राजेश चौधरी, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड से जुड़े अंतिम बचे मामले में सुरेंद्र कोली की सजा को रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोली द्वारा दायर क्युरेटिव याचिका को स्वीकार कर लिया। यह याचिका 2011 के उस फैसले के खिलाफ थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा था।
कोली ने यह क्युरेटिव याचिका इस आधार पर दायर की थी कि उसे बाकी बारह मामलों में बरी किया जा चुका है। जस्टिस विक्रम नाथ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट का 15 फरवरी 2011 का वह फैसला, जिसमें उसकी सजा को बरकरार रखा गया था, और 28 अक्टूबर 2014 का वह आदेश, जिसमें उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज की गई थी दोनों को रद्द कर दिया गया और उसे बरी कर दिया गया।
कोर्ट ने कोली की आपराधिक अपील स्वीकार करते हुए 13 फरवरी 2009 के सेशन कोर्ट के फैसले और 11 अक्टूबर 2009 के निर्णय को भी रद्द कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि यदि कोली किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाए।
क्युरेटिव याचिका का तर्क
कोली ने यह क्युरेटिव याचिका इस आधार पर दायर की थी कि उसे बाकी बारह मामलों में बरी किया जा चुका है। जस्टिस विक्रम नाथ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट का 15 फरवरी 2011 का वह फैसला, जिसमें उसकी सजा को बरकरार रखा गया था, और 28 अक्टूबर 2014 का वह आदेश, जिसमें उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज की गई थी दोनों को रद्द कर दिया गया और उसे बरी कर दिया गया।
कोर्ट ने कोली की आपराधिक अपील स्वीकार करते हुए 13 फरवरी 2009 के सेशन कोर्ट के फैसले और 11 अक्टूबर 2009 के निर्णय को भी रद्द कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि यदि कोली किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाए।
क्युरेटिव याचिका का तर्क
- सुरेंद्र कोली ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी क्युरेटिव याचिका में दलील दी थी कि जिस साक्ष्य (सबूत) के आधार पर उसे इस मामले में दोषी ठहराया गया था, वही साक्ष्य अन्य मामलों में अविश्वसनीय पाया गया था, जिनमें उसे बाद में बरी कर दिया गया।
- पीठ ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी कि यदि इस एकमात्र मामले में सजा को बरकरार रखा जाता है, जबकि अन्य सभी मामलों में समान साक्ष्यों के आधार पर वह बरी हो चुका है, तो यह एक विसंगतिपूर्ण स्थिति होगी।
- गौरतलब है कि यह कोली के खिलाफ आखिरी बची सजा थी। इससे पहले, जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों को खारिज कर दिया था, जिसमें कोली और उसके सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर को निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में बरी किया गया था। यानी जुलाई में 14 मामलों में कोली को राहत मिल चुकी थी।
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