नालंदा: नालंदा विधानसभा सीट बिहार की सबसे चर्चित और हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। इस सीट का सीधा संबंध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से है, जिनका इस इलाके में गहरा प्रभाव माना जाता है। इस बार एनडीए की ओर से जेडीयू प्रत्याशी और मंत्री श्रवण कुमार एक बार फिर मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया चुनौती दे रहे हैं। दोनों के बीच इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
पहले चरण के तहत आज यहां मतदान हो रहा है। मतदान को लेकर मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। लाइव अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहिए....
नालंदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
नालंदा विधानसभा क्षेत्र नालंदा जिले के नूरसराय और बेन प्रखंडों के साथ-साथ सिलाव, बिहारशरीफ और राजगीर प्रखंड के कुछ गांवों को मिलाकर बना है। यह सीट लंबे समय से जदयू का मजबूत गढ़ मानी जाती है। जदयू नेता श्रवण कुमार यहां लगातार 7 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि, एक समय यह सीट कांग्रेस का गढ़ थी। कांग्रेस नेता श्याम सुंदर सिंह ने तीन बार इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 1985 के बाद कांग्रेस यहां फिर वापसी नहीं कर सकी। इसके बाद से यह सीट जदयू के कब्जे में रही है। अब तक राजद (RJD) और भाजपा (BJP) इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाए हैं।
नालंदा सीट पर वोटर्स और जातीय समीकरण
नालंदा विधानसभा एक ग्रामीण क्षेत्र है, जहां सभी वोटर्स गांवों से आते हैं। वोटर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या 3,10,070 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,26,659 हो गई। यहां का जातीय समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाता है। मुख्य मतदाता वर्गों में कुर्मी, पासवान और यादव समुदाय की संख्या सबसे अधिक है, जबकि राजपूत, कोइरी और भूमिहार वोटरों की भी उल्लेखनीय उपस्थिति है। इन सभी की भूमिका यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान
नालंदा केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा नालंदा म्यूजियम, चंडी-मौ गांव, और खंडहर इस जिले की गौरवशाली विरासत को दर्शाते हैं। धार्मिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र प्रसिद्ध है—ब्लैक बुद्धा, जुआफरडीह स्तूप, और रुक्मिणी स्थान जैसे स्थल यहां की पहचान हैं। साथ ही सिलाव का खाजा भी दुनियाभर में मशहूर है, जो नालंदा की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत बनाता है।
पहले चरण के तहत आज यहां मतदान हो रहा है। मतदान को लेकर मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। लाइव अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहिए....
नालंदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
नालंदा विधानसभा क्षेत्र नालंदा जिले के नूरसराय और बेन प्रखंडों के साथ-साथ सिलाव, बिहारशरीफ और राजगीर प्रखंड के कुछ गांवों को मिलाकर बना है। यह सीट लंबे समय से जदयू का मजबूत गढ़ मानी जाती है। जदयू नेता श्रवण कुमार यहां लगातार 7 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि, एक समय यह सीट कांग्रेस का गढ़ थी। कांग्रेस नेता श्याम सुंदर सिंह ने तीन बार इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 1985 के बाद कांग्रेस यहां फिर वापसी नहीं कर सकी। इसके बाद से यह सीट जदयू के कब्जे में रही है। अब तक राजद (RJD) और भाजपा (BJP) इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाए हैं।
नालंदा सीट पर वोटर्स और जातीय समीकरण
नालंदा विधानसभा एक ग्रामीण क्षेत्र है, जहां सभी वोटर्स गांवों से आते हैं। वोटर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या 3,10,070 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,26,659 हो गई। यहां का जातीय समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाता है। मुख्य मतदाता वर्गों में कुर्मी, पासवान और यादव समुदाय की संख्या सबसे अधिक है, जबकि राजपूत, कोइरी और भूमिहार वोटरों की भी उल्लेखनीय उपस्थिति है। इन सभी की भूमिका यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान
नालंदा केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा नालंदा म्यूजियम, चंडी-मौ गांव, और खंडहर इस जिले की गौरवशाली विरासत को दर्शाते हैं। धार्मिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र प्रसिद्ध है—ब्लैक बुद्धा, जुआफरडीह स्तूप, और रुक्मिणी स्थान जैसे स्थल यहां की पहचान हैं। साथ ही सिलाव का खाजा भी दुनियाभर में मशहूर है, जो नालंदा की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत बनाता है।
You may also like

'मेरे रिटायरमेंट के बाद सुनवाई चाहते हैं?': सीजेआई बीआर गवई ने केंद्र को क्यों लगाई फटकार

गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं, फिर भी वहां से अंजूम खान का बन गया बर्थ सर्टिफिकेट

बिहार में भारी बहुमत से बनने जा रही भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार: ब्रजेश पाठक

ONGC Apprentice Recruitment 2025: 2743 पदों के लिए आवेदन करने की आज है आखिरी तारीख, डायरेक्ट लिंक यहां

तुम बीमार हो, अस्पताल चलो... पति ने 11 लाख में किया पत्नी की किडनी का सौदा, ऑपरेशन से पहले खुली पोल




