कन्नौज : उत्तर प्रदेश के कन्नौज में किशोर को कोबरा के डंसने के बाद बचाए जाने का मामला सामने आया है। पिछले दिनों कई स्थानों से जहरीले सांप के डसने के बाद मौत की खबरें सामने आई। इन मामलों में पीड़ित के परिजन उसे लेकर ओझा के पास पहुंचे। चमत्कार की उम्मीद की। हालांकि, मेडिकल साइंस का चमत्कार सामने आया है, जब डॉक्टरों ने 76 इंजेक्शन देकर किशोर की जान बचा ली। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर किशोर के इलाज के लिए लाने की वजह से ही उसकी जान बचाई जा सकी है।
क्या है मामला?कन्नौज के उदैतापुर गांव में शुक्रवार को लकड़ी बीनने गए 15 वर्षीय करन को जहरीले कोबरा ने डस लिया। उसकी चीख सुनकर पहुंचे परिजनों और ग्रामीणों ने सांप को लाठी-डंडों से मार डाला और करन को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया। जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. हरि माधव यादव ने बताया कि इलाज के लिए लाए गए करन की हालत बेहद गंभीर थी।
डॉक्टर यादव ने कहा कि कोबरा का जहर इतना तेजी से असर कर रहा था कि सिर्फ दो घंटे में ही उसे 76 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन देने पड़े। यानी हर डेढ़ मिनट में एक इंजेक्शन। डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से करन की जान बच गई। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है। हालांकि, वह अभी भी गहन निगरानी में है।
मृत कोबरा को लेकर पहुंचा भाईकरन को डंसने वाले सांप को लोगों ने मार दिया था। करन का भाई सूरज मरे हुए कोबरा को भी डिब्बे में भरकर अस्पताल ले आया। उसने कहा कि डॉक्टर को सटीक प्रजाति की पहचान में मदद मिले, इसलिए ऐसा किया। डॉक्टर यादव ने बताया कि यह उनका अब तक का सबसे बड़ा केस था, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में इंजेक्शन देकर किसी मरीज की जान बचाई गई।
डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इलाज में कोई देरी नहीं हुई। गांव में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं, परिवार डॉक्टरों की तत्परता को करन की जिंदगी बचाने का सबसे बड़ा कारण मान रहा है।
क्या है मामला?कन्नौज के उदैतापुर गांव में शुक्रवार को लकड़ी बीनने गए 15 वर्षीय करन को जहरीले कोबरा ने डस लिया। उसकी चीख सुनकर पहुंचे परिजनों और ग्रामीणों ने सांप को लाठी-डंडों से मार डाला और करन को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया। जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. हरि माधव यादव ने बताया कि इलाज के लिए लाए गए करन की हालत बेहद गंभीर थी।
डॉक्टर यादव ने कहा कि कोबरा का जहर इतना तेजी से असर कर रहा था कि सिर्फ दो घंटे में ही उसे 76 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन देने पड़े। यानी हर डेढ़ मिनट में एक इंजेक्शन। डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से करन की जान बच गई। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है। हालांकि, वह अभी भी गहन निगरानी में है।
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डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इलाज में कोई देरी नहीं हुई। गांव में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं, परिवार डॉक्टरों की तत्परता को करन की जिंदगी बचाने का सबसे बड़ा कारण मान रहा है।
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