भोपाल, 29 अप्रैल . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को मध्य प्रदेश के तीन शहरों इंदौर, भोपाल और मंदसौर में शराब ठेकेदारों के 13 परिसरों पर छापे मारे थे. यह कार्रवाई मंगलवार को भी जारी रही. इस दौरान ईडी की टीम ने 7.44 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. टीम ने लगभग 16 घंटे तक शराब कारोबारियों से पूछताछ की. ईडी ने तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और करोड़ों रुपये की अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए हैं. बैंक खाते और बैंक लॉकर भी फ्रीज किए गए हैं.
दरअसल, ईडी की अलग-अलगी टीमों ने सोमवार को फर्जी चालान आबकारी घोटाले को लेकर इंदौर, भोपाल और मंदसौर में सर्चिंग की थी. इस दौरान ईडी ने अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं. ईडी सूत्रों की मानें ये दस्तावेज करोड़ों की अचल संपत्ति के हो सकते हैं. इस मामले में जांच जारी है. आगे चलकर आरोपियों की गिरफ्तारी की भी संभावना है.
ईडी ने सोमवार को शराब ठेकेदारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत इंदौर के रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर छापा मारा था. इसमें ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी के जरिए 49.42 करोड़ रुपये (लगभग) के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के दौरान शराब के अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था.
ईडी अधिकारियों ने बताया कि ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा कर देते थे. चालान के निर्धारित प्रारूप में रुपये अंकों में और रुपये शब्दों में लिखा होता था. मूल्य अंकों में भरा जाता था, लेकिन रुपये शब्दों में के बाद रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता था. राशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई राशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था. ऐसी बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देसी मदिरा गोदाम में या विदेशी मदिरा के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में प्रस्तुत कर मदिरा शुल्क/मूल लाइसेंस शुल्क/न्यूनतम गारंटी के लिए राशि जमा कर मदिरा आपूर्ति की मांग के विरुद्ध एनओसी प्राप्त कर ली जाती थी.
गौरतलब है कि इंदौर जिला आबकारी कार्यालय में 2015 से 2018 के बीच शराब गोदामों से शराब उठाने के लिए 194 फर्जी चालानों का इस्तेमाल किया गया. बैंक में हजारों रुपयों के छोटे चालान जमा कराए गए, लेकिन चालान में बाद में लाखों की रकम दिखाकर गोदामों से ज्यादा शराब उठा ली गई और दुकानों पर बेची गई. इस घोटाले की शिकायत मिलने के बाद ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी. जांच के लिए ईडी ने आबकारी विभाग और पुलिस से शराब ठेकेदारों के बैंक अकाउंट का ब्यौरा और विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेज मांगे थे. आरोप है कि आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे. आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया. इसकी वजह से उनकी साठगांठ साफ नजर आ रही थी.
तोमर
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