अभय सिंह राठौड़, लखनऊ/रामपुर: समाजवादी पार्टी की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खान लंबे समय से सीतापुर जेल में बंद थे। हाल ही में वह जेल से रिहा होकर रामपुर घर आ गए हैं। जेल से रिहा होने के बाद से आजम खान लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं। उनके बहुजन समाज पार्टी में जाने की भी चर्चाएं चल रही हैं। इसी बीच सपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे आजम खान को अचानक से मुलायम सिंह यादव की याद आ गई है। नेताजी के दौर को याद करते हुए आजम खान ने कहा कि मैं जहां उंगली रख देता था, मुलायम सिंह यादव वहां साइन कर देते थे।
सपा नेता आजम खान ने बताया कि वह सपा के शुरुआती दिनों में नेताजी के बेहद करीब थे। राजनीतिक भरोसा अर्जित करना बड़ी मेहनत और कुर्बानी का नतीजा था। निजी टीवी चैनल से बात करते हुए आजम खान ने नेताजी के प्रति अपने निजी अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा कि नेताजी से कभी सोने-चांदी के कंगन या कोठी-बंगले जैसी चीजें नहीं मांगीं। उन्होंने बताया कि जब उनकी पत्नी के इलाज के समय उनके यहां खर्च की चिंता थी, तब नेताजी ने अपनी जेब से एक लिफाफा भेजा था, जिसे उन्होंने वापस कर दिया था, क्योंकि पत्नी का जहां इलाज चल रहा था, वहां फ्री इलाज होता था।
बातचीत के दौरान आजम खान ने अपने सियासी सफर के बारे में भी बताया कि मैं सियासत में नहीं आना चाहता था। मैं पढ़ाने का काम करना चाहता था। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के समय उन्हें भी जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि उन्हें इंदिरा गांधी ने सियासत में ला दिया है। मैं जबरदस्ती राजनीति में आया हूं। इसके साथ ही आजम खान ने बताया कि 50 साल की राजनीति में वह किसी कोठी के मालिक नहीं बने थे और जिन जमीनों के संबंध में इल्जाम हैं, वे जमीनें उनकी ही जाति या बिरादरी के लोगों के कब्जे में थी। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोगों के बयान अदालत में दर्ज हैं और वे किसी एक मुकदमे का स्पष्ट जिक्र करने को कहते हैं।
आजम खान ने मुलायम सिंह यादव के दौर को याद करते हुए कहा कि उस भरोसे के पीछे समर्पण था। उन्होंने कहा कि ये भरोसा पैदा भी तो एक बहुत बड़ी कुर्बानी और मेहनत के बाद हासिल होता है। बता दें कि फिलहाल आजम खान को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। 8 अक्टूबर को सपा मुखिया अखिलेश यादव आजम खान से मिलने रामपुर जा सकते हैं। अखिलेश और आजम की यह मुलाकात कई संदेश दे सकती है, क्योंकि दावा किया जा रहा है कि आजम खान सपा से नाराज हैं और आने वाले समय में बसपा में जा सकते हैं। हालांकि, आजम खान की ओर से इन अटकलों को समय-समय पर खारिज किया गया है।
सपा नेता आजम खान ने बताया कि वह सपा के शुरुआती दिनों में नेताजी के बेहद करीब थे। राजनीतिक भरोसा अर्जित करना बड़ी मेहनत और कुर्बानी का नतीजा था। निजी टीवी चैनल से बात करते हुए आजम खान ने नेताजी के प्रति अपने निजी अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा कि नेताजी से कभी सोने-चांदी के कंगन या कोठी-बंगले जैसी चीजें नहीं मांगीं। उन्होंने बताया कि जब उनकी पत्नी के इलाज के समय उनके यहां खर्च की चिंता थी, तब नेताजी ने अपनी जेब से एक लिफाफा भेजा था, जिसे उन्होंने वापस कर दिया था, क्योंकि पत्नी का जहां इलाज चल रहा था, वहां फ्री इलाज होता था।
बातचीत के दौरान आजम खान ने अपने सियासी सफर के बारे में भी बताया कि मैं सियासत में नहीं आना चाहता था। मैं पढ़ाने का काम करना चाहता था। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के समय उन्हें भी जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि उन्हें इंदिरा गांधी ने सियासत में ला दिया है। मैं जबरदस्ती राजनीति में आया हूं। इसके साथ ही आजम खान ने बताया कि 50 साल की राजनीति में वह किसी कोठी के मालिक नहीं बने थे और जिन जमीनों के संबंध में इल्जाम हैं, वे जमीनें उनकी ही जाति या बिरादरी के लोगों के कब्जे में थी। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोगों के बयान अदालत में दर्ज हैं और वे किसी एक मुकदमे का स्पष्ट जिक्र करने को कहते हैं।
आजम खान ने मुलायम सिंह यादव के दौर को याद करते हुए कहा कि उस भरोसे के पीछे समर्पण था। उन्होंने कहा कि ये भरोसा पैदा भी तो एक बहुत बड़ी कुर्बानी और मेहनत के बाद हासिल होता है। बता दें कि फिलहाल आजम खान को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। 8 अक्टूबर को सपा मुखिया अखिलेश यादव आजम खान से मिलने रामपुर जा सकते हैं। अखिलेश और आजम की यह मुलाकात कई संदेश दे सकती है, क्योंकि दावा किया जा रहा है कि आजम खान सपा से नाराज हैं और आने वाले समय में बसपा में जा सकते हैं। हालांकि, आजम खान की ओर से इन अटकलों को समय-समय पर खारिज किया गया है।
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