह वह अंतर होता है जो आप खरीदने के समय चुकाते हैं और बेचने के समय आपको मिलता है। उन्होंने कहा कि फिजिकल सोना खरीदने का मतलब है रिटेल कीमत चुकाना, जिसमें डीलर का मार्जिन, जीएसटी और मेकिंग चार्ज शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि जब आप सोना या चांदी बेचते हैं तो आपको होलसेल कीमत मिलती है।
उन्होंने एक उदाहरण देकर समझाया कि अगर कोई शख्स 1.22 लाख रुपये प्रति किलो के भाव से सोना खरीदता है, तो उसे बेचने पर शायद 1.18 लाख रुपये ही मिलें। इसका मतलब है कि बाजार भाव में कोई बदलाव न होने पर भी उसे तुरंत 4,000 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो जाएगा। इसकी तुलना में डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ETF में स्प्रेड सिर्फ 500 से 2000 रुपये प्रति किलो तक होता है, जो लंबे समय के निवेशकों के लिए लागत के मामले में बहुत बेहतर है।
2. स्टोरेज और सेफ्टीफिजिकल सोने को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर, बीमा और चोरी से सुरक्षा जैसी चीजों की जरूरत होती है। इन सबमें लगातार खर्च आता है और चिंता भी बनी रहती है। कौशिक ने बताया कि 10 किलो सोने के लिए सालाना लॉकर का किराया काफी ज्यादा हो सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसमें हमेशा 'मन की शांति का जोखिम' भी रहता है।
इसके विपरीत डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्प इंश्योर्ड, ऑडिटेड वॉल्ट्स (सुरक्षित तिजोरियों) में रखे जाते हैं। कौशिक ने कहा कि डिजिटल गोल्ड या सिल्वर में 10 लाख रुपये का निवेश बिल्कुल झंझट-मुक्त होता है और आपको कभी यह चिंता नहीं करनी पड़ती कि इसे कहां रखें।
Thinking of buying gold & silver physically? Read this before you commit.
— CA Nitin Kaushik (FCA) | LLB (@Finance_Bareek) October 25, 2025
Gold and silver feel safe. They shine. They create a sense of wealth.
But before you rush to buy physical metal, let’s talk about three challenges most investors overlook 🧵👇🏼#StockMarket… pic.twitter.com/7QxSmj1lrR
3. शुद्धता को लेकर चिंतानितिन कौशिक ने अपनी पोस्ट में बताया है कि हॉलमार्क वाले फिजिकल सोने में भी छिपी हुई अशुद्धियां हो सकती हैं या उसे बेचने पर कम दाम मिल सकते हैं। खासकर गहनों के मामले में क्योंकि उनमें मेकिंग चार्ज जुड़ा होता है। कौशिक ने चेतावनी दी कि शुद्धता को अक्सर हल्के में लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर आप भरोसेमंद डीलरों से सोना या चांदी न खरीदें तो इनमें मिलावट हो सकती है। ऐसे में इन्हें बेचने पर कम कीमत मिल सकती है।
उन्होंने बताया कि डिजिटल गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में शुद्धता की गारंटी होती है और ये सेबी रेगुलेटेड कस्टोडियन या सर्टिफाइड वॉल्ट्स द्वारा समर्थित होते हैं। इससे बेचने के समय टेस्टिंग या क्वालिटी को लेकर कोई विवाद नहीं होता।
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