अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था। कुछ समय बाद, भारत पर कड़ा रुख अपनाते हुए ट्रंप ने अतिरिक्त 25 प्रतिशत यानी कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। इसी बीच, खबर आई कि राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी से नोबेल पुरस्कार की सिफ़ारिश की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जब यह उम्मीद पूरी नहीं हुई, तो भारत के प्रति ट्रंप का रवैया पूरी तरह बदल गया।
पिछले रविवार को चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन हुआ। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नज़र आए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का तनावग्रस्त होना स्वाभाविक था। इस बैठक की पूरी दुनिया में चर्चा हुई। बैठक के अगले ही दिन, यानी सोमवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार पर बड़ा बयान दिया। ट्रंप ने कहा कि भारत ने अब अपने टैरिफ को पूरी तरह से कम करने की पेशकश की है, लेकिन अब देर हो रही है। उन्हें यह सालों पहले कर देना चाहिए था।
'अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ग्राहक है'ट्रंप ने कहा कि बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, जबकि वे हमारे साथ बहुत ज़्यादा व्यापार करते हैं। दूसरे शब्दों में, वे हमें, अपने सबसे बड़े "ग्राहक" को, बहुत ज़्यादा सामान बेचते हैं, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत अपना ज़्यादातर तेल और सैन्य उत्पाद रूस से खरीदता है और अमेरिका से बहुत कम। अब तक यह पूरी तरह से एकतरफ़ा रिश्ता रहा है, और यह कई दशकों से चला आ रहा है।
ट्रंप ने टैरिफ़ पर स्पष्टीकरण दियाट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस एकतरफ़ा रिश्ते की वजह यह है कि भारत ने अमेरिका पर दूसरे देशों के मुक़ाबले ज़्यादा टैरिफ़ लगाए हैं। इस वजह से अमेरिका भारत को सामान नहीं बेच सकता। यह पूरी तरह से एकतरफ़ा आपदा रही है। पूरी बात लिखने के बाद ट्रंप ने स्पष्टीकरण देते हुए लिखा कि 'लोगों के लिए कुछ साधारण तथ्य हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए।'
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