खार्तूम: सूडान 2023 से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। यह गृहयुद्ध दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच झगड़े से शुरू हुआ। अब यह गृहयुद्ध एक भीषण संघर्ष में बदल गया है। इस गृहयुद्ध में दोनों ही पक्षों के लाखों लोग मारे जा चुके हैं, जबकि इससे कई गुना अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। बड़ी संख्या में लोगों को सूडान से पड़ोसी देशों में पलायन भी करना पड़ा है। हालांकि, इसमें संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि संयुक्त अरब अमीरात ने अपने फायदे के लिए एक पक्ष को समर्थन दिया और दूसरे के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया। सूडानी सेना ने इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत में यूएई के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।
सूडान ने यूएई पर लगाए हैं गंभीर आरोप
सूडान ने आरोप लगाया कि यूएई ने सूडानी गृहयुद्ध में अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (आरएसएफ) का समर्थन किया है, जिसमें हजारों लोग मारे गए हैं, लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं और कई लोग अकाल का सामना कर रहे हैं। यूएई ने आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया तथा मामले को "राजनीतिक नाटक" और "एक सनकी प्रचार स्टंट" करार दिया। हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि यूएई ने नरसंहार कन्वेंशन के अनुच्छेद 9 से बाहर रहने का विकल्प चुना है, जिसका अर्थ है कि अन्य देश उस पर नरसंहार के आरोपों को लेकर मुकदमा नहीं चला सकते।
सूडानी अर्धसैनिक बल की कैसे मदद कर रहा यूएई
सूडान मामले में दावा किया गया था कि यूएई द्वारा आरएसएफ को कथित सैन्य, वित्तीय और सैन्य सहायता ने गैर-अरब समुदायों, विशेष रूप से दारफुर में मसालित लोगों के खिलाफ व्यवस्थित हमलों को संभव बनाया। इन आरोपों में सामूहिक हत्याएं, जबरन विस्थापन और यौन हिंसा को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शामिल था। दावा किया गया है कि यूएई ने कथित तौर पर आरएसएफ को हथियारों की आपूर्ति की है और भाड़े के सैनिकों की भर्ती करने में भी मदद की है।
सूडान में सामूहिक हत्याएं और अराजकता क्यों?
सूडान में सबसे भीषण मानवीय संकट कहे जाने वाले इस संकट में हजारों लोग मारे गए हैं और कम से कम 1.2 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं। लगभग 2.5 करोड़ लोग अकाल जैसी खाद्य स्थिति का सामना कर रहे हैं। सूडान के लंबे समय तक तानाशाह रहे उमर अल-बशीर को महीनों के व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद 2019 में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। सेना ने लोकतंत्र का वादा करते हुए नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। लेकिन वादा किया गया लोकतंत्र कभी नहीं आया।
सूडान में अंतरिक्ष से दिखी तबाही
सूडान से सामूहिक हत्याओं की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, जिससे दुनिया भर में आक्रोश फैल रहा है। येल विश्वविद्यालय ने उत्तरी दारफुर स्थित सूडानी शहर अल-फशर से सैटेलाइट तस्वीरें जारी की है। अंतरिक्ष से ली गई इन तस्वीरों में जमीन सचमुच खून से लाल दिखाई दे रही है। आरोप है कि अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के लड़ाकों ने दारफुर निवासियों की बड़े पैमाने पर हत्याएं की हैं।
सूडानी सेना और आरएसएफ में क्या अंतर
सूडानी सेना फिर से नियंत्रण स्थापित करना और देश को बचाने की कोशिश कर रही है। उसने अर्धसैनिक बल आरएसएफ को आतंकवादी करार दिया है और दारफुर में हुए नरसंहारों का बदला लेने की कसम खाई है। सेना को मिस्र, तुर्की और ईरान का समर्थन प्राप्त है। आज, सेना का उत्तरी क्षेत्र और लाल सागर तट के अधिकांश हिस्से पर कब्जा है। वही अर्धसैनिक बल आरएसएफ हाशिए पर पड़े इलाकों और लोकतंत्र के लिए लड़ने का दावा करती है। लेकिन वह एक मिलिशिया साम्राज्य की तरह व्यवहार कर रही है। उसने व्यापारियों पर टैक्स लगाया है, खदानों का दोहन किया है और लोगों को डराकर रख रही है।
संयुक्त अरब अमीरात सूडान में आरएसएफ का समर्थन क्यों कर रहा है?
सूडानी अर्धसैनिक बल आरएसएफ को संयुक्त अरब अमीरात और लीबिया का समर्थन प्राप्त है। इसकी मदद से आरएसएफ ने पश्चिमी और मध्य सूडान में लगभग पूरे दारफुर और कोर्डोफन पर नियंत्रण स्थापित किया हुआ है। नील नदी में अस्थिरता के डर से मिस्र आधिकारिक सेना का समर्थन करता है। संयुक्त अरब अमीरात पर सोने की तस्करी और अवैध रसद नेटवर्क के माध्यम से आरएसएफ को धन मुहैया कराने का आरोप लगाया गया है।
संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ दुनिया में आक्रोश
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य सारा जैकब्स ने संयुक्त अरब अमीरात पर दोष मढ़ते हुए लिखा, "सूडान में एल फ़शर पर आरएसएफ द्वारा कब्ज़ा करने की तस्वीरें देखकर मैं बहुत दुखी हूँ। संयुक्त अरब अमीरात को तुरंत अपना समर्थन बंद कर देना चाहिए।" ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के पूर्व कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने X पर लिखा, "संयुक्त अरब अमीरात को बेचे गए ब्रिटिश हथियार सूडान में पाए जा रहे हैं, जहाँ संयुक्त अरब अमीरात अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेस को नरसंहार करने के लिए हथियार मुहैया करा रहा है।"
सूडान ने यूएई पर लगाए हैं गंभीर आरोप
सूडान ने आरोप लगाया कि यूएई ने सूडानी गृहयुद्ध में अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (आरएसएफ) का समर्थन किया है, जिसमें हजारों लोग मारे गए हैं, लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं और कई लोग अकाल का सामना कर रहे हैं। यूएई ने आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया तथा मामले को "राजनीतिक नाटक" और "एक सनकी प्रचार स्टंट" करार दिया। हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि यूएई ने नरसंहार कन्वेंशन के अनुच्छेद 9 से बाहर रहने का विकल्प चुना है, जिसका अर्थ है कि अन्य देश उस पर नरसंहार के आरोपों को लेकर मुकदमा नहीं चला सकते।
सूडानी अर्धसैनिक बल की कैसे मदद कर रहा यूएई
सूडान मामले में दावा किया गया था कि यूएई द्वारा आरएसएफ को कथित सैन्य, वित्तीय और सैन्य सहायता ने गैर-अरब समुदायों, विशेष रूप से दारफुर में मसालित लोगों के खिलाफ व्यवस्थित हमलों को संभव बनाया। इन आरोपों में सामूहिक हत्याएं, जबरन विस्थापन और यौन हिंसा को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शामिल था। दावा किया गया है कि यूएई ने कथित तौर पर आरएसएफ को हथियारों की आपूर्ति की है और भाड़े के सैनिकों की भर्ती करने में भी मदद की है।
सूडान में सामूहिक हत्याएं और अराजकता क्यों?
सूडान में सबसे भीषण मानवीय संकट कहे जाने वाले इस संकट में हजारों लोग मारे गए हैं और कम से कम 1.2 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं। लगभग 2.5 करोड़ लोग अकाल जैसी खाद्य स्थिति का सामना कर रहे हैं। सूडान के लंबे समय तक तानाशाह रहे उमर अल-बशीर को महीनों के व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद 2019 में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। सेना ने लोकतंत्र का वादा करते हुए नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। लेकिन वादा किया गया लोकतंत्र कभी नहीं आया।
सूडान में अंतरिक्ष से दिखी तबाही
सूडान से सामूहिक हत्याओं की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, जिससे दुनिया भर में आक्रोश फैल रहा है। येल विश्वविद्यालय ने उत्तरी दारफुर स्थित सूडानी शहर अल-फशर से सैटेलाइट तस्वीरें जारी की है। अंतरिक्ष से ली गई इन तस्वीरों में जमीन सचमुच खून से लाल दिखाई दे रही है। आरोप है कि अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के लड़ाकों ने दारफुर निवासियों की बड़े पैमाने पर हत्याएं की हैं।
सूडानी सेना और आरएसएफ में क्या अंतर
सूडानी सेना फिर से नियंत्रण स्थापित करना और देश को बचाने की कोशिश कर रही है। उसने अर्धसैनिक बल आरएसएफ को आतंकवादी करार दिया है और दारफुर में हुए नरसंहारों का बदला लेने की कसम खाई है। सेना को मिस्र, तुर्की और ईरान का समर्थन प्राप्त है। आज, सेना का उत्तरी क्षेत्र और लाल सागर तट के अधिकांश हिस्से पर कब्जा है। वही अर्धसैनिक बल आरएसएफ हाशिए पर पड़े इलाकों और लोकतंत्र के लिए लड़ने का दावा करती है। लेकिन वह एक मिलिशिया साम्राज्य की तरह व्यवहार कर रही है। उसने व्यापारियों पर टैक्स लगाया है, खदानों का दोहन किया है और लोगों को डराकर रख रही है।
संयुक्त अरब अमीरात सूडान में आरएसएफ का समर्थन क्यों कर रहा है?
सूडानी अर्धसैनिक बल आरएसएफ को संयुक्त अरब अमीरात और लीबिया का समर्थन प्राप्त है। इसकी मदद से आरएसएफ ने पश्चिमी और मध्य सूडान में लगभग पूरे दारफुर और कोर्डोफन पर नियंत्रण स्थापित किया हुआ है। नील नदी में अस्थिरता के डर से मिस्र आधिकारिक सेना का समर्थन करता है। संयुक्त अरब अमीरात पर सोने की तस्करी और अवैध रसद नेटवर्क के माध्यम से आरएसएफ को धन मुहैया कराने का आरोप लगाया गया है।
संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ दुनिया में आक्रोश
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य सारा जैकब्स ने संयुक्त अरब अमीरात पर दोष मढ़ते हुए लिखा, "सूडान में एल फ़शर पर आरएसएफ द्वारा कब्ज़ा करने की तस्वीरें देखकर मैं बहुत दुखी हूँ। संयुक्त अरब अमीरात को तुरंत अपना समर्थन बंद कर देना चाहिए।" ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के पूर्व कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने X पर लिखा, "संयुक्त अरब अमीरात को बेचे गए ब्रिटिश हथियार सूडान में पाए जा रहे हैं, जहाँ संयुक्त अरब अमीरात अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेस को नरसंहार करने के लिए हथियार मुहैया करा रहा है।"
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