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आईआईटी जाेधपुर में यूएवी और ड्रोन पर होगी रिसर्च

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जोधपुर, 28 अप्रैल . भारतीय सेना ने अपनी सामरिक रणनीति में एक आयाम जोड़ते हुए भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर में पृथ्वी मिसाइल प्रणाली का अनावरण किया है. इसके साथ ही यहां राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन एवं अनुसंधान के लिए मानेकशॉ उत्कृष्ट केंद्र की भी शुरुआत की गई है. इसके तहत शिक्षाविद, रक्षा विशेषज्ञ और उद्योग मिलकर देश की सुरक्षा के लिए तकनीक पर काम करेंगे. आईआईटी में मानव रहित विमानों (यूएवी) की तकनीक, ड्रोन हमलों व राष्ट्रीय सुरक्षा में ड्रोन के बेहतर उपयोग से जुड़ी तकनीक पर शोध के अलावा ऊर्जा हथियारों पर अनुसंधान किया जाएगा.

देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और स्वदेशी नवोन्मेष को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए देश के बड़े शैक्षणिक संस्थान मानेकशॉ राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन और अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए एक साथ जुड़े हैं, जिसमें आईआईटी जोधपुर भी शामिल हुआ है. भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों की ओर से समर्थित यह नोडल केंद्र रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान, नवोन्मेष और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा. इस दौरान सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा कि भारत के पास एनर्जी है, उसे सिनर्जी की जरूरत है. उन्होंने सैनिक और वैज्ञानिक, कमांडर और कोडर के संदर्भ में कहा कि यह एक पथ प्रदर्शक पहल हैं और यह हमें बहुत आगे ले जाएंगे. भारत में ऊर्जा है, लेकिन भारत को तालमेल की आवश्यकता है और हमें इसे आगे ले जाना है. यह संपूर्ण अभिसरण सैनिक और वैज्ञानिक, कमांडर और कोडर और नीति निर्माता और प्रोटोटाइप के बीच होना चाहिए. हमें एक राष्ट्र के रूप में 4-5 ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जहां हम विश्व के सिरमौर होंगे.

इस मौके पर आईआईटी के निदेशक प्रो. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि यह गौरव का क्षण है, क्योंकि हमने मानेकशॉ सेंटर की पहली संवाद श्रृंखला की मेजबानी की. इसके तहत भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा भविष्य को आकार देने के लिए सशस्त्र बल, शिक्षाविद और उद्योग एक मंच पर आए हैं. मानेकशॉ सेंटर केवल एक सेंटर नहीं है, यह एक विजन है, जिसे एक्शन में तब्दील किया गया है. केंद्र का उद्देश्य उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के समाधान विकसित करने के लिए शिक्षाविदों, रक्षा विशेषज्ञों और उद्योग के बीच अंत:विषय सहयोग को बढ़ावा देना है. सीरीज में डीआरडीओ के आला अधिकारी और वैज्ञानिक भी शामिल हुए.

इस केंद्र पर यूएवी, ड्रोन और उनके अनुप्रयोगों से संबंधित अनुसंधान और विकास होगा तो ड्रोन खतरों का मुकाबला करने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा. उन्नत ऊर्जा हथियार प्रणालियों के क्षेत्र में अनुसंधान के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी प्रौद्योगिकियों, रक्षा एवं सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अत्याधुनिक तकनीकों की खोज और उसे उपयोग में लाने पर काम किया जाएगा. माना जा रहा है कि शुरुआत न केवल भारत के रक्षा क्षेत्र में नवाचार के लिए एक ट्रिब्यूट हैं जो आईआईटी जोधपुर में अगली पीढ़ी के प्रौद्योगिकीविदों और शोधकर्ताओं को भी प्रेरित करेगी.

पृथ्वी मिसाइल का अनावरण

आईआईटी में भारत की रणनीतिक शक्ति और आत्मनिर्भरता के प्रतीक प्रतिष्ठित पृथ्वी मिसाइल का गर्व से अनावरण किया. पृथ्वी मिसाइल को डीआरडीओ की ओर से एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया गया था. भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में, इसने देश के आधुनिक मिसाइल शस्त्रागार की नींव रखी.

/ सतीश

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