नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की सिक्युरिटी यूनिट के एक डीसीपी ने अपने दो सीनियर अफसरों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है। पुलिस कमिश्नर (CP) सतीश गोलचा को 10 नवंबर को लिखे लेटर में दिल्ली, अंडमान-निकोबार आइसलैंड, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादर एंड नगर हवेली पुलिस सर्विस (DANIPS) के अधिकारी ने इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के जॉइंट सीपी और अडिशनल सीपी रैंक के दो अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस पहले भी दानिप्स और आईपीएस कैडर के अफसरों के बीच खींचतान के मामले सामने आते रहे हैं।
8 नवंबर तक मेडिकल लीव पर थेविपुल अनेकांत 2012 बैच के दानिप्स अफसर है, जो फिलहाल सिक्योरिटी यूनिट में तैनात थे। वह केंद्रीय गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की सुरक्षा देखने वाली सेल के डीसीपी थे। उन्होंने सीपी को भेजे लेटर में आरोप लगाया है कि वह 8 नवंबर तक मेडिकल लीव पर थे। आखिरी दिन यानी 8 नवंबर की शाम को सिक्योरिटी की पीआर सेल के एसीपी और इंस्पेक्टर ने उनके घर पर इस तरह से 'रेड' की, जैसे वो हत्या के आरोपी हों। यह 'छापेमारी' सिक्योरिटी यूनिट के जॉइंट सीपी और अडिशनल सीपी के कहने पर की गई थी। वह उस वक्त हैदरपुर स्थित पुलिस कॉलोनी के अपने आवास पर नहीं थे।
सीपी को मेडिकल सर्टिफिकेट भेज चुके थेदावा है कि एसीपी को कॉल कर छापेमारी की वजह पूछी तो उन्होंने पांच दिन के मेडिकल सर्टिफिकेट (बुखार खांसी) की असलियत जानने के खातिर मेडिकल बोर्ड के सामने जांच के लिए लेने आए हैं। एसीपी से वाट्सऐप या ई-मेल के जरिए इसका ऑर्डर भेजने को कहा तो इसे भेजने का भरोसा दिया। लेकिन उन्हें मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने का कोई भी ऑर्डर नहीं भेजा गया। उनका कहना है कि 4 नवंबर को वह अडिशनल सीपी को मेडिकल सर्टिफिकेट भेज चुके थे, जिन्होंने मौखिक कहा था कि वह दोबारा से उनकी मेडिकल जांच करवाएंगी। इसकी लिखित सूचना कोई नहीं दी।
जॉइंट सीपी से अनुमति लेने के निर्देश दिएडीसीपी ने लेटर में लिखा है कि तेज बुखार होने पर उन्होंने अडिशनल सीपी से रेस्ट का अनुरोध किया तो उन्होंने जॉइंट सीपी से अनुमति लेने के निर्देश दिए। जॉइंट सीपी उन्हें फोन पर परमिशन दे दी, लेकिन अडिशनल सीपी ने आधे घंटे के भीतर मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करने को कहा। ऐसा नहीं करने पर अनुपस्थित मानने की बात कही। वह तेज बुखार में ही अस्पताल गए और मेडिकल वट्सऐप किया। इस पर सवाल उठाए तो उन्होंने जरूरत पड़ने पर मेडिकल बोर्ड से जांच की पेशकश की, लेकिन फिलहाल रेस्ट देने का अनुरोध किया।
अपमानित करने का आरोपदावा है कि बिहार चुनाव के लिए स्पेशल सीपी (ऑपरेशन) की 23 अक्टूबर की मीटिंग फोन साइलेट रखने को कहा गया था। कंट्रोल रूम से कॉल आया तो पिक नहीं किया। थोड़ी देर में बाहर से पर्ची आई और जॉइंट सीपी से बात करने को लिखा था। मीटिंग खत्म होने पर कॉल की तो वह भड़क गए और मेमो देने तक की धमकी देने लगे। दूसरी तरफ, 31 अक्टूबर 2025 को पटेल चौक पर सुबह 5:34 बजे पहुंचे थे तो अडिशनल सीपी ने 5:50 बजे कॉल कर पटेल चौक नहीं पहुंचने की बात कहते हुए झिड़का, जबकि वह वही मौजूद थे और अपनी लाइव लोकेशन फिर उन्हें शेयर की। आरोप है कि दोनों अफसर जानबूझकर उन्हे अपमानित करने के लिए अक्सर ऐसा करते थे।
8 नवंबर तक मेडिकल लीव पर थेविपुल अनेकांत 2012 बैच के दानिप्स अफसर है, जो फिलहाल सिक्योरिटी यूनिट में तैनात थे। वह केंद्रीय गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की सुरक्षा देखने वाली सेल के डीसीपी थे। उन्होंने सीपी को भेजे लेटर में आरोप लगाया है कि वह 8 नवंबर तक मेडिकल लीव पर थे। आखिरी दिन यानी 8 नवंबर की शाम को सिक्योरिटी की पीआर सेल के एसीपी और इंस्पेक्टर ने उनके घर पर इस तरह से 'रेड' की, जैसे वो हत्या के आरोपी हों। यह 'छापेमारी' सिक्योरिटी यूनिट के जॉइंट सीपी और अडिशनल सीपी के कहने पर की गई थी। वह उस वक्त हैदरपुर स्थित पुलिस कॉलोनी के अपने आवास पर नहीं थे।
सीपी को मेडिकल सर्टिफिकेट भेज चुके थेदावा है कि एसीपी को कॉल कर छापेमारी की वजह पूछी तो उन्होंने पांच दिन के मेडिकल सर्टिफिकेट (बुखार खांसी) की असलियत जानने के खातिर मेडिकल बोर्ड के सामने जांच के लिए लेने आए हैं। एसीपी से वाट्सऐप या ई-मेल के जरिए इसका ऑर्डर भेजने को कहा तो इसे भेजने का भरोसा दिया। लेकिन उन्हें मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने का कोई भी ऑर्डर नहीं भेजा गया। उनका कहना है कि 4 नवंबर को वह अडिशनल सीपी को मेडिकल सर्टिफिकेट भेज चुके थे, जिन्होंने मौखिक कहा था कि वह दोबारा से उनकी मेडिकल जांच करवाएंगी। इसकी लिखित सूचना कोई नहीं दी।
जॉइंट सीपी से अनुमति लेने के निर्देश दिएडीसीपी ने लेटर में लिखा है कि तेज बुखार होने पर उन्होंने अडिशनल सीपी से रेस्ट का अनुरोध किया तो उन्होंने जॉइंट सीपी से अनुमति लेने के निर्देश दिए। जॉइंट सीपी उन्हें फोन पर परमिशन दे दी, लेकिन अडिशनल सीपी ने आधे घंटे के भीतर मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करने को कहा। ऐसा नहीं करने पर अनुपस्थित मानने की बात कही। वह तेज बुखार में ही अस्पताल गए और मेडिकल वट्सऐप किया। इस पर सवाल उठाए तो उन्होंने जरूरत पड़ने पर मेडिकल बोर्ड से जांच की पेशकश की, लेकिन फिलहाल रेस्ट देने का अनुरोध किया।
अपमानित करने का आरोपदावा है कि बिहार चुनाव के लिए स्पेशल सीपी (ऑपरेशन) की 23 अक्टूबर की मीटिंग फोन साइलेट रखने को कहा गया था। कंट्रोल रूम से कॉल आया तो पिक नहीं किया। थोड़ी देर में बाहर से पर्ची आई और जॉइंट सीपी से बात करने को लिखा था। मीटिंग खत्म होने पर कॉल की तो वह भड़क गए और मेमो देने तक की धमकी देने लगे। दूसरी तरफ, 31 अक्टूबर 2025 को पटेल चौक पर सुबह 5:34 बजे पहुंचे थे तो अडिशनल सीपी ने 5:50 बजे कॉल कर पटेल चौक नहीं पहुंचने की बात कहते हुए झिड़का, जबकि वह वही मौजूद थे और अपनी लाइव लोकेशन फिर उन्हें शेयर की। आरोप है कि दोनों अफसर जानबूझकर उन्हे अपमानित करने के लिए अक्सर ऐसा करते थे।
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