प्रवीन मोहता, कानपुर: मोबाइल फोटोग्राफी, पैथ लैब में एक्सरे या एमआरआई या फिर आकाशगंगा में तारे... इन तीनों में इमेजिंग कॉमन है। इमेज यानी फोटो। अब तक किसी वस्तु, लाइट सोर्स और डिटेक्टर के जरिए इमेजिंग हो रही है, लेकिन नैशनल क्वांटम मिशन में आईआईटी कानपुर में चल रही रिसर्च इमेजिंग की दुनिया में बड़ा परिवर्तन ला सकती है।
प्रोफेसर आनंद कुमार झा के अनुसार, हम लाइट के क्वांटम सोर्स और क्वांटम डिटेक्टर का इस्तेमाल करेंगे। हमें उम्मीद है कि पुराने ऑब्जेक्ट को हम ज्यादा बढ़िया तरह से देख सकेंगे। कुछ ऐसे फीचर भी देख सकेंगे, जो अब तक परंपरागत लाइट से नहीं देख पा रहे हैं।
भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आनंद कुमार झा ने बताया कि क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत 125 साल पुराने हैं, लेकिन इसकी आधारभूत चीजें अब भी समझी जा रही हैं। जो चीजें स्पष्ट हो चुकी हैं, उनका इस्तेमाल कर कुछ नई तकनीक बनाने के प्रयास जारी हैं। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी की मदद से क्वांटम एन्टेंगलमेंट एन्हैंस्ड इमेजिंग सिस्टम्स प्रॉजेक्ट शुरू किया गया है।
मौजूदा परंपरागत इमेजिंग में ऑब्जेक्ट पर लाइट डालकर डिटेक्टर पिक्चर क्लिक करते हैं। लेकिन हम क्वांटम लाइट सोर्स और क्वांटम डिटेक्टर का इस्तेमाल कर इमेजिंग करेंगे। उदाहरण के तौर पर भी कोहरे में दौड़ने वाली ट्रेनों के ड्राइवरों को स्क्रीन पर आगे की कुछ तस्वीर दिखती है। हम मानते हैं कि अभी इन तस्वीरों में जितनी स्पष्टता है, क्वांटम इमेजिंग में उससे कहीं ज्यादा स्पष्टता होगी। कुछ ऐसी चीजें दिखेंगी, जो अब तक नहीं दिख रही हैं।
प्रोफेसर आनंद कुमार झा के अनुसार, हम लाइट के क्वांटम सोर्स और क्वांटम डिटेक्टर का इस्तेमाल करेंगे। हमें उम्मीद है कि पुराने ऑब्जेक्ट को हम ज्यादा बढ़िया तरह से देख सकेंगे। कुछ ऐसे फीचर भी देख सकेंगे, जो अब तक परंपरागत लाइट से नहीं देख पा रहे हैं।
भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आनंद कुमार झा ने बताया कि क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत 125 साल पुराने हैं, लेकिन इसकी आधारभूत चीजें अब भी समझी जा रही हैं। जो चीजें स्पष्ट हो चुकी हैं, उनका इस्तेमाल कर कुछ नई तकनीक बनाने के प्रयास जारी हैं। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी की मदद से क्वांटम एन्टेंगलमेंट एन्हैंस्ड इमेजिंग सिस्टम्स प्रॉजेक्ट शुरू किया गया है।
मौजूदा परंपरागत इमेजिंग में ऑब्जेक्ट पर लाइट डालकर डिटेक्टर पिक्चर क्लिक करते हैं। लेकिन हम क्वांटम लाइट सोर्स और क्वांटम डिटेक्टर का इस्तेमाल कर इमेजिंग करेंगे। उदाहरण के तौर पर भी कोहरे में दौड़ने वाली ट्रेनों के ड्राइवरों को स्क्रीन पर आगे की कुछ तस्वीर दिखती है। हम मानते हैं कि अभी इन तस्वीरों में जितनी स्पष्टता है, क्वांटम इमेजिंग में उससे कहीं ज्यादा स्पष्टता होगी। कुछ ऐसी चीजें दिखेंगी, जो अब तक नहीं दिख रही हैं।
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