वॉशिंगटन: वाइट हाउस ने अपना दावा दोहराया है कि भारत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध पर रूस से तेल खरीद कम कर दी है। जबकि नई दिल्ली साफ कर चुका है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हित और उपभोक्ता सुरक्षा पर आधारित है। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कोई डेवलपमेंट न होने से "बेहद निराश" हैं और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंधों का नया दौर, मास्को की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा।
लेविट ने कहा कि "अगर आप प्रतिबंधों को पढ़ें और उन्हें ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि वो काफी सख्त हैं। मैंने आज सुबह कुछ अंतरराष्ट्रीय खबरें देखीं कि चीन, रूस से तेल खरीदना कम कर रहा है। हम जानते हैं कि राष्ट्रपति के अनुरोध पर भारत ने भी ऐसा ही किया है। राष्ट्रपति ने यूरोपीय देशों, यानी हमारे सहयोगी देशों से भी रूसी तेल खरीदना बंद करने का आग्रह किया है।"
रूसी तेल को लेकर अमेरिका का नया दावा
आपको बता दें कि वाइट हाउस की प्रेस सचिव की यह टिप्पणी उस वक्त आई है, जब रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका ने नये प्रतिबंध लगा दिए हैं। जिनका मकसद क्रेमलिन के ऊर्जा राजस्व को और सीमित करना है। उन्होंने आगे कहा, "यह निश्चित रूप से प्रेशर बनाने की कोशिश है और हमें उम्मीद है कि ये प्रतिबंध नुकसान पहुंचाएंगे, जैसा कि वित्त मंत्री ने कल कहा था।" हालाँकि, भारत ने कार्रवाई के किसी भी दावे को खारिज करते हुए दोहराया है कि भारत की ऊर्जा नीति स्वतंत्र है और स्थिर कीमतों और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
वाइट हाउस की प्रवक्ता ने आगे कहा कि "राष्ट्रपति ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस बात से निराश हैं कि उन्होंने शांति समझौते की दिशा में "पर्याप्त दिलचस्पी या कार्रवाई नहीं" दिखाई।" आपको बता दें कि दोनों नेताओं की इस साल के अंत में मुलाकात होने की उम्मीद थी, लेकिन मॉस्को द्वारा अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद यह बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है। लीविट ने कहा, "राष्ट्रपति हमेशा से कहते रहे हैं कि जब उन्हें उचित और जरूरी लगेगा, तब वे रूस पर प्रतिबंध लगाएंगे। कल वह दिन था।"
लेविट ने कहा कि "अगर आप प्रतिबंधों को पढ़ें और उन्हें ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि वो काफी सख्त हैं। मैंने आज सुबह कुछ अंतरराष्ट्रीय खबरें देखीं कि चीन, रूस से तेल खरीदना कम कर रहा है। हम जानते हैं कि राष्ट्रपति के अनुरोध पर भारत ने भी ऐसा ही किया है। राष्ट्रपति ने यूरोपीय देशों, यानी हमारे सहयोगी देशों से भी रूसी तेल खरीदना बंद करने का आग्रह किया है।"
रूसी तेल को लेकर अमेरिका का नया दावा
आपको बता दें कि वाइट हाउस की प्रेस सचिव की यह टिप्पणी उस वक्त आई है, जब रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका ने नये प्रतिबंध लगा दिए हैं। जिनका मकसद क्रेमलिन के ऊर्जा राजस्व को और सीमित करना है। उन्होंने आगे कहा, "यह निश्चित रूप से प्रेशर बनाने की कोशिश है और हमें उम्मीद है कि ये प्रतिबंध नुकसान पहुंचाएंगे, जैसा कि वित्त मंत्री ने कल कहा था।" हालाँकि, भारत ने कार्रवाई के किसी भी दावे को खारिज करते हुए दोहराया है कि भारत की ऊर्जा नीति स्वतंत्र है और स्थिर कीमतों और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
वाइट हाउस की प्रवक्ता ने आगे कहा कि "राष्ट्रपति ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस बात से निराश हैं कि उन्होंने शांति समझौते की दिशा में "पर्याप्त दिलचस्पी या कार्रवाई नहीं" दिखाई।" आपको बता दें कि दोनों नेताओं की इस साल के अंत में मुलाकात होने की उम्मीद थी, लेकिन मॉस्को द्वारा अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद यह बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है। लीविट ने कहा, "राष्ट्रपति हमेशा से कहते रहे हैं कि जब उन्हें उचित और जरूरी लगेगा, तब वे रूस पर प्रतिबंध लगाएंगे। कल वह दिन था।"
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