बमाको: अफ्रीकी देश माली में बड़े उथलपुथल का संकेत मिल रहा है। ओसामा बिन लादेन के आतंकी गुट अल कायदा से संबद्ध समूह जेएनआईएम ने माली में तेजी से अपनी ताकत बढ़ाई है। इस गुट के लड़ाके माली की राजधानी बमाको के करीब पहुंच रहे हैं। देश की सैन्य सरकार और उसके रूसी सहयोगी इस जिहादी समूह का मुकाबला करने में संघर्ष कर रहे हैं। सेना की कोशिश के बावजूद इस गुट ने देश के कई हिस्सों में अपना दबदबा बना लिया है। इनके राजधानी के करीब पहुंचने से एक बड़ी चिंता पैदा हो रही है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अल कायदा से जुड़े जमात नुसरत अल-इस्लाम अल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) के लड़ाकें बमाकों को घेर रहे हैं। उन्होंने राजधानी आने वाली सड़कें बंद कर दी हैं। वह सैन्य गश्ती दलों और टैंकर ट्रकों पर घात लगा रहे हैं। इससे बमाको में आम जिंदगी पटरी से उतर रही है। खासतौर से तेल की कमी बड़ी परेशानी का सबब बन रही है।
वाहनों को नहीं मिल रहा तेलबमाको में पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल पंपों पर मोटरसाइकिलों और दूसरे वाहनों की लंबी कतारें दिखाई देखी गई हैं। ईंधन की कमी के कारण स्कूल और कॉलेज बंद हैं। इसकी वजह पिछले दो महीनों से जेएनआईएम लड़ाकों के ईंधन आपूर्ति पर किए गए हमले हैं। खासतौर से आइवरी कोस्ट और सेनेगल से आने वाले टैंकरों को लड़ाकों ने निशाना बनाया है।
विश्लेषक डेनियल गारोफालो ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि जेएनआईएम ने नाकाबंदी के जरिए आर्थिक युद्ध अभियान तेज किया है। इसके जवाब में सरकारी बलों ने गश्त बढ़ा दी है और लड़ाकू हेलीकॉप्टरों से हमले किए हैं। सेना के हमले लगातार जारी हैं लेकिन मध्य और दक्षिणी माली के बड़े हिस्से में ईंधन की कमी के चलते सरकारी बलों की टुकड़ियां अलग-थलग पड़ रही हैं।
जेएनआईएम ने कैसे बढ़ाई ताकतजेएनआईएम कई वर्षों से माली में सक्रिय है। इसका गठन 2017 में जिहादी गुटों के एक गठबंधन के रूप में हुआ था। इस गुट ने अल कायदा के प्रति अपनी निष्ठा घोषित की है। हाल के वर्षों में इसकी ताकत बढ़ी है, जिससे मध्य और पश्चिमी माली के अधिकांश हिस्सों में अस्थिरता आई है। इस गुट ने कारखानों, औद्योगिक सुविधाओं, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और कारीगर सोने के खनन स्थलों पर हमला किया है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि जेएनआईएम का बढ़ता प्रभाव सत्ता परिवर्तन की वजह भी बन सकता है। इनका कहना है कि माली में एक और तख्तापलट या असिमी गोइता के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार का पतन खासतौर से सहेल को और ज्यादा अस्थिर कर देगा। इससे यहां सक्रिय उग्रवादी समूहों को अपनी गतिविधियां बढ़ाने का मौका मिल जाएगा।
आगे क्या हो सकता है?रिपोर्ट कहती है कि उग्रवादियों का बमाको पर सीधा हमला करने की कोई तैयारी का कोई संकेत नहीं है। उनकी रणनीति राजधानी को घेरने और सैन्य जुंटा के खिलाफ अशांति भड़काने की प्रतीत होती है। जेएनआईएम के उग्रवादी स्थानीय समुदायों में घुल-मिल जाते हैं और अपने परिवेश को अच्छी तरह समझते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि जेएनआईएम आबादी के गरीब तबके और जातीय अल्पसंख्यकों के असंतोष और मांगों को व्यक्त करने में बहुत कुशल हो गया है। जेएनआईएम आखिरकार बमाको में अपनी पसंद की सरकार पर जोर देगा, भले ही वे खुद नियंत्रण ना लें। वह अपने मिजाज की सरकार को ला सकता है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अल कायदा से जुड़े जमात नुसरत अल-इस्लाम अल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) के लड़ाकें बमाकों को घेर रहे हैं। उन्होंने राजधानी आने वाली सड़कें बंद कर दी हैं। वह सैन्य गश्ती दलों और टैंकर ट्रकों पर घात लगा रहे हैं। इससे बमाको में आम जिंदगी पटरी से उतर रही है। खासतौर से तेल की कमी बड़ी परेशानी का सबब बन रही है।
वाहनों को नहीं मिल रहा तेलबमाको में पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल पंपों पर मोटरसाइकिलों और दूसरे वाहनों की लंबी कतारें दिखाई देखी गई हैं। ईंधन की कमी के कारण स्कूल और कॉलेज बंद हैं। इसकी वजह पिछले दो महीनों से जेएनआईएम लड़ाकों के ईंधन आपूर्ति पर किए गए हमले हैं। खासतौर से आइवरी कोस्ट और सेनेगल से आने वाले टैंकरों को लड़ाकों ने निशाना बनाया है।
विश्लेषक डेनियल गारोफालो ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि जेएनआईएम ने नाकाबंदी के जरिए आर्थिक युद्ध अभियान तेज किया है। इसके जवाब में सरकारी बलों ने गश्त बढ़ा दी है और लड़ाकू हेलीकॉप्टरों से हमले किए हैं। सेना के हमले लगातार जारी हैं लेकिन मध्य और दक्षिणी माली के बड़े हिस्से में ईंधन की कमी के चलते सरकारी बलों की टुकड़ियां अलग-थलग पड़ रही हैं।
जेएनआईएम ने कैसे बढ़ाई ताकतजेएनआईएम कई वर्षों से माली में सक्रिय है। इसका गठन 2017 में जिहादी गुटों के एक गठबंधन के रूप में हुआ था। इस गुट ने अल कायदा के प्रति अपनी निष्ठा घोषित की है। हाल के वर्षों में इसकी ताकत बढ़ी है, जिससे मध्य और पश्चिमी माली के अधिकांश हिस्सों में अस्थिरता आई है। इस गुट ने कारखानों, औद्योगिक सुविधाओं, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और कारीगर सोने के खनन स्थलों पर हमला किया है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि जेएनआईएम का बढ़ता प्रभाव सत्ता परिवर्तन की वजह भी बन सकता है। इनका कहना है कि माली में एक और तख्तापलट या असिमी गोइता के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार का पतन खासतौर से सहेल को और ज्यादा अस्थिर कर देगा। इससे यहां सक्रिय उग्रवादी समूहों को अपनी गतिविधियां बढ़ाने का मौका मिल जाएगा।
आगे क्या हो सकता है?रिपोर्ट कहती है कि उग्रवादियों का बमाको पर सीधा हमला करने की कोई तैयारी का कोई संकेत नहीं है। उनकी रणनीति राजधानी को घेरने और सैन्य जुंटा के खिलाफ अशांति भड़काने की प्रतीत होती है। जेएनआईएम के उग्रवादी स्थानीय समुदायों में घुल-मिल जाते हैं और अपने परिवेश को अच्छी तरह समझते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि जेएनआईएम आबादी के गरीब तबके और जातीय अल्पसंख्यकों के असंतोष और मांगों को व्यक्त करने में बहुत कुशल हो गया है। जेएनआईएम आखिरकार बमाको में अपनी पसंद की सरकार पर जोर देगा, भले ही वे खुद नियंत्रण ना लें। वह अपने मिजाज की सरकार को ला सकता है।
You may also like

युगांडा में धर्म परिवर्तन के कारण पिता ने बेटी को जिंदा जलाया

Ek Deewane Ki Deewaniyat: बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन जारी

चूना खाने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ: 15 दिनों में 12 रोगों से छुटकारा

बेंगलुरु में चालान से बचने के लिए व्यक्ति ने पहना कढ़ाई, वीडियो हुआ वायरल

इंदौर में आधी रात 'ऑपरेशन क्लीन', राऊ में ज्वलनशील केमिकल और 40 हजार टायरों का अवैध भंडारण, 10 फैक्ट्रियों पर ताला




