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ममता के एक बयान पर मचा था घमासान, अब पीड़िता के पिता ने क्यों मांगी माफी?

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दो दिन पहले जिस पिता का गुस्सा बंगाल की मुख्यमंत्री पर फूट पड़ा था,आज उसी पिता के हाथ जुड़े हुए थे और आँखों में अपनी बेटी के लिए न्याय की गुहार थी। दुर्गापुर गैंगरेप पीड़िता के पिता,जिन्होंने गुस्से में बंगाल की तुलना'औरंगजेब के शासन'से कर दी थी,ने अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हाथ जोड़कर माफी मांग ली है।यह एक पिता का वो दर्द है,जो कभी गुस्से में तो कभी बेबसी में छलक रहा है।'आप माँ जैसी हैं,मुझे माफ कर दीजिए'बुधवार को पीड़िता के पिता के सुर पूरी तरह बदले हुए थे। उन्होंने कहा, "ममता बनर्जी मेरे लिए मां के समान हैं। अगर मैंने गुस्से में कुछ भी गलत कहा है,तो मैं उनसे हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं। मैं उनके चरणों में सौ बार नमन करता हूं,लेकिन मैं उनसे अपनी बेटी को न्याय दिलाने की अपील भी करता हूं।"लेकिन इस माफी का मतलब यह नहीं है कि न्याय के लिए उनकी लड़ाई कमज़ोर पड़ गई है। उन्होंने साफ किया कि वे आज भी इस मामले कीCBIजांचकी मांग पर कायम हैं।तो आखिर यह पूरा घमासान शुरू कहाँ से हुआ?इस पूरे बवाल की जड़ में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वो बयान था,जिसने आग में घी डालने का काम किया। दुर्गापुर घटना पर बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था, "मुझे पता चला कि वह रात12:30बजे हॉस्टल के बाहर थी। हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को रात में बाहर जाने से बचना चाहिए... लड़कियों को अपनी सुरक्षा भी खुद करनी चाहिए।"उनके इस बयान को'पीड़िता को ही दोषी ठहराने'जैसा देखा गया,जिसके बाद चारों तरफ उनकी तीखी आलोचना शुरू हो गई।जब गुस्से में पिता ने कहा-'यह तो औरंगजेब का शासन है'मुख्यमंत्री के इसी बयान से आहत होकर सोमवार को पीड़िता के पिता का गुस्सा फूट पड़ा था। उन्होंने कहा था, "वह (ममता) भी एक महिला हैं। वह इतनी गैर-जिम्मेदार बात कैसे कह सकती हैं?क्या अब महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़कर घर बैठ जाना चाहिए?ऐसा लगता है कि बंगाल में औरंगजेब का शासन चल रहा है।"उन्होंने यह भी कहा था कि उनका बंगाल की कानून-व्यवस्था से भरोसा उठ गया है और वे अपनी बेटी को वापस ओडिशा ले जाना चाहते हैं।हालांकि,विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने सफाई दी थी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इस मामले में अब तक पीड़िता के दोस्त समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है,लेकिन एक पिता की अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई अब भी जारी है-बस तरीका बदल गया है।
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