नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की भारत को लेकर टैरिफ की घोषणा के बाद यूएस के साथ डिप्लोमेसी के सामने फिलहाल कई चुनौतियां हैं। एक ओर जहां भारत सरकार ने बयान जारी कर इन फैसलों को गैरवाजिब ठहराया है। लेकिन साथ ही भारत ये भी मानता रहा है कि दोनों देशों के संबंधों ने कई पड़ाव देखें हैं। सरकार उम्मीद जता रही है कि सामने आए संकट से भी रिश्ते पार पा जाएंगे। अस्थिर और अनिश्चित जियो पॉलिटिकल हालातों में ट्रंप के बयान ने संबंधों को ऐसे बिंदु पर छोड़ा है, जहां से भारत को बहुत सधी डिप्लोमेसी से काम लेना होगा।
जितना झुकेगा उतना घाटे में रहेगा
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार अमिताभ सिंह कहते हैं कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अब काफी बदलाव आ गया है। भारत और ट्रंप के संबंध अतीत में अच्छे रहे हैं, लेकिन अब भारत- पाकिस्तान संघर्ष के बाद दुनिया में हमारे दोस्त कम हो गए हैं। जिस तरह की कूटनीति या टैरिफ पॉलिसी ट्रंप कर रहे हैं। उसमें जो देश जितना झुकेगा, उतना घाटे में रहेगा। इसलिए भारत को अमेरिका के आगे झुकना नहीं चाहिए। और भारत ने ऐसा साफ भी किया है कि ऐसे राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा जाएगा।
चीन के साथ नजदीकी वक्त की जरूरत
हाल के वक्त में चीन के साथ संबंध बेहतर हुए हैं . ORF से जुड़े चीनी मामलों के जानकार कल्पित ए मणकिक्कर का कहना है कि चीन के साथ संबंध सामान्य करना वक्त की जरूरत है। टैरिफ और व्यापार के संदर्भ में ये अहम है कि हम अपने विकल्प खुले रखें और लचीले बने रहें । अंतरराष्ट्रीय टैरिफ की दरें लंबी वार्ताओं का परिणाम होती हैं, लेकिन एक दिन में जिस तरह से इसे उल्टा किया गया है, वो किसी के हित में नहीं।
ऐसे में ये जरूरी है कि भारत अपनी टेक्टिकल एकोमोडेशन की इस नीति पर चलता रहे। चीन के साथ भारत फिलहाल इसी नीति पर चल रहा है, जिसमें चीन के साथ दिक्कत भरे मुद्दों के बावजूद दूसरे क्षेत्रों में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति बनी है । आर्थिक सुरक्षा के लिहाज़ से भी भारत के लिए ये जरूरी है।
क्या चीन और रूस को साधेगा भारत
पीएम मोदी का इस महीने के आखिर में चीन जाने का कार्यक्रम है। गलवान संघर्ष के बाद पहली बार दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व की इस तरह की यात्रा हो रही है। वहीं मॉस्को दौरे पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने कहा है कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तारीख भी करीब करीब फाइनल हो गई हैं।
टैरिफ को लेकर सरकार की माथापच्ची के बीच डोवाल का दौरा बहुत कुछ कहता है। अमरेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच जिस तरह भारत की चीन और रूस दोनों के साथ इंगेजमेंट दिखी है, उससे डिप्लोमेसी की दिशा को लेकर बहत संकेत मिलते हैं।
जितना झुकेगा उतना घाटे में रहेगा
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार अमिताभ सिंह कहते हैं कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अब काफी बदलाव आ गया है। भारत और ट्रंप के संबंध अतीत में अच्छे रहे हैं, लेकिन अब भारत- पाकिस्तान संघर्ष के बाद दुनिया में हमारे दोस्त कम हो गए हैं। जिस तरह की कूटनीति या टैरिफ पॉलिसी ट्रंप कर रहे हैं। उसमें जो देश जितना झुकेगा, उतना घाटे में रहेगा। इसलिए भारत को अमेरिका के आगे झुकना नहीं चाहिए। और भारत ने ऐसा साफ भी किया है कि ऐसे राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा जाएगा।
चीन के साथ नजदीकी वक्त की जरूरत
हाल के वक्त में चीन के साथ संबंध बेहतर हुए हैं . ORF से जुड़े चीनी मामलों के जानकार कल्पित ए मणकिक्कर का कहना है कि चीन के साथ संबंध सामान्य करना वक्त की जरूरत है। टैरिफ और व्यापार के संदर्भ में ये अहम है कि हम अपने विकल्प खुले रखें और लचीले बने रहें । अंतरराष्ट्रीय टैरिफ की दरें लंबी वार्ताओं का परिणाम होती हैं, लेकिन एक दिन में जिस तरह से इसे उल्टा किया गया है, वो किसी के हित में नहीं।
ऐसे में ये जरूरी है कि भारत अपनी टेक्टिकल एकोमोडेशन की इस नीति पर चलता रहे। चीन के साथ भारत फिलहाल इसी नीति पर चल रहा है, जिसमें चीन के साथ दिक्कत भरे मुद्दों के बावजूद दूसरे क्षेत्रों में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति बनी है । आर्थिक सुरक्षा के लिहाज़ से भी भारत के लिए ये जरूरी है।
क्या चीन और रूस को साधेगा भारत
पीएम मोदी का इस महीने के आखिर में चीन जाने का कार्यक्रम है। गलवान संघर्ष के बाद पहली बार दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व की इस तरह की यात्रा हो रही है। वहीं मॉस्को दौरे पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने कहा है कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तारीख भी करीब करीब फाइनल हो गई हैं।
टैरिफ को लेकर सरकार की माथापच्ची के बीच डोवाल का दौरा बहुत कुछ कहता है। अमरेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच जिस तरह भारत की चीन और रूस दोनों के साथ इंगेजमेंट दिखी है, उससे डिप्लोमेसी की दिशा को लेकर बहत संकेत मिलते हैं।
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